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'भारत को धोखा!' बांग्लादेश में यूनुस सरकार ने किया बड़ा खेल, ISI एजेंट को बनाया NSA, क्या भारत के खिलाफ खुल चुकी है नई साजिश?
Bangladesh ISI agent appointed NSA: बांग्लादेश की राजधानी ढाका से जैसे ही ये खबर आई कि रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अबू तायुब मोहम्मद जाहिरुल आलम को बांग्लादेश का डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) बनाया गया है, पूरी दक्षिण एशिया की राजनीति में भूचाल आ गया।
Bangladesh ISI agent appointed NSA: दुनिया हैरान है, कूटनीति सकते में है, और भारत सकते में। ऐसा कदम किसी ने सपने में भी नहीं सोचा था। बांग्लादेश की मोहम्मद यूनुस के नेतृत्व वाली अंतरिम सरकार ने वो कर दिखाया है जो खुली आंखों में भी किसी बुरे सपने से कम नहीं। बांग्लादेश की राजधानी ढाका से जैसे ही ये खबर आई कि रिटायर्ड लेफ्टिनेंट जनरल अबू तायुब मोहम्मद जाहिरुल आलम को बांग्लादेश का डिप्टी नेशनल सिक्योरिटी एडवाइजर (NSA) बनाया गया है, पूरी दक्षिण एशिया की राजनीति में भूचाल आ गया। ये सिर्फ एक नियुक्ति नहीं थी — ये भारत के साथ दोस्ती की पीठ में छुरा घोंपने जैसा था। और ये छुरा भी किसी सामान्य अफसर के हाथ में नहीं, बल्कि ऐसे शख्स के हाथ में दिया गया जो सीधे पाकिस्तान की बदनाम खुफिया एजेंसी ISI से जुड़े होने के आरोपों में घिरा रहा है। क्या यूनुस की सरकार भारत को धोखा देने की योजना पर काम कर रही है? या फिर ये बांग्लादेश में भारत विरोधी लॉबी की खुली साजिश है?
भारत विरोधी चेहरे को सत्ता में बैठाने का खेल
अबू तायुब मोहम्मद जाहिरुल आलम का नाम भारत के लिए नया नहीं है। बांग्लादेश में जब भी भारत विरोधी साजिशों की चर्चा होती है, इस नाम का जिक्र जरूर होता है। आलम सिर्फ एक सैन्य अधिकारी नहीं रहे, बल्कि उनकी पूरी पृष्ठभूमि में पाकिस्तान प्रेम, ISI से करीबी और भारत के खिलाफ रची गई कई खुफिया साजिशों की परतें छुपी हुई हैं। आलम का रिश्ता सीधे बांग्लादेश नेशनलिस्ट पार्टी (BNP) के नेताओं से रहा है। BNP वही पार्टी है, जिसने हमेशा भारत विरोध को अपनी राजनीतिक पूंजी बनाया। जाहिरुल आलम वर्तमान अंतरिम होम एडवाइजर जहांगीर आलम के करीबी रहे हैं, और BNP के शासन काल में सेना के कई अहम पदों पर रहे। लेकिन सबसे बड़ा आरोप तब सामने आया जब वह बांग्लादेश के नेशनल डिफेंस कॉलेज के कमांडेंट बने और पाकिस्तानी सैन्य अधिकारियों के लिए उस संस्थान के दरवाजे खोल दिए। यही नहीं, आलम खालिदा जिया के छोटे भाई सईद इस्कंदर के नजदीकी रहे। सईद इस्कंदर कौन थे? वही जिनके इशारे पर बांग्लादेश में इस्लामी कट्टरता को हवा दी गई और इस्लामिक टेलीविजन जैसे प्लेटफॉर्म के जरिए भारत विरोधी प्रचार की मशीनरी खड़ी की गई।
यूनुस का 'पुराना रिश्ता', नए भारत विरोध की पटकथा
अब सवाल ये है कि आखिर मोहम्मद यूनुस जैसे नोबेल पुरस्कार विजेता और बांग्लादेश की अंतरिम सरकार के मुखिया ने क्यों भारत विरोधी चेहरे को अपनी सुरक्षा नीति की जिम्मेदारी सौंप दी? जवाब ढाका में किसी से छुपा नहीं है — यूनुस और जाहिरुल आलम दोनों चटगांव के मूल निवासी हैं, दोनों के पारिवारिक संबंध पुराने हैं। राजनीतिक विश्लेषकों का साफ कहना है कि यूनुस ने अपने निजी रिश्तों और राजनीतिक दबाव में आकर ये नियुक्ति की है। लेकिन ये फैसला सिर्फ व्यक्तिगत नहीं, बल्कि बांग्लादेश की विदेश नीति की दिशा बदलने वाला साबित हो सकता है। यह सीधा संकेत है कि यूनुस की अंतरिम सरकार भारत की जगह अब पाकिस्तान और तुर्की जैसे देशों के साथ खड़े होने का मन बना चुकी है। ढाका से लेकर दिल्ली तक इस खबर के आने के बाद खुफिया हलकों में हड़कंप मच गया है। भारतीय सुरक्षा एजेंसियां पहले से ही बांग्लादेश में BNP और ISI की गुप्त साजिशों पर नजर रखे हुए थीं, लेकिन अब जब ISI के करीबी व्यक्ति को ही बांग्लादेश की सुरक्षा नीति में बैठा दिया गया है, तो यह खेल कहीं ज्यादा खतरनाक हो गया है।
क्या बांग्लादेश भारत के खिलाफ खुलकर खेल रहा है?
