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AI Software: अब आप आसानी से समझ सकेंगे जानवरों की भाषा, चीन की कंपनी 'बायडू' द्वारा विकसित हो रहा अनोखा AI सॉफ्टवेयर

AI Software: चीन की एक कंपनी ने जानवरों की बोली को समझने के लिए एक AI सॉफ्टवेयर विकसित कर रहा है। इसके चीन की टेक्नोलॉजी कंपनी बायडू (Baidu) द्वारा विकसित होगा।

Jyotsna Singh
Published on: 13 May 2025 6:47 AM
AI Software to Understand Animals Language
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AI Software to Understand Animal's Language (Image Credit-Social Media)

AI Software to Understand Animal's Language: मानव और जानवरों के बीच संचार की खाई हमेशा से एक जटिल विषय रही है। हम अपने पालतू जानवरों, विशेषकर कुत्तों और बिल्लियों के व्यवहार, ध्वनि या हावभाव से उनका मन समझने की कोशिश करते हैं, परंतु हम यह जानने में असफल रहते हैं कि वास्तव में वे क्या कहना चाहते हैं। ऐसे में चीन की टेक्नोलॉजी कंपनी बायडू (Baidu) द्वारा विकसित किया जा रहा आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस (AI) आधारित एक अनोखा सॉफ्टवेयर इस खाई को पाटने का प्रयास कर रहा है। आइए जानते हैं इस नए क्रांतिकारी तकनीक से जुड़ी जानकारी के बारे में-

क्या है यह नई तकनीक

बायडू द्वारा विकसित किया जा रहा AI सॉफ्टवेयर जानवरों की ध्वनि, शरीर की गतिविधियां, जैविक संकेत और व्यवहार परिवर्तन को एकत्र कर उनके आधार पर विश्लेषण करेगा। यह सिस्टम फिर उस डाटा को मानव-समझ योग्य भाषा में अनुवाद करेगा। इसका मुख्य उद्देश्य पालतू जानवरों के मालिकों को उनके व्यवहार, भावना और आवश्यकताओं को बेहतर ढंग से समझने में मदद करना है।


कैसे करेगा यह सॉफ्टवेयर काम? एक वैज्ञानिक दृष्टिकोण

AI आधारित यह सॉफ्टवेयर कई चरणों में कार्य करेगा जैसे डेटा कलेक्शन। जिसके अंतर्गत जानवर की आवाजें (जैसे भौंकना, गुर्राना), बॉडी लैंग्वेज (पूंछ हिलाना, कानों की स्थिति), और हार्मोनल प्रतिक्रियाएं (जैसे कोर्टिसोल स्तर) जैसे विभिन्न संकेत एकत्र किए जाएंगे। दूसरे चरण में प्रोसेसिंग और विश्लेषण। इसके अन्तर्गत यह डेटा मशीन लर्निंग एल्गोरिद्म के जरिए विश्लेषित किया जाएगा, जिससे यह तय किया जाएगा कि जानवर किस भावना में है जैसे खुशी, डर, भूख, उत्सुकता, दर्द आदि। इसके तीसरे चरण में शामिल है मानव भाषा में अनुवाद। असल में ये सॉफ़्टवेयर जीवों की भावना को पहले से निर्धारित वाक्यों या शब्दों में अनुवाद करेगा जैसे “मैं खेलना चाहता हूं”, “मैं थका हुआ हूं” या “मैं डर रहा हूं”।

क्या यह सॉफ्टवेयर वास्तव में सफल साबित होगा? विशेषज्ञों की राय

इस सॉफ्टवेयर को लेकर ज्यादातर पशु व्यवहार विज्ञानी (Animal Behaviorists) और AI एक्सपर्ट मानते हैं कि यह तकनीक संभव जरूर है लेकिन साथ ही ये अत्यंत जटिल भी साबित होती है। हर जानवर की भावनाएं और व्यक्त करने के तरीके भिन्न होते हैं, इसलिए किसी एक AI मॉडल के लिए सभी जानवरों की भाषा को सटीकता से पकड़ पाना चुनौतीपूर्ण है। हालांकि, कुत्तों की भाषा का अध्ययन और डेटा प्रोसेसिंग अपेक्षाकृत सरल हो सकता है क्योंकि वे इंसानों के साथ लंबे समय से रहते आए हैं और उनके व्यवहार पर पहले से बहुत शोध हो चुका है।


