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दिल्ली में RSS का 'महासंग्राम'! 2025 के मिशन पर निकले मोहन भागवत, बीजेपी में मची खलबली
Mohan Bhagwat Delhi meeting: अगले महीने राजधानी में होने जा रही एक बैठक ने बीजेपी से लेकर विपक्ष तक की धड़कनें बढ़ा दी हैं। वजह सिर्फ एक—राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक। लेकिन इस बार मामला आम नहीं है।
Mohan Bhagwat Delhi meeting: दिल्ली की हवा में एक अलग तरह की गंध घुल चुकी है। राजनीतिक गलियारों में फुसफुसाहट तेज हो गई है। अगले महीने राजधानी में होने जा रही एक बैठक ने बीजेपी से लेकर विपक्ष तक की धड़कनें बढ़ा दी हैं। वजह सिर्फ एक—राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ (RSS) की अखिल भारतीय प्रांत प्रचारक बैठक। लेकिन इस बार मामला आम नहीं है। इस बार की बैठक केवल प्रचारकों की चाय-पानी वाली मुलाकात नहीं, बल्कि सीधे भारत के राजनीतिक भविष्य की स्क्रिप्ट लिखने जा रही है। मिशन 2025-26 को लेकर दिल्ली में संघ का ‘महासंग्राम’ शुरू होने वाला है, और इसके केंद्र में हैं—संघ प्रमुख मोहन भागवत!
'शताब्दी शक्ति प्रदर्शन' की तैयारी शुरू
4 जुलाई से दिल्ली के केशवकुंज में शुरू हो रही 3 दिन की यह बैठक संघ के इतिहास में सबसे अहम मानी जा रही है। वजह साफ है—संघ के शताब्दी वर्ष की तैयारी। साल 2025 में राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ 100 साल का होने जा रहा है, और इस मौके पर संघ न सिर्फ अपनी ताकत दिखाने की योजना बना रहा है, बल्कि भारत के सामाजिक, सांस्कृतिक और राजनीतिक ढांचे में एक निर्णायक भूमिका निभाने की स्क्रिप्ट तैयार कर चुका है। सूत्रों की मानें तो इस बैठक में उस ‘ब्लू प्रिंट’ पर मुहर लगने वाली है, जिसमें मोहन भागवत की अगुवाई में संघ पूरे देशभर में नए कार्यक्रमों, प्रवास योजनाओं और शक्ति प्रदर्शन के आयोजन करने जा रहा है। सिर्फ शाखाओं तक सीमित नहीं रहने वाला संघ अब सीधे देश के नीतिगत फैसलों में सक्रिय भागीदारी चाहता है। और यह सब 2025-26 में खुलकर सामने आएगा।
BJP के लिए संकेत—'तेज चलो या हट जाओ'!
राजनीतिक विश्लेषकों का कहना है कि यह बैठक बीजेपी के लिए भी संदेश लेकर आ रही है। संघ चाहता है कि मिशन 2025 के लिए बीजेपी पूरी तरह संघ के एजेंडे पर चले। खासकर सामाजिक समरसता, हिंदुत्व के नए विमर्श और राष्ट्रवाद की उस परिभाषा पर, जो पिछले कुछ वर्षों में थोड़ा धुंधली पड़ गई थी। इस बैठक में उन रणनीतियों पर चर्चा होगी जिससे संघ और बीजेपी की दूरियां खत्म की जा सकें। यानी साफ शब्दों में कहें तो, मोहन भागवत सीधे बीजेपी को अल्टीमेटम देने आ रहे हैं—या तो संघ की लाइन पर चलो, या नए चेहरे तैयार हैं। यही वजह है कि प्रधानमंत्री मोदी से लेकर गृहमंत्री अमित शाह तक, सभी की नजरें केशवकुंज पर टिकी हैं।
नई हिंदुत्व नीति और मिशन साउथ
दिलचस्प बात ये है कि संघ इस बार सिर्फ उत्तर भारत तक सीमित नहीं रहना चाहता। बैठक में 'मिशन साउथ' पर भी चर्चा होगी, यानी दक्षिण भारत में संघ के विस्तार और हिंदुत्व की जड़ों को मजबूत करने की नई योजना। इसके तहत तमिलनाडु, केरल, आंध्र प्रदेश और तेलंगाना में बड़े पैमाने पर शाखाएं और सामाजिक कार्यक्रम आयोजित करने की रणनीति बनेगी। इसके अलावा संघ की नजर पूर्वोत्तर राज्यों पर भी है, जहां ईसाई मिशनरियों के बढ़ते प्रभाव को संघ एक बड़े खतरे के तौर पर देखता है। 2025-26 में होने वाले शताब्दी समारोह दरअसल सिर्फ जश्न नहीं होंगे, बल्कि ‘हिंदू शक्ति प्रदर्शन’ के नाम पर एक बड़ा सामाजिक आंदोलन खड़ा करने की तैयारी है।
मोहन भागवत की 'सीक्रेट ट्रैवल डायरी'
सूत्रों के मुताबिक, इस बैठक में मोहन भागवत की 2025-26 की यात्रा योजनाओं को अंतिम रूप दिया जाएगा। संघ प्रमुख अगले दो सालों में भारत के कोने-कोने में प्रवास करने वाले हैं। गांव से लेकर शहरों तक संघ प्रमुख की मौजूदगी रहेगी, और हर प्रवास का संदेश होगा—‘हिंदू जागरण’। यह यात्रा सिर्फ संघ के प्रचारकों से मिलने तक सीमित नहीं होगी, बल्कि साधु-संतों से लेकर दलित-बुद्धिजीवियों तक से संवाद का हिस्सा होगी। यानी मोहन भागवत अब सिर्फ संघ प्रमुख नहीं, बल्कि हिंदुत्व के नए ब्रांड एंबेसडर बनने जा रहे हैं।
क्या संघ सत्ता में सीधा दखल देगा?
सबसे बड़ा सवाल यही है कि क्या संघ इस बार सत्ता में भी सीधा दखल देने की तैयारी कर रहा है? राजनीतिक गलियारों में चर्चा गर्म है कि मिशन 2025 के साथ संघ अपनी राजनीतिक शाखा को फिर से सक्रिय कर सकता है। यानी बीजेपी को नई चेतावनी मिल सकती है कि अगर वह संघ के सामाजिक एजेंडे पर पूरी तरह नहीं चलेगी, तो ‘प्लान B’ भी तैयार है। दिल्ली में अगले महीने होने जा रही इस बैठक को लेकर सिर्फ राजधानी ही नहीं, पूरे देश में सियासी पारा चढ़ने वाला है। क्या 2025-26 में भारत की राजनीति पूरी तरह संघमय होने जा रही है? क्या बीजेपी पर संघ का शिकंजा और कसने वाला है?
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