Ganesh Chaturthi Bhog: गणेश चतुर्थी पर 10 दिनों तक बप्पा को चढ़ाएं उनका प्रिय नैवेद्य

Ganesh Chaturthi Naivedya: गणेश जी के प्रिय व्यंजन दस दिनों तक श्रद्धापूर्वक भोग लगाए जाएं...

Jyotsna Singh
Published on: 4 Sept 2025 8:00 AM IST
Ganesh Chaturthi
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Ganesh Chaturthi (Image Credit-Social Media)

Ganesh Chaturthi Naivedya: भारत की मिट्टी में त्योहारों की खुशबू घुली हुई है। हर पर्व अपने साथ आस्था, उल्लास और स्वाद की छटा लेकर आता है। इन्हीं पर्वों में सबसे प्रिय है गणेश चतुर्थी। भाद्रपद माह की चतुर्थी से शुरू होकर अनंत चतुर्दशी तक दस दिनों तक चलने वाला यह उत्सव घर-घर और पंडालों में अपार श्रद्धा के साथ मनाया जाता है। इन दिनों वातावरण सिर्फ पूजा और भक्ति से ही नहीं, बल्कि रसोई में बन रहे स्वादिष्ट नैवेद्यों की सुगंध से भी महक उठता है। भगवान गणेश को प्रसाद अत्यंत प्रिय है। उन्हें मोदकप्रिय कहा जाता है, यानी उनकी सबसे पसंदीदा मिठाई मोदक है। लेकिन केवल मोदक ही नहीं, बल्कि लड्डू, पूरन पोली, श्रीखंड, खीर, नारियल और कई तरह की मिठाइयां भी उन्हें अर्पित की जाती हैं। परंपरा है कि गणेश जी के प्रिय व्यंजन यदि दस दिनों तक श्रद्धापूर्वक भोग लगाए जाएं, तो भक्त की हर मनोकामना पूरी होती है।

आइए जानते हैं वो कौन से भोग हैं जिन्हें श्री गणेश को अर्पित करने से वे प्रसन्न होते हैं मनोकामनाएं पूर्ण होती हैं -

क्या है नैवेद्य की परंपरा


भारतीय संस्कृति में भोजन को उन देवताओं को अर्पित करने की एक पौराणिक परम्परा सदियों से चली आ रही है। जिनकी हम पूजा करते हैं। नैवेद्य का अर्थ है, भोजन को प्रेमपूर्वक भगवान को अर्पित करना। माना जाता है कि जिस भक्ति और शुद्ध भाव से हम प्रसाद बनाते हैं, उसी भाव से भगवान उसे स्वीकार करते हैं। गणपति बप्पा को तो वैसे भी सरल और शीघ्र प्रसन्न होने वाला देवता माना गया है। जिन्हें कुछ ऐसे नैवेद्य हैं जो उन्हें बेहद प्रिय हैं।

मोदक बप्पा का सबसे प्रिय प्रसाद

गणेश चतुर्थी का नाम लेते ही सबसे पहले जिस व्यंजन का ख्याल आता है, वह है मोदक। महाराष्ट्र की रसोई में इसे उकडीचे मोदक कहा जाता है। चावल के आटे से बनी इसकी पोटली में गुड़ और नारियल की भरावन होती है। जिसे भाप में पकाकर तैयार किया जाता है। इसका स्वाद और सुगंध इतनी दिव्य होती है कि इसे खाते ही मन आनंद से भर उठता है। शास्त्रों में मोदक को ज्ञान का प्रतीक माना गया है। यही कारण है कि गणपति की मूर्ति के हाथ में भी अक्सर मोदक दिखाई देता है। श्रद्धालु मानते हैं कि 21 मोदक अर्पित करने से घर में सुख, समृद्धि और ज्ञान का वास होता है।

लड्डू - आनंद और समृद्धि का प्रतीक

लड्डू के बिना गणेश उत्सव अधूरा लगता है। मोतीचूर के छोटे-छोटे लड्डू हों या घी-खुशबू से भरे बेसन के लड्डू, दोनों ही गणपति को प्रिय हैं। मोतीचूर के लड्डू आनंद और उल्लास का प्रतीक है। जबकि बेसन के लड्डू शक्ति और ऊर्जा का। जब भक्त प्रेमपूर्वक लड्डू का भोग लगाता है, तो यह माना जाता है कि घर में ऐश्वर्य और शांति आती है।

