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Famous Serial Killer: 18वीं सदी का कुख्यात हत्यारा जिसने रुमाल से रची 931 हत्याओं की खौफनाक दास्तान

Sabse Bada Serial Killer: ठग बेहराम का नाम आज भी इतिहास के सबसे डरावने और रहस्यमयी हत्यारों में शुमार किया जाता है।

Shivani Jawanjal
Published on: 8 July 2025 7:46 PM IST
Famous Serial Killer
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Famous Serial Killer

Famous Serial Killer: 18वीं और 19वीं सदी का भारत सामाजिक, राजनीतिक और सांस्कृतिक उथल-पुथल का दौर था। इसी कालखंड में अवध क्षेत्र में एक ऐसा नाम उभरा, जिसने अपने अपराधों से न केवल भारत, बल्कि ब्रिटिश हुकूमत तक को हिला दिया वह नाम था ठग बेहराम। उसे इतिहास के सबसे कुख्यात सीरियल किलर और 'ठगों के राजा' के रूप में जाना जाता है। बेहराम का आतंक इतना गहरा था कि उसका नाम गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में भी दर्ज है और उसकी क्रूरता की कहानियाँ आज भी लोगों को सिहरने पर मजबूर कर देती हैं।

आइये जानते है इसके पीछे की खौफनाक सच्चाई!

जन्म, पृष्ठभूमि और शुरुआती जीवन


ठग बेहराम(Thug Behram) का जन्म 1765 के आसपास मध्य भारत के जबलपुर क्षेत्र (वर्तमान मध्य प्रदेश) में हुआ था। शुरुआती जीवन में वह एक सामान्य बालक था, लेकिन किशोरावस्था में उसकी मुलाकात सैयद अमीर अली नामक एक कुख्यात ठग से हुई। अमीर अली से उसने ठगी के सारे गुर सीखे और जल्द ही खुद भी ठगों के गिरोह का हिस्सा बन गया। लगभग 25 वर्ष की उम्र में बेहराम ने अपराध की दुनिया में कदम रखा और अगले कुछ वर्षों में वह ठगों का सरदार बन गया।

ठग पंथ और अवध क्षेत्र में सक्रियता

ठग पंथ (Thuggee Cult) भारत में एक संगठित अपराध गिरोह था जो यात्रियों, व्यापारियों, सैनिकों और तीर्थयात्रियों को अपना शिकार बनाता था। ठगों का मुख्य उद्देश्य लूटपाट और हत्या था और इसके लिए वे अत्यंत सुनियोजित तरीके से काम करते थे। अवध क्षेत्र, जो उस समय व्यापार और तीर्थयात्रा का महत्वपूर्ण केंद्र था, ठगों की गतिविधियों का मुख्य क्षेत्र बन गया। ठग बेहराम इसी गिरोह का प्रमुख था जिसके गिरोह में लगभग 200 सदस्य शामिल थे।

हत्या का तरीका - रुमाल और सिक्का


ठग बेहराम(Thug Behram)की हत्याओं का तरीका बेहद अनूठा और भयावह था। वह पीले रंग के रुमाल (rumal) का इस्तेमाल करता था जिसमें एक विशेष प्रकार का सिक्का या धातु का टुकड़ा बांध दिया जाता था। जब शिकार सो रहा होता या असावधान होता, तब बेहराम या उसके साथी गले में रुमाल डालकर सिक्के को गले की नली (एडम्स एप्पल) पर जोर से दबाते और पलभर में ही व्यक्ति का दम घुट जाता। यह तरीका इतना कारगर था कि शिकार को बचने का कोई मौका नहीं मिलता था और हत्या के बाद शव को या तो कुएं में फेंक दिया जाता या जमीन में गाड़ दिया जाता, जिससे पुलिस को लाशें तक नहीं मिलती थीं।

अपराधों की भयावहता और गिरोह की कार्यशैली


ठग गिरोहों की सबसे ख़तरनाक और चौंकाने वाली विशेषता थी उनका दोस्ती और विश्वास की आड़ में हमला करना। बेहराम जैसे ठग बेहद चालाकी से यात्रियों के काफिले में शामिल हो जाते और खुद को सहयात्री या व्यापारी बताकर दोस्ती करते और धीरे-धीरे उनका भरोसा जीत लेते। यही उनकी सबसे घातक रणनीति थी। हत्या के लिए गिरोह के भीतर एक विशेष 'संकेत प्रणाली' विकसित की गई थी। कभी खाँसी की आवाज़, कभी कोई निश्चित वाक्य, तो कभी गीदड़ की आवाज़ जैसे संकेत मिलते ही हमला शुरू हो जाता। बेहराम या उसके साथी एक विशेष रुमाल का इस्तेमाल करते थे, जिसमें अक्सर एक सिक्का या लोहे का कड़ा बाँधा होता था। जैसे ही हमला करने का संकेत मिलता, वे उस रुमाल को बेहद तेजी और कुशलता से शिकार की गर्दन के चारों ओर लपेटते और कुछ ही पलों में उसका दम घोट देते थे।