पेटेंट और प्रगति अभी किस स्तर पर है यह प्रोजेक्ट

बायडू ने दिसंबर 2024 में इस सॉफ्टवेयर की पेटेंट फाइलिंग चीन के "नेशनल इंटेलेक्चुअल प्रॉपर्टी एडमिनिस्ट्रेशन" में की थी, जिसे अब सार्वजनिक किया गया है। कंपनी के अनुसार, यह प्रोजेक्ट अभी भी शोध और परीक्षण चरण में है, लेकिन वे इस तकनीक को जल्द ही प्रोटोटाइप स्तर पर लाना चाहते हैं।

क्या पहले भी ऐसे प्रयास हुए हैं

हां, इससे पहले भी कई ऐप्स और डिवाइसेज़ सामने आए हैं, जो जानवरों की आवाजों का अनुवाद करने का दावा करते हैं। उदाहरण के तौर पर Pet Translator App (Android/iOS) यह कुत्तों और बिल्लियों की आवाज को रिकॉर्ड कर संभावित भावना दिखाता है। No More Woof एक स्कैंडिनेवियाई टीम द्वारा विकसित प्रोटोटाइप डिवाइस, जो EEG (ब्रेनवेव्स) के माध्यम से जानवरों की सोच समझने की कोशिश करता है। हालांकि, ये सभी उपकरण मनोरंजन के लिए उपयुक्त हैं, वैज्ञानिक दृष्टिकोण से इनकी सटीकता सीमित है।

चुनौतियां और सीमाएं

जानवरों की भाषा को समझने में मददगार बन रहा AI आधारित इस सॉफ्टवेयर से जुड़ी भविष्य में कई संभावनाएं दिखाई दे रहीं हैं वहीं कई बड़ी चुनौतियां भी सामने आ रहीं हैं। जिसमें मुख्य तौर पर है डेटा विविधता की चुनौती। असल में विभिन्न नस्लों के जानवरों में व्यवहार में अंतर होता है। किसी एक नस्ल पर काम करने वाला सॉफ़्टवेयर दूसरी पर कारगर नहीं हो सकता। संवेदनशीलता और नैतिकता की बाधा। जानवरों के निजी जैविक संकेतों को रिकॉर्ड करने पर गोपनीयता और नैतिक सवाल उठ सकते हैं। सटीकता का अभाव हो सकता है। मशीन लर्निंग तब तक सटीक नहीं हो सकती जब तक विशाल और विविध डेटा सेट न हो। भाषा अनुवाद की जटिलता इंसानी भाषा में भावना का अनुवाद करना कठिन है, फिर जानवरों के मामले में यह और जटिल हो जाता है।


संभावनाएं और उपयोग के क्षेत्र

इस तरह के AI सॉफ़्टवेयर भविष्य में कई क्षेत्रों में क्रांति ला सकते हैं। उदाहरण के तौर पर पालतू जानवरों की जरूरतें समझने में सहायक, पशु चिकित्सा में सहायक। जानवर खुद तो बता नहीं सकते कि उन्हें क्या तकलीफ है, यह तकनीक डॉक्टरों को लक्षण समझने में मदद कर सकती है। वाइल्डलाइफ रिसर्च में सहायक। जंगली जानवरों की भाषा को समझना संरक्षण प्रयासों में मददगार हो सकता है। सुरक्षा एजेंसियों के लिए सहायक। इस डिवाइस की मदद से बम सूंघने वाले या खोजी कुत्तों के व्यवहार को बेहतर समझा जा सकता है। इसी के साथ AI इंटरफेस की मदद से AI आधारित रोबोट और जानवरों के बीच सहयोग संभव हो सकता है।

भविष्य की चुनौती...क्या AI जानवरों के भावों को पूरी तरह समझ पाएगा

AI का क्षेत्र तेजी से बढ़ रहा है और आज हम ऐसे मॉडल बना चुके हैं जो इंसानों की भावनाओं को काफी हद तक समझ सकते हैं। यदि पर्याप्त डेटा और प्रशिक्षण दिया जाए, तो यह कल्पना भी दूर की बात नहीं कि AI एक दिन जानवरों के ‘मन की बात’ भी पढ़ सके।


बायडू का यह प्रयास मानव और जानवरों के बीच की सबसे पुरानी बाधा संचार की कमी को तकनीकी नवाचार से तोड़ने की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। हालांकि, यह अभी शुरुआती चरण में है, लेकिन इसकी संभावनाएं अपार हैं। यदि यह परियोजना सफल होती है, तो यह न केवल पालतू जानवरों के मालिकों के लिए बल्कि पशु संरक्षण, चिकित्सा और वैज्ञानिक शोध के लिए भी बेहद उपयोगी साबित हो सकती है।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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