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PM मोदी के खास! RAW के नए चीफ बने पराग जैन! ऑपरेशन सिंदूर के मास्टरमाइंड, जानिए कौन है ये और इन्हें ही क्यों दी गयी ये जम्मेदारी

New RAW Chief India: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत की सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसी RAW के नए चीफ का ऐलान कर दिया है, और इस बार यह जिम्मेदारी मिली है आईपीएस अधिकारी पराग जैन को। यह सिर्फ एक नियुक्ति नहीं है, यह एक संदेश है — एक ऐसा संदेश जो बताता है कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया क्षमताएँ अब एक 'नया अध्याय' लिखने जा रही हैं!

Harsh Srivastava
Published on: 28 Jun 2025 4:43 PM IST
PM मोदी के खास! RAW के नए चीफ बने पराग जैन! ऑपरेशन सिंदूर के मास्टरमाइंड, जानिए कौन है ये और इन्हें ही क्यों दी गयी ये जम्मेदारी
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New RAW Chief India: देश की सुरक्षा का सबसे बड़ा 'गुप्त हथियार' कहे जाने वाली रिसर्च एंड एनालिसिस विंग यानी RAW की कमान अब एक ऐसे हाथ में आ गई है, जिसका नाम सुनते ही दुश्मन देशों के खेमे में खामोशी छा जाती है! जी हाँ, प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की सरकार ने भारत की सबसे शक्तिशाली खुफिया एजेंसी RAW के नए चीफ का ऐलान कर दिया है, और इस बार यह जिम्मेदारी मिली है आईपीएस अधिकारी पराग जैन को। यह सिर्फ एक नियुक्ति नहीं है, यह एक संदेश है — एक ऐसा संदेश जो बताता है कि भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा और खुफिया क्षमताएँ अब एक 'नया अध्याय' लिखने जा रही हैं!

जब दुनिया की निगाहें भारत की तरफ़ थीं कि RAW की बागडोर किसके हाथ में आएगी, तब अचानक पराग जैन के नाम का ऐलान हुआ। यह वो नाम है, जिसने देश की सुरक्षा के कई अहम और गुप्त ऑपरेशंस में पर्दे के पीछे रहकर 'मास्टरमाइंड' की भूमिका निभाई है। पाकिस्तान से लेकर चीन तक, और जम्मू-कश्मीर के अशांत इलाकों से लेकर वैश्विक कूटनीति के मोर्चों तक, पराग जैन का अनुभव बेजोड़ है। रवि सिन्हा का कार्यकाल 30 जून को खत्म हो रहा है, और अब 'खुफिया दुनिया' के इस नए बादशाह की ताजपोशी होने जा रही है। लेकिन कौन हैं ये पराग जैन? क्या है उनका 'सीक्रेट मिशन' से जुड़ा इतिहास? और आखिर क्यों प्रधानमंत्री मोदी ने उन्हें भारत के 'सबसे बड़े जासूस' के तौर पर चुना है? आइए, खोलते हैं इस 'गुप्त' जानकारी के परदे।

कौन हैं आईपीएस पराग जैन: 'खुफिया दुनिया' का नया 'बादशाह'?

पराग जैन, पंजाब कैडर के 1989 बैच के एक बेहद तेज़-तर्रार और अनुभवी आईपीएस अधिकारी हैं। उनकी नियुक्ति दो साल के कार्यकाल के लिए RAW चीफ के तौर पर की गई है, जो उन्हें भारत की बाह्य खुफिया एजेंसी का नेतृत्व करने का मौका देगी। पराग जैन का करियर न सिर्फ़ विविधतापूर्ण रहा है, बल्कि उन्होंने हर मोर्चे पर अपनी असाधारण क्षमता का प्रदर्शन किया है। उनकी पहचान एक ऐसे अधिकारी के रूप में है जो कम बोलते हैं, लेकिन उनका काम बोलता है।

