ऑपरेशन सिंदूर के बाद बदलाव: कितनी बढ़ाई गई सुरक्षा, पाकिस्तान से कितना अलर्ट है भारत, आइए जाने सब कुछ

Operation Sindoor Update: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रहे संघर्ष में भले ही अमेरिका की मध्यस्ता के बाद सीज़फायर लग गया है लेकिन इसके बाद भी भारत अलर्ट मोड पर है...

Akshita Pidiha
Published on: 14 May 2025 4:24 PM IST
Operation Sindoor After Indian Government Change Security System
X

Operation Sindoor After Indian Government Change Security System

Operation Sindoor Update: हाल ही में घोषित युद्धविराम के बाद जम्मू-कश्मीर में धार्मिक स्थलों की सुरक्षा को अत्यंत गंभीरता से लिया गया है। इसका प्रमुख कारण पाकिस्तान की वह पुरानी नीति रही है, जिसमें वह सीधे युद्ध में पराजित होने के बाद सीमा पार से आतंकवाद को बढ़ावा देता रहा है। ऐसे कई अवसर आए हैं जब पाकिस्तान ने धार्मिक स्थलों और धार्मिक यात्राओं को निशाना बनाकर भारत में अस्थिरता फैलाने की कोशिश की है।

ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की साजिश

ऑपरेशन सिंदूर के समय पाकिस्तान ने जम्मू स्थित प्रसिद्ध ‘आप शंभू मंदिर’ को निशाना बनाया था। हालांकि आतंकियों द्वारा दागा गया गोला मंदिर को सीधे नुकसान नहीं पहुँचा पाया और मंदिर के मुख्य द्वार के पास गिरा, जिससे बड़ी दुर्घटना टल गई। यह घटना इस बात का संकेत थी कि पाकिस्तान अब सीधे संघर्ष के बजाय धार्मिक स्थलों को निशाना बनाकर सांप्रदायिक तनाव फैलाने की साजिश रच रहा है।

धार्मिक स्थलों की विविधता और संवेदनशीलता:

जम्मू-कश्मीर धार्मिक दृष्टि से एक विविधतापूर्ण प्रदेश है। यहाँ 11 बड़े मंदिर, 133 मस्जिद-जियारतगाहें, 9 प्रमुख गुरुद्वारे और 74 चर्च हैं, जिनमें से 29 अकेले जम्मू शहर में स्थित हैं। यह धार्मिक समरसता प्रदेश की सांस्कृतिक पहचान का प्रतीक है, जिसे आतंकवाद प्रभावित करने का प्रयास करता रहा है।


सुरक्षा व्यवस्था में हुआ बड़ा बदलाव:

रघुनाथ मंदिर, जो भगवान राम को समर्पित है और अपने परिसर में कुल सात मंदिरों को समेटे हुए है, उसे 9 मई से बंद कर दिया गया है। अभी तक मंदिर के पुनः खुलने को लेकर कोई आधिकारिक आदेश नहीं जारी हुआ है। यहाँ सुरक्षा की जिम्मेदारी आईटीबीपी और जम्मू-कश्मीर पुलिस ने संभाल रखी है।पूर्व में जहाँ 24 घंटे में केवल दो बार सुरक्षा जांच होती थी, अब यह संख्या चार से पाँच बार कर दी गई है। पहले जहाँ 32 जवान तैनात रहते थे, अब उनकी संख्या बढ़ाकर लगभग 70 कर दी गई है। यह केवल रघुनाथ मंदिर तक सीमित नहीं है, बल्कि रणवीरेश्वर मंदिर सहित अन्य प्रमुख मंदिरों की सुरक्षा भी व्यापक रूप से बढ़ाई गई है।

अन्य धर्मस्थलों की सुरक्षा:

जम्मू की प्रमुख जामिया मस्जिद की सुरक्षा भी ऑपरेशन सिंदूर के बाद काफी बढ़ा दी गई है। स्थानीय निवासी अरशद हुसैन ने पुष्टि की कि मस्जिद के बाहर अब नियमित रूप से सुरक्षाकर्मी तैनात रहते हैं। इसी प्रकार चर्चों और गुरुद्वारों की सुरक्षा व्यवस्था में भी बदलाव किया गया है। किसी भी धार्मिक असंतुलन या दुर्भावनापूर्ण घटना से बचाव के लिए सभी पंथों के बड़े धार्मिक स्थलों को विशेष निगरानी में रखा गया है। जम्मू के एसएसपी जोगिंदर सिंह ने कहा कि सुरक्षा को और भी अधिक सशक्त किया गया है और किसी भी तरह की चूक के लिए कोई स्थान नहीं छोड़ा गया है।


