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Kargil Vijay Diwas: जब बिहार के रणबांकुरों ने बर्फीली चोटियों पर दुश्मन को दी मात, टाइगर हिल पर लहराया तिरंगा
Kargil Vijay Diwas: इस ऐतिहासिक विजय में बिहार रेजिमेंट के 18 रणबांकुरों की वीरता अमर गाथा बन गई। कारगिल दिवस पर आइए जानते हैं इससे जुड़े रोचक किस्सों के बारे में
Kargil Vijay Diwas
Kargil Vijay Diwas: 26 जुलाई का दिन हर भारतीय के लिए गर्व और भावुकता से भरा होता है। यह सिर्फ तारीख नहीं, बल्कि भारतीय सेना के अदम्य साहस, दृढ़ संकल्प और सर्वोच्च बलिदान का प्रतीक है। 1999 में इस दिन भारत ने कारगिल युद्ध में पाकिस्तान को मात दी थी। कारगिल विजय दिवस हमें उन वीर सैनिकों की याद दिलाता है जिन्होंने देश की सीमाओं की रक्षा करते हुए अपने प्राणों की आहुति दी। इस ऐतिहासिक विजय में बिहार रेजिमेंट के 18 रणबांकुरों की वीरता अमर गाथा बन गई। कारगिल दिवस पर आइए जानते हैं इससे जुड़े रोचक किस्सों के बारे में -
What happened on July 26?
26 जुलाई को क्या हुआ था?
1999 में भारत और पाकिस्तान के बीच कारगिल की बर्फीली पहाड़ियों पर तीन महीने तक भयंकर युद्ध चला। पाकिस्तान की सेना ने LoC पार कर भारतीय चौकियों पर कब्जा कर लिया था। भारतीय सेना ने ‘ऑपरेशन विजय’ शुरू किया और 26 जुलाई को जीत का ऐलान हुआ। इसी दिन भारत ने टाइगर हिल और अन्य अहम पोस्ट वापस अपने नियंत्रण में ले लिए। जिससे पाकिस्तान के नापाक मंसूबे चूर-चूर हो गए।
How did the Kargil war start?
कारगिल युद्ध की शुरुआत कैसे हुई?
मई 1999 में एक चरवाहे की सूचना पर भारतीय सेना को बटालिक सेक्टर में पाकिस्तानी घुसपैठ की जानकारी मिली। पहले इसे आतंकवादी समझा गया, लेकिन जल्द ही स्पष्ट हुआ कि यह घुसपैठ पाकिस्तानी सेना द्वारा की गई थी। इसके बाद भारतीय वायुसेना और थलसेना ने मिलकर बड़े पैमाने पर जवाबी कार्रवाई की।
The story of Operation Vijay and the victory of Tiger Hill
ऑपरेशन विजय और टाइगर हिल की जीत की कहानी
भारतीय सेना ने ऑपरेशन विजय के तहत पूरे क्षेत्र को दुश्मन से मुक्त कराने के लिए रणनीतिक मोर्चेबंदी की। 4 जुलाई को टाइगर हिल पर कब्जा कर लिया गया, जो युद्ध का निर्णायक मोड़ साबित हुआ। टाइगर हिल की ऊंचाई से दुश्मन पूरे इलाके पर नजर रख सकता था, इसलिए इसे वापस लेना बेहद जरूरी था। बिहार रेजिमेंट ने इसमें अग्रणी भूमिका निभाई।
Kargil war and the glorious contribution of Bihar Regiment
कारगिल युद्ध और बिहार रेजिमेंट का गौरवशाली योगदान
कारगिल युद्ध में बिहार रेजिमेंट की पहली बटालियन बटालिक सेक्टर में तैनात थी। 14,000 फीट की ऊंचाई पर भी जवानों ने हौसला नहीं खोया। मेजर एम. सर्वानन ने सबसे पहले दुश्मनों से लोहा लिया और शहीद हुए। उनके बलिदान के साथ युद्ध की शुरुआत हुई। उनके बाद नायक गणेश यादव, सिपाही अरविंद पांडेय, नायक शत्रुघ्न सिंह जैसे अनेक जवानों ने वीरता की मिसाल पेश की।
Inspirational stories of Shatrughan Singh and Dilip Singh
नायक शत्रुघ्न सिंह और दिलीप सिंह की प्रेरणादायक कहानियां
कारगिल युद्ध के दौरान नायक शत्रुघ्न सिंह को गोली लगने के बाद भी उन्होंने हार नहीं मानी और 11 दिनों तक रेंगते हुए अपने पोस्ट तक लौटे। उनके इस साहस के लिए उन्हें वीर चक्र से सम्मानित किया गया। वहीं समस्तीपुर के नायक दिलीप सिंह ने 28 दिनों तक दुश्मनों से मोर्चा लिया और शहीद हो गए। उनकी बहादुरी को याद करते हुए उन्हें मरणोपरांत सूबेदार बनाया गया।
These are the 18 martyred sons of Bihar Regiment in Kargil war
ये हैं कारगिल युद्ध में बिहार रेजिमेंट के 18 बलिदानी सपूत
कारगिल युद्ध में बिहार के जिन वीरों ने बलिदान दिया, वे सिर्फ नाम नहीं बल्कि इतिहास हैं। पटना, मुजफ्फरपुर, सिवान, वैशाली, भागलपुर जैसे जिलों से आए ये सैनिक आज भी हर बिहारवासी के गर्व का कारण हैं। उनकी स्मृति में बनाए गए पटना के कारगिल चौक पर हर वर्ष श्रद्धांजलि दी जाती है।गांधी मैदान के पास स्थित कारगिल चौक, बिहार रेजिमेंट के वीर जवानों की याद को संजोए हुए है। हर साल यहां पुष्पांजलि समारोह आयोजित होता है। यह स्मारक नई पीढ़ी को प्रेरणा देता है कि राष्ट्रसेवा से बड़ा कोई धर्म नहीं।
इस वर्ष कारगिल विजय की 26वीं वर्षगांठ है। यह हमें न केवल शौर्य की गाथा सुनाता है, बल्कि यह भी सिखाता है कि देश की रक्षा के लिए हर नागरिक को सजग रहना चाहिए। बिहार रेजिमेंट के सपूतों ने जो उदाहरण पेश किया, वह आने वाली पीढ़ियों को राष्ट्रप्रेम की सीख देता रहेगा। कारगिल विजय दिवस केवल एक तारीख नहीं, बल्कि हर भारतीय की आत्मा में बसने वाला उत्सव है। यह विजय उन वीरों के नाम है, जिनकी बदौलत आज हम खुली हवा में सांस ले पा रहे हैं। आइए, 26 जुलाई को उन अमर बलिदानों को नमन करें।
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