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गीता और आधुनिक प्रबंधन: जीवन और व्यवसाय का सार

Bhagwat Gita and Modern Management : श्रीमद्भगवद्गीता में मनुष्य के हर प्रश्न का उत्तर मौजूद है इतना ही नहीं बल्कि ये हमें ज्ञान हमें नेतृत्व, निर्णय लेने की क्षमता और आत्म-प्रबंधन की कला सिखाता है।

Ankit Awasthi
Published on: 29 May 2025 10:36 AM IST
Bhagwat Gita and Modern Management
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Bhagwat Gita and Modern Management (Image Credit-Social Media)

Bhagwat Gita and Modern Management : श्रीमद्भगवद्गीता न केवल एक धार्मिक ग्रंथ है, बल्कि जीवन प्रबंधन का एक अद्भुत मार्गदर्शक भी है। आज के प्रतिस्पर्धी युग में, जहाँ तनाव, अनिश्चितता और चुनौतियाँ बढ़ रही हैं, गीता का ज्ञान हमें नेतृत्व, निर्णय लेने की क्षमता और आत्म-प्रबंधन की कला सिखाता है। गीता के सिद्धांतों को यदि आधुनिक प्रबंधन के साथ जोड़ दिया जाए, तो व्यक्तिगत और पेशेवर जीवन में सफलता प्राप्त करना आसान हो जाता है।

1. नेतृत्व और कर्मयोग

गीता में भगवान कृष्ण अर्जुन को कर्मयोग का पाठ पढ़ाते हैं—"कर्मण्येवाधिकारस्ते मा फलेषु कदाचन।" यह सिद्धांत बताता है कि हमें केवल अपने कर्तव्य पर ध्यान देना चाहिए, फल की चिंता नहीं करनी चाहिए। आधुनिक प्रबंधन में भी यही सिखाया जाता है कि एक अच्छा लीडर परिणामों के बजाय प्रक्रिया पर फोकस करता है। सफल नेताओं का यही मंत्र होता है—"कर्म करो, परिणाम की चिंता मत करो।"

2. निर्णय लेने की कला

महाभारत के युद्ध के मैदान में अर्जुन जब भ्रमित हो जाते है, तो कृष्ण उसे निर्णय लेने का सही तरीका बताते हैं। वे कहते हैं—"योगः कर्मसु कौशलम्" (कर्म में कुशलता ही योग है)। प्रबंधन में भी डेटा, विश्लेषण और धैर्यपूर्वक निर्णय लेना महत्वपूर्ण है। एक मैनेजर को भावनाओं में बहकर नहीं, बल्कि तर्क और दूरदर्शिता के साथ फैसले लेने चाहिए।

3. तनाव प्रबंधन और मानसिक संतुलन

आज के दौर में तनाव एक बड़ी समस्या है। गीता में कृष्ण कहते हैं—"समत्वं योग उच्यते" (समभाव ही योग है)। यानी सफलता और विफलता, लाभ और हानि में समान भाव रखना चाहिए। प्रबंधन की दुनिया में भी इमोशनल इंटेलिजेंस (EQ) को महत्व दिया जाता है। जो लोग तनाव को मैनेज करना जानते हैं, वे ही लंबे समय तक सफल रहते हैं।

4. टीम वर्क और एकता

गीता में भगवान कृष्ण ने सामूहिक उद्देश्य की महत्ता बताई है। महाभारत का युद्ध अकेले अर्जुन नहीं, बल्कि पूरी पांडव सेना ने मिलकर जीता था। आधुनिक प्रबंधन में भी टीमवर्क को सफलता की कुंजी माना जाता है। एक अच्छा प्रबंधक वही होता है जो अपनी टीम को प्रेरित करके सामूहिक लक्ष्य की ओर ले जाता है।

5. नैतिकता और धर्मसंगत प्रबंधन

गीता में धर्म का सिद्धांत बताया गया है—"स्वधर्मे निधनं श्रेयः परधर्मो भयावहः।" यानी अपने कर्तव्य का पालन करना ही श्रेष्ठ है। बिजनेस और प्रबंधन में भी नैतिकता (Ethics) और कॉर्पोरेट गवर्नेंस को महत्व दिया जाता है। जो कंपनियाँ ईमानदारी और सामाजिक जिम्मेदारी के साथ काम करती हैं, वे लंबे समय तक टिक पाती हैं।

गीता केवल आध्यात्मिक ग्रंथ नहीं, बल्कि एक सम्पूर्ण प्रबंधन गाइड है। इसके सिद्धांतों को अपनाकर हम न केवल अपने करियर, बल्कि पूरे जीवन को बेहतर ढंग से मैनेज कर सकते हैं। गीता का संदेश स्पष्ट है—कर्म करो, निष्काम भाव रखो, नैतिक रहो और टीम के साथ मिलकर आगे बढ़ो। यही सच्चा प्रबंधन है!

"यदा यदा हि धर्मस्य ग्लानिर्भवति भारत।"

(जब-जब धर्म का नाश होता है, तब-तब मैं अवतार लेता हूँ।)

— भगवान कृष्ण

इसी तरह, जब भी प्रबंधन में समस्याएँ आएँ, गीता का ज्ञान हमारा मार्गदर्शन कर सकता है।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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