पराग जैन की शुरुआती शिक्षा और उनका पालन-पोषण बेहद अनुशासित माहौल में हुआ। उन्होंने अपनी प्रारंभिक शिक्षा पंजाब से ही प्राप्त की और उसके बाद उच्च शिक्षा के लिए देश के प्रतिष्ठित संस्थानों का रुख किया। पुलिस सेवा में आने से पहले उन्होंने एक मज़बूत शैक्षणिक पृष्ठभूमि तैयार की, जिसने उन्हें जटिल समस्याओं को समझने और रणनीतिक रूप से सोचने की क्षमता प्रदान की। आईपीएस अधिकारी बनने के बाद, उन्होंने पंजाब में कई महत्वपूर्ण पदों पर कार्य किया, जहाँ उन्होंने कानून-व्यवस्था बनाए रखने में अपनी कुशलता साबित की। उनके साथियों और सीनियर्स के बीच उनकी छवि एक ऐसे अधिकारी की रही है, जो शांत स्वभाव के होते हुए भी बेहद प्रभावी निर्णय लेते हैं और अपने लक्ष्य को हासिल करने के लिए हर चुनौती का सामना करते हैं।

पराग जैन का 'अनदेखा' करियर: मिशन दर मिशन, कैसे बने 'मास्टरमाइंड'?

पराग जैन का करियर सिर्फ़ पुलिस सेवा तक सीमित नहीं रहा है, बल्कि उन्होंने देश और विदेश में कई 'संवेदनशील' और 'अत्यंत महत्वपूर्ण' भूमिकाएँ निभाई हैं:

•चंडीगढ़ के SSP के रूप में कार्यकाल: पराग जैन ने अपने करियर के शुरुआती दौर में चंडीगढ़ के एसएसपी (वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक) के रूप में कार्य किया। चंडीगढ़ जैसे संवेदनशील और योजनाबद्ध शहर में कानून-व्यवस्था बनाए रखना और शहरी अपराधों को नियंत्रित करना एक बड़ी चुनौती थी, जिसे उन्होंने बखूबी निभाया। इस दौरान उन्होंने पुलिसिंग में आधुनिक तकनीकों का इस्तेमाल किया और सामुदायिक पुलिसिंग को बढ़ावा दिया, जिससे उनकी प्रशासनिक क्षमताएँ निखर कर सामने आईं।

•कनाडा और श्रीलंका में भारत का प्रतिनिधित्व: पराग जैन ने केवल देश के भीतर ही नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय मंच पर भी भारत का प्रतिनिधित्व किया है। कनाडा और श्रीलंका जैसे देशों में भारतीय राजनयिक मिशनों में उनकी तैनाती रही है। इन भूमिकाओं में, उन्होंने भारत के राष्ट्रीय हितों की रक्षा करने, खुफिया जानकारी जुटाने और अंतरराष्ट्रीय संबंधों को मज़बूत करने में महत्वपूर्ण योगदान दिया। ऐसे देशों में काम करते हुए उन्हें विदेशी खुफिया एजेंसियों के साथ तालमेल बिठाने और वैश्विक भू-राजनीति को समझने का गहरा अनुभव मिला, जो RAW जैसे संगठन के मुखिया के लिए अत्यंत आवश्यक है।

•जम्मू-कश्मीर में आतंकवाद विरोधी रणनीति में भूमिका: पराग जैन की सबसे महत्वपूर्ण नियुक्तियों में से एक जम्मू-कश्मीर में उनकी तैनाती रही है। यह देश का वह हिस्सा है, जहाँ दशकों से आतंकवाद और अलगाववाद एक बड़ी चुनौती रहा है। जम्मू-कश्मीर में तैनाती के दौरान, उन्होंने केंद्र सरकार की आतंकवाद विरोधी रणनीति को ज़मीन पर उतारने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने खुफिया नेटवर्क को मज़बूत किया, आतंकियों के ठिकानों और उनकी गतिविधियों पर नज़र रखी, और कई बड़े ऑपरेशंस में महत्वपूर्ण जानकारी मुहैया कराई, जिससे सुरक्षा बलों को सफलता मिली। इस अनुभव ने उन्हें आंतरिक सुरक्षा चुनौतियों और उनसे निपटने के तरीकों की गहरी समझ दी, जो RAW के लिए अमूल्य है।

ऑपरेशन सिंदूर और 'अज्ञात' उपलब्धियाँ: कैसे हुई 'आतंकियों की सफाई'?