धार्मिक स्थल किसी भी सभ्यता और समाज के मूल स्तंभ होते हैं। ये केवल पूजा-अर्चना के स्थान नहीं, बल्कि सामूहिक चेतना, सामाजिक एकता और सांस्कृतिक धरोहर के प्रतीक होते हैं। जब आतंकी संगठन इन स्थलों को निशाना बनाते हैं, तो उनका उद्देश्य सिर्फ जानमाल को नुकसान पहुंचाना नहीं होता, बल्कि समाज को विभाजित करना, लोगों के बीच अविश्वास फैलाना और सांप्रदायिक तनाव को भड़काना होता है। धार्मिक स्थलों पर हुए आतंकी हमले सिर्फ किसी एक धर्म या समुदाय पर आघात नहीं होते, ये पूरे मानव समाज पर हमला होते हैं। इस लेख में हम भारत और विश्व में हुए प्रमुख आतंकी हमलों का विश्लेषण करेंगे, जिनका निशाना धार्मिक स्थल बने।

भारत में धार्मिक स्थलों पर हुए प्रमुख आतंकी हमले

रघुनाथ मंदिर, जम्मू (2002): 2002 में रघुनाथ मंदिर दो बार आतंकवादियों का निशाना बना। पहला हमला 30 मार्च को हुआ, जब दो आत्मघाती हमलावरों ने मंदिर परिसर में घुसकर हमला किया, जिसमें 11 श्रद्धालुओं की जान गई और 20 लोग घायल हुए। दूसरा हमला 24 नवंबर को हुआ, जिसमें एक बार फिर आत्मघाती हमलावरों ने हमला कर 14 लोगों की जान ली और 45 श्रद्धालु घायल हो गए। यह मंदिर जम्मू के धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का केंद्र है, इसलिए इस पर हुआ हमला न केवल एक आस्था पर चोट था, बल्कि राज्य की शांति पर सीधा हमला था।

अमरनाथ यात्रा पर सिलसिलेवार हमले:


अमरनाथ यात्रा हमेशा से आतंकियों के निशाने पर रही है क्योंकि यह एक बड़ा धार्मिक आयोजन है और इसमें भारी संख्या में श्रद्धालु भाग लेते हैं।

1-2 अगस्त 2000: पहलगाम स्थित नुनवान बेस कैंप पर आतंकियों ने हमला किया। इस हमले में 105 लोग मारे गए और 62 घायल हुए। यह घटना अमरनाथ यात्रा पर सबसे घातक हमलों में से एक थी।

20 जुलाई 2001: शेषनाग झील के पास यात्रा शिविर पर हमला किया गया, जिसमें 13 तीर्थयात्रियों की जान गई और 15 घायल हुए।

6 अगस्त 2002: नुनवान बेस कैंप पर एक और हमला हुआ, जिसमें 9 लोगों की मौत हुई और 27 घायल हुए।

21 जुलाई 2006: गांदरबल जिले के बीहामा क्षेत्र में तीर्थयात्रियों की बस को निशाना बनाकर हमला किया गया। इस हमले में 5 श्रद्धालु मारे गए।

10 जुलाई 2017: आतंकियों ने अमरनाथ यात्रियों की बस पर हमला किया, जिसमें 7 लोगों की मौत हुई और 19 घायल हुए।

रेयासी हमले (2022 और 2024):


पिछले कुछ वर्षों में रेयासी जिले में तीर्थयात्रियों को निशाना बनाकर दो बड़े हमले किए गए।

13 मई 2022: कटरा से जम्मू लौट रही तीर्थयात्रियों की बस पर आतंकियों ने ‘स्टिकी बम’ से हमला किया। इस हमले में 4 लोगों की जान चली गई और 13 घायल हुए।

9 जून 2024: शिव खोड़ी तीर्थस्थल से लौट रही श्रद्धालुओं की बस पर आतंकियों ने गोलीबारी की। गोलियों की बौछार के बाद बस खाई में जा गिरी। इस हादसे में 9 श्रद्धालुओं की जान चली गई और 41 लोग गंभीर रूप से घायल हो गए।

अक्षरधाम मंदिर हमला: गुजरात के गांधीनगर में स्थित अक्षरधाम मंदिर पर 24 और 25 सितंबर, 2002 को भीषण आतंकी हमला हुआ। लश्कर-ए-तैयबा और जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े दो आतंकवादी मंदिर परिसर में घुसे और श्रद्धालुओं पर अंधाधुंध गोलियां चलाईं, साथ ही ग्रेनेड फेंके। इस हमले में 33 लोग मारे गए और 80 से अधिक घायल हुए। यह हमला धार्मिक सहिष्णुता पर सीधा प्रहार था और पूरे देश में दहशत का माहौल बन गया।

हनुमान मंदिर परिसर हमला: अहमदाबाद के कालूपुर क्षेत्र में 26 जुलाई, 2008 को सिलसिलेवार बम धमाके हुए, जिनमें हनुमान मंदिर परिसर को भी निशाना बनाया गया। इंडियन मुजाहिद्दीन जैसे आतंकी संगठनों पर इस हमले का आरोप लगा। मंदिर परिसर में जब यह धमाका हुआ, उस समय श्रद्धालु पूजा में लीन थे, जिससे दहशत और अफरातफरी फैल गई।

