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Warning! ChatGPT किस प्रकार खा रहा है आपका दिमाग, MIT की रिपोर्ट में सामने आयी AI की काली सच्चाई

MIT ChatGPT Report: अमेरिका की मशहूर यूनिवर्सिटी MIT (Massachusetts Institute of Technology) ने ChatGPT पर एक हैरान कर देने वाली रिसर्च की है।

Priya Singh Bisen
Published on: 20 Jun 2025 5:39 PM IST
MIT ChatGPT Report
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MIT ChatGPT Report

MIT ChatGPT Report: आजकल हर कोई ChatGPT का यूज़ कर रहा है। स्कूल हो या कॉर्पोरेट सेक्टर, हर क्षेत्र के लोग AI के सहयोग से काम आसान बना रहे हैं। लेकिन क्या आप जानते हैं कि इस प्रकार की तकनीक का आपके दिमाग पर क्या प्रभाव पड़ सकता है? अमेरिका की मशहूर यूनिवर्सिटी MIT (Massachusetts Institute of Technology) ने ChatGPT पर एक हैरान कर देने वाली रिसर्च की है।

रिसर्च में सामने आया है कि जो लोग ChatGPT से निबंध या किसी विषय पर रिपोर्ट तैयार करते हैं, तो उनके दिमाग की सोचने की क्षमता घटती जा रही है। यह प्रभाव धीरे-धीरे उनकी याददाश्त (memory) और रचनात्मकता (creativity) भी पड़ रहा है।

रिसर्च में क्या किया गया?

MIT के वैज्ञानिकों ने इस रिसर्च में लगभग 54 लोग शामिल थे। इन लोगों को तीन अलग-अलग ग्रुप में बांटा गया:

1. पहला ग्रुप: बिना किसी सहायता के निबंध लिखा।

2. दूसरा ग्रुप: गूगल के सहयोग से निबंध लिखा।

3. तीसरा ग्रुप: ChatGPT का यूज़ किया।

सभी लोगों का दिमाग EEG मशीन से चेक किया गया, जिससे सामने आया कि ChatGPT यूज़ करने वाले लोगों का दिमाग सबसे कम एक्टिव था।

क्या प्रभाव हुआ दिमाग पर?


- ChatGPT यूज़ करने वाले लोगों का दिमागी जुड़ाव (brain connectivity) तकरीबन 55% तक घट गया है।

- वे लोग जो केवल अपने दिमाग लगाकर लिख रहे थे, उनका दिमाग सबसे अधिक एक्टिव था।

- ChatGPT का अधिक यूज़ करने वाले लोग अपने निबंध को ठीक से याद भी नहीं रख पा रहे थे।

Note: MIT की इस रिसर्च में यह भी खुलासा हुआ कि ChatGPT से तैयार किये गए लेखों में नयापन और विचारों की कुछ खास गहराई नहीं थी। वे लेख बहुत सतही लग रहे थे।

क्या है 'Cognitive Debt' ?

रिसर्च में एक नया शब्द सामने आया है जिसका नाम है 'Cognitive Debt' है। इसका अर्थ होता है - जब हम सोचने और याद रखने के लिए मशीनों पर निर्भर हो जाते हैं, तो हमारा खुद का दिमाग कमजोर होने लगता है। उदहारण के लिए: जैसे हम कैलकुलेटर पर विशवास करके जोड़-घटाना भूल जाते हैं, वैसे ही AI पर विश्वास करके हम सोचना और समझना भी छोड़ देते हैं।

ChatGPT vs Google


रिसर्च के मुताबिक, Google से जानकारी लेने वाले लोग थोड़ा अधिक सोचते हैं क्योंकि उन्हें खुद समझना पड़ता है। लेकिन ChatGPT सब कुछ तैयार करके दे देता है, जिससे दिमाग को ज़रा भी मेहनत नहीं करनी पड़ती। इससे यह साफ़ ज़ाहिर होता है कि Google के मुकाबले ChatGPT और भी अधिक दिमाग को सुस्त करता है।

शिक्षा पर प्रभाव

इस रिपोर्ट के सामने आने के बाद शिक्षाविद और स्कूलों में पढ़ाने वाले टीचर भी बड़ी चिंता में हैं। बच्चों में रचनात्मकता (Creativity) और सोचने की क्षमता (Critical Thinking) तेजी से घट रही है। MIT की रिसर्चर नतालिया कोस्मिना का स्पष्ट रूप से कहना हैं – “AI एक सहायक टूल है, लेकिन जब हम उस पर पूरी तरह निर्भर हो जाते हैं, तो हम खुद सोचना बंद कर देते हैं।”

क्या है समाधान ?

रिसर्च के मुताबिक, ChatGPT का यूज़ पूरी तरह से बंद नहीं करना चाहिए, लेकिन इसे सही तरीके से यूज़ करना चाहिए। जैसे कि:

- पहले खुद सोच-विचार करें, फिर AI से सलाह लें।

- ChatGPT से केवल सुझाव या सही भाषा के लिए सहयोग लें, लेकिन पूरा काम खुद के दिमाग से ही करें।

- स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को AI का सतर्कता से इस्तेमाल करना सिखाया जाए।

अब MIT की रिपोर्ट से बड़ा खुलासा हो गया जो एक बड़ा सबक है, जैसे कि तकनीक का सहयोग लेना अच्छी बात है, लेकिन आवश्यकता से अधिक विश्वास हमें कमजोर बना सकता है। ChatGPT जैसे AI टूल्स हमें स्मार्ट बना सकते हैं, यदि हम उन्हें सही तरीके से यूज़ करें। यदि हम केवल मशीन पर विश्वास करते रहेंगे, तो हमारी सोचने की क्षमता, स्मरण शक्ति और रचनात्मकता धीरे-धीरे घट सकती है।

इस रिसर्च पर आपका क्या मानना है?

क्या आप भी ChatGPT का इस्तेमाल करते हैं? क्या आपको लगता है कि इससे आपकी सोचने की शक्ति पर प्रभाव पड़ा है? ये केवल सवाल ही नहीं बल्कि इसके माध्यम से आपका भविष्य तैयार होगा और साथ ही इस बात का फैसला होगा कि आप खुद के लिए कितने गंभीर हैं, क्योंकि ChatGPT जैसे AI टूल्स केवल आप तक ही नहीं, बल्कि आने वाली पीढ़ियों का भविष्य भी तय करेगा। अब फैसला आपका.... और भविष्य भी!

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