पराग जैन वर्तमान में एविएशन रिसर्च सेंटर (ARC) का नेतृत्व कर रहे थे। यह RAW की एक बेहद गुप्त और महत्वपूर्ण इकाई है, जो हवाई खुफिया जानकारी जुटाने में माहिर है। ARC की भूमिका अक्सर परदे के पीछे रहती है, लेकिन इसके द्वारा जुटाई गई जानकारी देश की सुरक्षा के लिए निर्णायक साबित होती है।पराग जैन के नेतृत्व में ARC ने पाकिस्तानी सशस्त्र बलों और आतंकवादी संगठनों के बारे में महत्वपूर्ण खुफिया जानकारी इकट्ठा की। इन्हीं खुफिया जानकारियों ने ऑपरेशन सिंदूर में अहम भूमिका निभाई थी।

ऑपरेशन सिंदूर भारतीय सेना द्वारा पाकिस्तान में स्थित आतंकवादी ठिकानों पर की गई एक सटीक और विनाशकारी कार्रवाई थी। इस ऑपरेशन के तहत भारतीय सेना ने सीमा पार जाकर आतंकी ढाँचों पर बम बरसाए और उन्हें पूरी तरह से नेस्तानाबूद कर दिया। इस हमले में लगभग 100 आतंकवादी मारे गए थे, जिनमें कई ऐसे मोस्ट वॉन्टेड आतंकी भी शामिल थे, जो भारत में बड़ी आतंकी गतिविधियों को अंजाम देने की साज़िश रच रहे थे।

ऑपरेशन सिंदूर की सफलता में पराग जैन और उनकी टीम द्वारा जुटाई गई खुफिया जानकारी का सीधा हाथ था। उन्होंने न केवल सटीक ठिकानों की पहचान की, बल्कि आतंकियों के मूवमेंट और उनकी संख्या के बारे में भी महत्वपूर्ण इनपुट्स दिए, जिससे भारतीय सेना अपनी कार्रवाई को सफलतापूर्वक अंजाम दे पाई। यह मिशन पराग जैन के 'ऑपरेशनल इंटेलिजेंस' और 'स्ट्रेटेजिक प्लानिंग' की क्षमता का एक बड़ा सबूत है, जिसने उन्हें RAW चीफ के पद के लिए एक स्वाभाविक पसंद बना दिया।

RAW: भारत की आँखें और कान, जो दुनिया को नहीं दिखते!

रिसर्च एंड एनालिसिस विंग (RAW) भारत की प्रमुख बाह्य खुफिया एजेंसी है। इसकी स्थापना 21 सितंबर 1968 को की गई थी, जब भारत को यह महसूस हुआ कि आंतरिक सुरक्षा के साथ-साथ बाहरी खतरों से निपटने के लिए एक समर्पित और स्वतंत्र खुफिया एजेंसी की आवश्यकता है। RAW का मुख्य कार्य विदेशों में होने वाली गतिविधियों पर नज़र रखना, भारत के हितों के खिलाफ़ होने वाली साज़िशों का पता लगाना और उन्हें नाकाम करना है। यह पड़ोसी देशों, आतंकवादी संगठनों, और अन्य राष्ट्र-विरोधी तत्वों से जुड़ी खुफिया जानकारी जुटाता है और उसे देश की सुरक्षा एजेंसियों के साथ साझा करता है।

RAW का इतिहास कई गुप्त और साहसी ऑपरेशनों से भरा पड़ा है, जिन्होंने भारत की सुरक्षा सुनिश्चित की है, हालाँकि इन ऑपरेशनों के बारे में सार्वजनिक रूप से बहुत कम जानकारी उपलब्ध होती है। RAW का नेतृत्व सीधे प्रधानमंत्री के हाथों में होता है, जो इसके कामकाज की अंतिम जिम्मेदारी संभालते हैं। RAW के चीफ अपनी दैनिक रिपोर्टिंग राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार (NSA) को करते हैं, जो वर्तमान में अजीत डोभाल हैं। अजीत डोभाल खुद एक पूर्व खुफिया प्रमुख हैं, और उनका अनुभव RAW के कामकाज में महत्वपूर्ण दिशा-निर्देश प्रदान करता है।