रामजन्मभूमि परिसर पर हमला : अयोध्या में 5 जुलाई 2005 को रामजन्मभूमि परिसर पर हमला किया गया। छह आतंकवादी परिसर में प्रवेश कर गए और सुरक्षा बलों से मुठभेड़ में मारे गए। यह हमला विशेष रूप से संवेदनशील धार्मिक स्थल पर हुआ था, जो पहले से ही विवादों में रहा है। इसका उद्देश्य राम मंदिर आंदोलन को एक बार फिर से उकसाना और देश में सांप्रदायिक तनाव पैदा करना था।

संकट मोचन मंदिर हमला: उत्तर प्रदेश के वाराणसी स्थित संकट मोचन मंदिर में 7 मार्च 2006 को आरती के समय बम विस्फोट हुआ। इस हमले में 28 लोग मारे गए और 100 से अधिक घायल हुए। विस्फोट उस समय हुआ जब मंदिर में आरती चल रही थी और भारी संख्या में श्रद्धालु उपस्थित थे। यह हमला न केवल जानमाल की हानि का कारण बना, बल्कि धार्मिक भावना को भी आहत किया।

अजमेर दरगाह हमला: राजस्थान की अजमेर दरगाह, जो हिन्दू और मुस्लिम दोनों समुदायों के श्रद्धा का केंद्र है, वहां 11 अक्टूबर, 2007 को इफ्तार के समय बम धमाका हुआ। इस हमले में कई लोग घायल हुए और कुछ की मृत्यु हुई। विशेष बात यह थी कि इस हमले में बाद में हिन्दू चरमपंथी संगठन सेजुड़े कुछ लोगों को दोषी ठहराया गया। यह घटना इस बात का प्रमाण है कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता।

हमलों के पीछे उद्देश्य


इन सभी हमलों के पीछे मुख्य उद्देश्य समाज में धार्मिक विभाजन उत्पन्न करना था। आतंकवादी संगठनों का मकसद जनता में भय फैलाना, आपसी अविश्वास पैदा करना और सामाजिक ताने-बाने को तोड़ना होता है। धार्मिक स्थलों को निशाना बनाकर यह तत्व सांप्रदायिक तनाव को हवा देते हैं ताकि देश की आंतरिक शांति को अस्थिर किया जा सके। इसके साथ ही कुछ मामलों में राजनीतिक या कूटनीतिक दबाव भी इन हमलों के पीछे होता है।

सुरक्षा उपाय और सरकारी प्रतिक्रियाएं

सरकार ने धार्मिक स्थलों की सुरक्षा के लिए अनेक उपाय किए हैं। राष्ट्रीय सुरक्षा गार्ड (NSG), केंद्रीय रिजर्व पुलिस बल (CRPF) और राज्य पुलिस की विशेष इकाइयों को संवेदनशील स्थलों पर तैनात किया गया है। कई मंदिरों, मस्जिदों, चर्चों और गुरुद्वारों में सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं। मेटल डिटेक्टर, बैगेज स्कैनर और बम निरोधक दस्तों की तैनाती बढ़ाई गई है। इसके अतिरिक्त, खुफिया एजेंसियों को सतर्क किया गया है ताकि संभावित खतरों की पहले से जानकारी मिल सके। सरकार द्वारा धार्मिक नेताओं और समुदायों के बीच संवाद को प्रोत्साहित किया जा रहा है ताकि आपसी विश्वास बना रहे।

धार्मिक स्थलों पर आतंकी हमले केवल इमारतों या व्यक्तियों पर नहीं होते, ये समाज की आत्मा पर आघात होते हैं। ये हमले हमें याद दिलाते हैं कि आतंकवाद का कोई धर्म नहीं होता, उसका एक ही उद्देश्य होता है – मानवता को विभाजित करना। ऐसे समय में हमें एकजुट होकर ऐसी ताकतों का मुकाबला करना होगा। केवल सरकार या सुरक्षाबलों के भरोसे नहीं, नागरिक समाज को भी सजग रहना होगा और आपसी सद्भाव बनाए रखना होगा। धार्मिक स्थलों की सुरक्षा हमारी सामूहिक जिम्मेदारी है और इसमें प्रत्येक नागरिक की भागीदारी आवश्यक है।

आज, जब भारत आतंकवाद के विरुद्ध निर्णायक लड़ाई लड़ रहा है, तब ऐसे धर्मस्थलों की सुरक्षा केवल राज्य का दायित्व नहीं, बल्कि पूरे समाज की साझी ज़िम्मेदारी है।

Start Quiz

This Quiz helps us to increase our knowledge

Admin 2

Admin 2

Next Story