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खूब महंगा होगा चावल और आंटा, पंजाब की बाढ़ बिगाड़ देगी सबका बजट
Punjab Flood Effect: 2024-25 में भारत के निर्यात में पंजाब का योगदान 40 फीसदी के करीब लगभग 6,07 मिलियन टन रहा।
Punjab Flood Effect: पंजाब की ताजा बाढ़ खाद्यान्न सुरक्षा के लिए खतरे की घंटी है, खाद्यान्न कीमतें बेतहाशा बढ़ने का खतरा उत्पन्न हो गया है। बाढ़ के चलते पंजाब को आपदाग्रस्त राज्य घोषित कर दिया गया है। सभी 23 जिलों में तीन लाख हेक्टेयर में फैली खेती में प्राथमिक रूप से धान की फसल बुरी तरह प्रभावित हुई है। विशेषज्ञों को इससे फसल की कीमतों में तेजी आने की आशंका है। जिससे सरकार की सार्वजनिक वितरण प्रणाली के लिए की जाने वाली खरीदारी पर असर पड़ सकता है। प्राकृतिक आपदा ऐसे समय आई है जबकि फसल तैयार होने में कुछ ही समय शेष था। अधिकांश कृषि भूमि नदियों की बाढ़ से डूब में आ गई है। जिसके चलते गेहूं, मोटे अनाज, मक्का, ज्वार आदि की फसलें बुरी तरह प्रभावित हुई हैं। कृषि नीति विशेषज्ञ मानते हैं इसका पीडीएस सिस्टम पर गहरा असर पड़ेगा।
सार्वजनिक वितरण प्रणाली के तहत सरकार कम कीमतों पर या मुफ्त में आवश्यक खाद्यान्न जैसे चावल, गेहूं और चीनी कम आय के परिवारों को खाद्य सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए उपलब्ध कराती है। इस प्रणाली में खाद्यान्न देने वालों में अधिक उत्पादन वाले पंजाब और हरियाणा प्रमुख राज्य हैं। पीडीएस प्रणाली के लिए राज्य की एजेंसियों और एफसीआई को अधिकांश चावल तो पंजाब ही देता है। राज्य के किसान न्यूनतम समर्थन मूल्य पर चावल उपलब्ध कराते हैं।
बासमती चावल को तरस जाओगे
सीमावर्ती राज्य में भारी बारिश और बाढ़ ने बीस से 25 प्रतिशत बासमती उत्पादन में कमी ला दी है। जिसके चलते निर्यातकों ने वैश्विक आपूर्ति प्रभावित होने की आशंका जताई है। 2024-25 में भारत के निर्यात में पंजाब का योगदान 40 फीसदी के करीब लगभग 6,07 मिलियन टन रहा।
पंजाब राइस मिलर्स और एक्सपोर्टर एसोसिएशन के डायरेक्टर अशोक सेठी ने कहा कि लगातार बारिश जारी है, जिससे यह अनुमान लगाना मुश्किल हो गया है कि इससे कितनी फसल, कितनी जानों, कितने जानवरों और घरों पर आपदा आई है। इंडस्ट्री के सूत्रों का कहना है कि मौजूदा बाढ़ से करीब डेढ़ लाख एकड़ बासमती की फसल प्रभावित हुई है। पंजाब के कृषि मंत्री गुरमीत सिंह खुदियान ने भी कहा है कि भारी बारिश और बाढ़ के कारण करीब ढाई लाख हेक्टेयर फसल प्रभावित हुई है।
चावल की ये गणित भी समझिए
बाढ़ और भारी बारिश से पंजाब के गुरदासपुर, पठानकोट, फाजिल्का, कपूरथला, तरनतारन, फीरोजपुर, होशियारपुर और अमृतसर जिले बुरी तरह प्रभावित हुए हैं। अपेडा के 2023 के सर्वे के मुताबिक इन आठ जिलों का राज्य के बासमती उत्पादन और कृषि क्षेत्र में 52 फीसदी की भागीदारी है। 2023 खरीफ सीजन के दौरान पंजाब ने 8,12 लाख हेक्टेयर एरिया में 3.84 मिलियन टन बांसमती चावल का उत्पादन किया था।
29 अगस्त तक पंजाब में बांसमती और गैर बांसमती चावल के 32.39 लाख हेक्टेयर सहित कुल आच्छादित एरिया 35.52 लाख हेक्टेयर था। इसमें 1.19 लाख हेक्टेयर में काटन, 0.95 लाख हेक्टेयर में गन्ना और 0.86 लाख हेक्टेयर में मक्का शामिल हैं। हालांकि निर्यातक पाकिस्तान में बाढ़ से बासमती की फसल खराब हो जाने के चलते अच्छी कीमत मिलने की उम्मीद में नुकसान पूरा करने की संभावना लेकर चल रहे हैं। इस का अंदाज इस बात से लगाया जा सकता है कि निर्यातकों को 2024-25 में 980 डालर प्रति टन का कांट्रेक्ट मिला था। बाढ़ से पहले इस साल निर्यातक 900-1000 डालर प्रति टन का कांट्रेक्ट कर रहे थे जिसके जल्दी ही 1050 डालर प्रति टन पहुंच जाने की उम्मीद है।
गेहूं की फसल पर क्या होगा प्रभाव
पंजाब, भारत के सबसे बड़े गेहूँ उत्पादक राज्यों में से एक है। यहां गेहूँ का उत्पादन प्रतिवर्ष बदलता रहता है, यहाँ 2025 में लगभग 189 लाख टन (या 18.9 मिलियन मीट्रिक टन) से अधिक उत्पादन की उम्मीद थी, जो पिछले वर्ष यानी 2024 के 182 लाख टन से अधिक है। यह 35 लाख हेक्टेयर क्षेत्र में खेती करके प्राप्त हुआ, जिसमें प्रति हेक्टेयर 50 क्विंटल या 60 क्विंटल से अधिक की उम्मीद की औसत उपज प्राप्त होती है। इस बार गेहूं के उत्पादन में देरी हो सकती है। इसकी वजह है कि बाढ़ के चलते खेत सही समय पर तैयार हो पाना मुश्किल है। इससे गेहूं की फसल भी प्रभावित होगी।
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