Eco-Friendly Diwali : प्रदूषण नहीं,रोशनी फैलाएं! खुशियों के संग करें प्रकृति की सुरक्षा

Eco-Friendly Diwali Tips: दिवाली की खुशियों के साथ पर्यावरण की रक्षा भी जरूरी है। इस बार पटाखों से दूर रहकर दीयों, पौधों और इको-फ्रेंडली सजावट से ग्रीन दिवाली मनाएं।

Akriti Pandey
Published on: 20 Oct 2025 6:00 PM IST
Eco-Friendly Diwali Tips
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Eco-Friendly Diwali Tips: दिवाली को रोशनी, खुशियों और समृद्धि का त्योहार माना जाता है। इस दिन लोग घरों को सजाते हैं, स्वादिष्ट पकवान बनाते हैं, मिठाइयों का आदान-प्रदान करते हैं, दीये जलाते हैं और पटाखे फोड़कर जश्न मनाते हैं। हालांकि, त्योहार की यह चमकदारी और धूमधाम वातावरण को भारी नुकसान भी पहुंचाती है। खासकर पटाखों की वजह से हवा में प्रदूषण का स्तर बहुत अधिक बढ़ जाता है। दिल्ली-एनसीआर जैसे इलाकों में दिवाली के बाद वायु गुणवत्ता इतनी खराब हो जाती है कि लोगों को सांस लेना भी मुश्किल हो जाता है। ऐसे में अब समय आ गया है कि हम परंपरा को कायम रखते हुए पर्यावरण का भी ख्याल रखें। यही सोच "ग्रीन दिवाली" के पीछे है।

क्या है ग्रीन दिवाली?

ग्रीन दिवाली का मतलब है ऐसा उत्सव जो पर्यावरण के अनुकूल हो। यह दिवाली मनाने का एक स्मार्ट और टिकाऊ (सस्टेनेबल) तरीका है, जिसमें रौनक और उत्साह तो बना रहता है लेकिन पर्यावरण को नुकसान नहीं पहुंचता। इसका उद्देश्य यह है कि हम त्योहार की खुशियों को बनाए रखें, लेकिन प्राकृतिक संसाधनों का अनावश्यक दोहन न करें और प्रदूषण से भी बचें।

पटाखों से दूरी और हरियाली की ओर

पारंपरिक पटाखों से ध्वनि और वायु प्रदूषण होता है, जिससे विशेष रूप से बच्चों, बुजुर्गों और सांस के मरीजों को परेशानी होती है। इसलिए दिवाली पर ऐसे पटाखों से परहेज करना चाहिए। इसके स्थान पर ग्रीन पटाखों का उपयोग करें जिन पर CSIR-NEERI का लोगो और QR कोड हो। ये सामान्य पटाखों की तुलना में 30-40% कम प्रदूषण करते हैं। इसके अलावा, एक और बेहतर विकल्प है – सीड बम यानी बीज बम। ये ऐसे कैप्सूल होते हैं जिन्हें फोड़ने पर पौधों के बीज बाहर आते हैं, जिससे प्रदूषण की जगह हरियाली बढ़ती है।

दीयों से रोशनी और ऊर्जा की बचत

बिजली से चलने वाली सजावटी लाइट्स की जगह पारंपरिक मिट्टी के दीये जलाना ज्यादा बेहतर होता है। ये न केवल पर्यावरण के अनुकूल हैं बल्कि इससे कुम्हार जैसे स्थानीय कारीगरों को भी रोजगार मिलता है। दीयों में सरसों का तेल या देसी घी का प्रयोग करें, जो मोमबत्तियों के रसायनों की तुलना में कम धुआं छोड़ते हैं और हवा को भी शुद्ध करते हैं। सजावट के लिए बिजली की जगह LED लाइट्स का इस्तेमाल करें ताकि ऊर्जा की बचत हो।

इको-फ्रेंडली सजावट अपनाएं

घर की सजावट में प्लास्टिक और आर्टिफिशियल सामग्रियों का प्रयोग न करें। रंगोली बनाने के लिए केमिकल रंगों की बजाय गुलाब, गेंदा, हल्दी, चावल का आटा या कुमकुम का प्रयोग करें। सजावट में फूलों, केले के पत्तों, जूट, कागज और कपड़े से बनी चीजों का इस्तेमाल करें। घर के मुख्य दरवाजे पर तुलसी, मनी प्लांट या एरिका पाम जैसे पौधे लगाएं, जो हवा को शुद्ध करते हैं और सौंदर्य भी बढ़ाते हैं।

गिफ्टिंग और पैकेजिंग में बदलाव

त्योहारी उपहारों में प्लास्टिक पैक्ड मिठाइयों की जगह घर की बनी मिठाइयां जैसे गुड़, नारियल या ओट्स से बनी स्वीट्स दें। गिफ्ट में पौधे, हैंडमेड कैंडल्स, मिट्टी के बर्तन या बीज बम जैसे पर्यावरण अनुकूल विकल्प चुनें। पैकेजिंग के लिए प्लास्टिक रैपर की जगह अखबार, ब्राउन पेपर, कपड़े या जूट बैग्स का इस्तेमाल करें।

कचरे का सही निपटान

दिवाली के बाद घरों में बहुत सारा कचरा निकलता है। इसे जलाना बिल्कुल नहीं चाहिए क्योंकि इससे प्रदूषण और बढ़ता है। इसके बजाय, कचरे को गीला, सूखा और ई-कचरा अलग-अलग करके रीसायक्लिंग के लिए भेजें। यह प्रकृति और समाज दोनों के लिए फायदेमंद है।

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