पूरन पोली- प्रेम और आथित्य का प्रतीक


महाराष्ट्र और कर्नाटक की रसोई में गणेशोत्सव के समय पूरन पोली की खास तैयारी होती है। गुड़ और दाल से बनी मीठी भरावन को आटे की पतली रोटी में भरकर तैयार की जाने वाली यह डिश केवल भोजन नहीं बल्कि प्रेम और आतिथ्य का प्रतीक है। परिवार के लोग जब पूरन पोली बनाकर गणपति को अर्पित करते हैं, तो यह माना जाता है कि घर में प्रेम और एकता बनी रहती है।

केले का भोग- शुभता का प्रतीक फल

भारतीय पूजा परंपराओं में केला हमेशा शुभ फल माना गया है। गणपति को केला चढ़ाने से जीवन में सकारात्मक ऊर्जा का संचार होता है। यह श्रीवृद्धि और संतान सुख का प्रतीक है। इसीलिए गणेशोत्सव के दौरान लोग केले या केले से बने हलवे का नैवेद्य लगाकर अपनी श्रद्धा प्रकट करते हैं।

मखाने की खीर- सम्पन्नता का प्रसाद

दूध, मखाने और मेवों से बनी खीर बेहद पवित्र मानी जाती है। यह केवल स्वाद ही नहीं, बल्कि समृद्धि का प्रतीक भी है। श्रद्धालु विश्वास करते हैं कि गणपति को मखाने की खीर अर्पित करने से घर में आर्थिक समस्याएं दूर होती हैं और लक्ष्मी का वास होता है।

नारियल - पवित्रता और बलिदान का प्रतीक

पूजा में नारियल का स्थान अद्वितीय है। इसे त्रिदेव का प्रतीक माना गया है। जब नारियल फोड़ा जाता है तो यह संदेश देता है कि हमें अपने अहंकार का त्याग कर देना चाहिए। गणपति को नारियल या नारियल के लड्डू अर्पित करने से जीवन की हर बाधा दूर होती है और सफलता के द्वार खुलते हैं।

श्रीखंड - शांति और प्रसन्नता का दूत

महाराष्ट्र और गुजरात में श्रीखंड गणेशोत्सव का अनिवार्य हिस्सा है। दही, चीनी और केसर से बना यह व्यंजन न केवल स्वाद में लाजवाब होता है, बल्कि मन को शीतलता और संतुलन भी प्रदान करता है। माना जाता है कि श्रीखंड का प्रसाद अर्पित करने से घर में आनंद और मानसिक शांति बनी रहती है।

चूरमा- मेहनत और संतोष का प्रतीक


राजस्थान की प्रसिद्ध मिठाई चूरमा भी गणपति को अर्पित की जाती है। इसे गेहूं के आटे, घी और गुड़ से बनाया जाता है। यह व्यंजन सिखाता है कि परिश्रम का फल मीठा होता है। गणपति को चूरमा अर्पित करने से दुख-दर्द दूर होते हैं और जीवन में संतोष की अनुभूति होती है।

पंचामृत- पांच तत्वों का संगम

दूध, दही, घी, शहद और गंगाजल मिलाकर बनने वाला पंचामृत हर पूजा का अभिन्न हिस्सा है। यह पांचों अमृत शुद्धता और पवित्रता का प्रतीक हैं। गणपति के अभिषेक और नैवेद्य में पंचामृत का विशेष महत्व है। इसे अर्पित करने से शरीर और मन दोनों ही शुद्ध माने जाते हैं।

बप्पा के अन्य प्रिय प्रसाद

गणपति को पेड़े, सूजी का हलवा, रसमलाई और सूखे मेवे भी अर्पित किए जाते हैं। ये व्यंजन जीवन में मिठास और आनंद बढ़ाने वाले माने जाते हैं। भक्त जब पूरे मन से यह प्रसाद चढ़ाते हैं, तो उनका जीवन खुशियों और समृद्धि से भर जाता है।

प्रसाद केवल भोजन नहीं होता। यह भक्त की भावनाओं का प्रतीक होता है। जब हम शुद्ध मन और श्रद्धा से व्यंजन बनाकर भगवान को अर्पित करते हैं, तो वे उसमें हमारी निष्ठा को स्वीकार करते हैं। यही कारण है कि गणेशोत्सव के दस दिनों तक विभिन्न प्रकार के भोग अर्पित करना अत्यंत शुभ माना जाता है।

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