यह हत्या इतनी सफाई और चुपचाप होती थी कि आसपास के लोगों को ज़रा भी शक नहीं होता था। ठगों का नियम था कि शोर न हो और अन्य यात्रियों को कुछ पता न चले। हत्या के बाद शव को या तो कुएं में फेंक दिया जाता या जमीन में गाड़ दिया जाता, जिससे पुलिस को लाशें तक नहीं मिलती थीं। जिसके बाद मृतक का सामान आपस में बाँट लिया जाता। बेहराम का गिरोह इतना संगठित और शातिर था कि कई बार वे पूरे व्यापारिक या तीर्थयात्रियों के समूह को ही गायब कर देते थे। इन घटनाओं से पूरे इलाकों में डर का माहौल बन गया था। बेहराम का नाम सुनते ही लोग यात्रा करने से डरने लगे थे, यहाँ तक कि अंग्रेज़ी सेना के जवान भी इन रास्तों से गुजरने में हिचकिचाते थे। ठगों का यह साया इतना भयावह था कि लोगों ने अकेले सफर करना ही बंद कर दिया था।

हत्याओं की संख्या और विवाद

ठग बेहराम के नाम पर 931 हत्याओं का आरोप है जो गिनीज बुक ऑफ वर्ल्ड रिकॉर्ड्स में दर्ज है। हालांकि ईस्ट इंडिया कंपनी के अफसर जेम्स पैटोन की रिपोर्ट के अनुसार बेहराम ने खुद स्वीकार किया था कि वह 931 हत्याओं में 'मौजूद' रहा। लेकिन उसने अपने हाथों से लगभग 125 लोगों की हत्या की थी और 150 अन्य हत्याओं को अपनी आंखों से देखा था। फिर भी उसकी संलिप्तता और गिरोह के नेतृत्व ने उसे इतिहास का सबसे खतरनाक सीरियल किलर बना दिया।

अंग्रेजी राज की प्रतिक्रिया


जब अंग्रेजों को ठगों की इस सामूहिक हिंसा का पता चला, तो उन्होंने इसे महज चोरी या हत्या न मानकर एक राष्ट्रीय सुरक्षा संकट माना। ब्रिटिश सरकार ने कर्नल विलियम हेनरी स्लिमन (William Henry Sleeman) को 1830 के दशक में विशेष रूप से नियुक्त किया ताकि इस ‘ठग’ गिरोह को खत्म किया जा सके। स्लिमन ने इस गिरोह की तह तक जाकर सैकड़ों ठगों को गिरफ्तार कराया।

1838-1839 के आसपास गिरफ्तार कर लिया गया। उसके बाद उसे लंबे समय तक पूछताछ में रखा गया और उसकी गवाही के आधार पर कई अन्य ठगों को भी पकड़ा गया। ठग गिरोहों को पकड़ने के लिए अंग्रेजों ने लगभग एक दशक तक प्रयास किए, जिसमें स्लीमैन की भूमिका प्रमुख रही।

बेहराम की गिरफ्तारी और कबूलनामे


ठग बेहराम की गिरफ्तारी भारत के अपराध इतिहास की सबसे बड़ी घटनाओं में से एक मानी जाती है। गिरफ्तारी के बाद उसने जो स्वीकारोक्ति दी, उसने ब्रिटिश हुकूमत को चौंका दिया। उसने बताया कि उसने स्वयं 125 से 150 लोगों की हत्या की थी लेकिन कुल मिलाकर 931 हत्याओं में वह सक्रिय रूप से शामिल था।

बेहराम की इस कबूलनामा ने अंग्रेज़ों को ठगों के खतरे की गंभीरता का अहसास कराया और इसी के चलते ब्रिटिश सरकार ने ठग विरोधी एक विशेष अभियान शुरू किया। इस अभियान का नेतृत्व किया कैप्टन विलियम स्लीमैन ने, जिन्होंने ठग गिरोहों की खोजबीन, गिरफ्तारी और उनके नेटवर्क को तोड़ने के लिए एक अलग विभाग की स्थापना की।