ये सवाल अब सिर्फ अटकल नहीं रह गया है। भारत पहले ही देख चुका है कि पाकिस्तान और तुर्की मिलकर बांग्लादेश में भारत विरोधी माहौल बनाने की कोशिश कर रहे हैं। तुर्की लगातार बांग्लादेश में कट्टर इस्लामी संगठनों को फंडिंग कर रहा है, और पाकिस्तान की ISI वहां गुप्त एजेंट्स के जरिए काम कर रही है। ऐसे में अबू तायुब मोहम्मद जाहिरुल आलम जैसे व्यक्ति को डिप्टी NSA बनाना सिर्फ एक नियुक्ति नहीं, बल्कि भारत के खिलाफ खड़े होने का ऐलान है। यही वजह है कि बांग्लादेशी विशेषज्ञ भी मान रहे हैं कि इस कदम से भारत और बांग्लादेश के रिश्तों में दरार आ सकती है। कई विश्लेषकों ने तो यहां तक कह दिया है कि बांग्लादेश ने इस फैसले से खुद अपने पांव पर कुल्हाड़ी मार ली है, क्योंकि भारत कभी भी इस तरह की साजिश को चुपचाप देखने वाला नहीं है।
दक्षिण एशिया में नया भूचाल?
बांग्लादेश की इस नियुक्ति से सिर्फ भारत-बांग्लादेश रिश्ते ही खराब नहीं होंगे, बल्कि इससे पूरे दक्षिण एशिया में तनाव बढ़ सकता है। भारत पहले से पाकिस्तान और चीन की साजिशों का सामना कर रहा है, और अब अगर बांग्लादेश भी उन्हीं के साथ खड़ा हो गया तो यह भारत के लिए तीन तरफा मोर्चा खोलने जैसा होगा। यह स्थिति क्षेत्रीय शांति और स्थिरता के लिए बेहद खतरनाक है।
अब भारत का अगला कदम क्या होगा?
अभी तक भारत सरकार ने इस नियुक्ति पर आधिकारिक तौर पर प्रतिक्रिया नहीं दी है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक दिल्ली में लगातार उच्च स्तरीय बैठकें चल रही हैं। बांग्लादेश के प्रति भारत की नीति में बड़ा बदलाव आ सकता है। हो सकता है कि भारत बांग्लादेश में सक्रिय इस्लामी कट्टरपंथियों के खिलाफ अपनी खुफिया गतिविधियां और तेज कर दे। एक और सवाल जो तेजी से उठ रहा है — क्या बांग्लादेश भी पाकिस्तान-तुर्की-अफगान गठजोड़ का हिस्सा बनने जा रहा है? अगर ऐसा होता है तो भारत के लिए ये आने वाले समय में एक नया रणनीतिक संकट बन जाएगा। यह सिर्फ नियुक्ति नहीं, बल्कि चेतावनी है — भारत के दरवाजे पर साजिश की दस्तक दी जा चुकी है। अब देखना है कि भारत इस दस्तक का जवाब कैसे देता है।
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