रवि सिन्हा का 'अंतिम सलाम' और 'सत्ता हस्तांतरण'

वर्तमान RAW चीफ रवि सिन्हा, जो 1988 बैच के एक वरिष्ठ आईपीएस अधिकारी हैं, का कार्यकाल सोमवार, 30 जून 2025 को समाप्त हो रहा है। रवि सिन्हा ने भी RAW के मुखिया के रूप में एक चुनौतीपूर्ण अवधि में एजेंसी का नेतृत्व किया है और कई महत्वपूर्ण खुफिया अभियानों की निगरानी की है। अक्सर, RAW चीफ को उनके कार्यकाल के बाद सेवा विस्तार भी मिलता है, जैसा कि अतीत में देखा गया है। लेकिन इस बार, मोदी सरकार ने रवि सिन्हा को सेवा विस्तार न देकर, पराग जैन को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपने का निर्णय लिया है। यह निर्णय दर्शाता है कि सरकार शायद 'नए खून' और 'नए दृष्टिकोण' के साथ RAW की क्षमताओं को और मज़बूत करना चाहती है, खासकर बदलते वैश्विक और क्षेत्रीय सुरक्षा परिदृश्य को देखते हुए।

पराग जैन ही क्यों? 'विश्वास' और 'अनुभव' का समीकरण!

आखिर क्यों पराग जैन को ही RAW का नया चीफ चुना गया है? इस फैसले के पीछे कई महत्वपूर्ण कारण हैं:

1.विस्तृत अनुभव: पराग जैन के पास आंतरिक सुरक्षा (जम्मू-कश्मीर), अंतर्राष्ट्रीय संबंध (कनाडा, श्रीलंका), और हवाई खुफिया (ARC) का बेजोड़ और बहुआयामी अनुभव है। यह विविधता उन्हें वैश्विक खुफिया चुनौतियों से निपटने के लिए एक आदर्श उम्मीदवार बनाती है।

2.ऑपरेशनल सफलताएँ: 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसी सफलताओं में उनकी प्रत्यक्ष भूमिका ने साबित कर दिया है कि वे केवल प्लानिंग ही नहीं, बल्कि 'ज़मीनी स्तर' पर भी खुफिया जानकारी को एक्शन में बदलने की क्षमता रखते हैं।

3.गुप्त और शांत स्वभाव: RAW जैसे संगठन के मुखिया के लिए एक शांत, लो-प्रोफाइल और बेहद विश्लेषणात्मक स्वभाव का होना बेहद ज़रूरी है। पराग जैन की यह छवि उन्हें इस पद के लिए उपयुक्त बनाती है, जहाँ प्रचार नहीं, परिणाम मायने रखते हैं।

4.सरकार का भरोसा: प्रधानमंत्री मोदी और राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल जैसे शीर्ष नीति-निर्माताओं का उन पर गहरा भरोसा है। यह भरोसा उनके पिछले प्रदर्शन, निष्ठा और देश के प्रति उनकी प्रतिबद्धता पर आधारित है।

पराग जैन की यह नियुक्ति सिर्फ एक प्रशासनिक बदलाव नहीं है, बल्कि यह भारत की राष्ट्रीय सुरक्षा रणनीति में एक नए युग की शुरुआत का संकेत है। उनकी पहचान एक ऐसे अधिकारी के रूप में है, जो चुपचाप काम करते हैं और परिणाम देते हैं। ऐसे में, पराग जैन के नेतृत्व में RAW भारत के दुश्मनों के लिए 'अदृश्य काल' बनकर उभरेगी, और देश की सुरक्षा को अभेद्य बनाएगी। उनकी नियुक्ति के साथ, पाकिस्तान और चीन जैसे देशों में निश्चित रूप से 'हड़कंप' मच गया होगा, क्योंकि उन्हें पता है कि RAW के नए चीफ के रूप में एक 'मास्टरमाइंड' ने कमान संभाल ली है! अब भारत की आँखें और कान पहले से कहीं अधिक तेज़ और घातक हो गए हैं!

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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