हालांकि बेहराम के अंत को लेकर इतिहासकारों और स्रोतों में मतभेद है। कुछ ब्रिटिश दस्तावेजों में उल्लेख है कि उसे फाँसी दी गई और लगभग 1840 के आसपास उसकी मौत हो गई। हालांकि कई अन्य स्रोतों और लोकप्रिय मान्यताओं के अनुसार बेहराम को फाँसी नहीं दी गई थी। इसके बजाय अंग्रेज़ों ने उसे जीवित रखा ताकि वह ठग गिरोहों की संरचना, रणनीतियों और छिपे हुए सदस्यों की जानकारी दे सके। इस भूमिका में वह एक 'इन्फॉर्मर' बन गया। जिसने ब्रिटिशों को ठगों के खिलाफ निर्णायक कार्रवाई करने में मदद की। यह विरोधाभास ही बेहराम की कहानी को और अधिक रहस्यमयी और जटिल बना देता है।

ठगों का पतन और ऐतिहासिक महत्व


ठग बेहराम की गिरफ्तारी केवल एक व्यक्ति की पकड़ नहीं थी बल्कि भारत में फैले एक पूरे संगठित अपराध तंत्र के पतन की शुरुआत थी। उसकी गिरफ्तारी के बाद ब्रिटिश सरकार ने कैप्टन स्लीमैन के नेतृत्व में ठगों के विरुद्ध एक बड़ा और संगठित अभियान चलाया। इस अभियान के दौरान सैकड़ों ठगों को पकड़ा गया, उनके नेटवर्क को तोड़ा गया और एक ऐसा अपराध पंथ जो वर्षों से आम लोगों में दहशत का कारण बना हुआ था लगभग समाप्त हो गया।

बेहराम और उसके गिरोह के आतंक ने समाज और प्रशासन दोनों को गहराई से प्रभावित किया। उसकी गिरफ्तारी के बाद अनेक रहस्यमय गुमशुदगियों का पर्दाफाश हुआ जो वर्षों से स्थानीय जनजीवन और प्रशासन के लिए एक अनसुलझी पहेली बने हुए थे। यह घटना ब्रिटिश अधिकारियों के लिए भी चेतावनी थी कि भारत में संगठित अपराध किस स्तर तक सक्रिय हो सकता है।

आज भी ठग बेहराम का इतिहास अपराधशास्त्र, समाजशास्त्र और इतिहास के विद्यार्थियों के लिए गहन अध्ययन का विषय बना हुआ है। उसकी कार्यप्रणाली, गिरोह की संरचना, धार्मिक आस्था से जुड़ी हिंसा और ब्रिटिश प्रशासन की रणनीति पर अनेक शोध किए गए हैं। यह प्रकरण एक उदाहरण है कि कैसे संगठित अपराध, धार्मिक आस्था, और सामाजिक संरचना मिलकर इतिहास की एक भयावह परत बनाते हैं जिसे समझना आज भी उतना ही जरूरी है।

ठग बेहराम की विरासत और सांस्कृतिक प्रभाव

ठग बेहराम की विरासत भारतीय अपराध इतिहास में केवल एक नाम नहीं बल्कि संगठित अपराध और क्रूरता का प्रतीक बन चुकी है। वह 'ठग संस्कृति' का सबसे कुख्यात चेहरा माना जाता है जिसने अपराध को धार्मिक विश्वास, रणनीति और संगठन के साथ जोड़कर एक अलग ही भयावह रूप दे दिया। दिलचस्प बात यह है कि अंग्रेजी में आज प्रचलित 'Thug' शब्द भी हिंदी के 'ठग' से ही लिया गया है। जिसका अर्थ है धोखेबाज़, लुटेरा या हत्यारा। यह शब्द अब अंतरराष्ट्रीय अपराध शब्दावली का हिस्सा बन चुका है।

बेहराम और उसके जैसे ठगों की कहानियाँ केवल इतिहास तक सीमित नहीं रहीं बल्कि साहित्य, सिनेमा और शोध का विषय भी बनीं। फिलिप मीडोज़ टेलर की प्रसिद्ध पुस्तक Confessions of a Thug (1839) ने पहली बार पश्चिमी दुनिया को ठगों के जाल और उनकी कार्यप्रणाली से परिचित कराया। यह किताब ठगों के इतिहास को समझने का महत्वपूर्ण दस्तावेज मानी जाती है। इसके अलावा कई आधुनिक लेखक और इतिहासकार भी इस विषय पर शोध कर चुके हैं।

1988 में बनी हॉलीवुड फिल्म The Deceivers ने भी इस रहस्यमयी और खौफनाक दुनिया को पर्दे पर उतारा जिसमें प्रमुख भूमिका में थे पियर्स ब्रॉसनन। यह फिल्म ठगों के काले इतिहास और ब्रिटिश अधिकारियों के अभियानों को दर्शाती है। ठग बेहराम की यह विरासत आज भी इतिहास, समाज और संस्कृति के विश्लेषण में एक रहस्यमयी किंतु ज़रूरी अध्याय के रूप में जीवित है।

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