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Income Tax Day 2025: भारत में आयकर दिवस, 24 जुलाई को मनाए जाने के पीछे की वजह और उसका महत्व
Income Tax Day 2025: 24 जुलाई को भारत में हर साल आयकर दिवस मनाया जाता है। आइये जानते हैं इस दिन का इतिहास और महत्त्व।
Income Tax Day 2025 (Image Credit-Social Media)
Income Tax Day 2025: हर साल 24 जुलाई को भारत में आयकर दिवस या आयकर दिवस के रूप में मनाया जाता है। यह दिन न केवल देश की आर्थिक व्यवस्था का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है बल्कि यह हमें यह भी याद दिलाता है कि कर देना हर नागरिक की जिम्मेदारी है। आयकर दिवस भारत में कर प्रशासन के विकास और इसके पीछे की कहानी को सेलिब्रेट करता है। यह दिन हमें बताता है कि कैसे एक साधारण सी शुरुआत ने देश की प्रगति में इतना बड़ा योगदान दिया।
आयकर की शुरुआत: एक ऐतिहासिक कदम
आयकर दिवस की कहानी शुरू होती है 24 जुलाई, 1860 से जब भारत में पहली बार आयकर लागू किया गया था। उस समय भारत पर ब्रिटिश शासन था और 1857 की क्रांति के बाद ब्रिटिश सरकार को भारी आर्थिक नुकसान हुआ था। इस नुकसान की भरपाई के लिए ब्रिटिश अर्थशास्त्री सर जेम्स विल्सन ने आयकर की शुरुआत की। यह एक ऐसा कदम था जिसने भारत में कर प्रणाली की नींव रखी। उस समय यह कर केवल कुछ खास लोगों जैसे जमींदारों और व्यापारियों पर लगाया गया था लेकिन इसने एक ऐसी व्यवस्था शुरू की जो आज देश की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है।
यह कर उस समय के लिए एक नया विचार था। लोग इसे समझने और अपनाने में समय ले रहे थे। लेकिन धीरे-धीरे यह व्यवस्था मजबूत होती गई और आज यह भारत सरकार के लिए राजस्व का सबसे बड़ा स्रोत है। 24 जुलाई को आयकर दिवस के रूप में मनाने का फैसला साल 2010 में लिया गया जब आयकर की शुरुआत के 150 साल पूरे हुए। तब से हर साल इस दिन को आयकर विभाग विभिन्न आयोजनों के साथ मनाता है।
आयकर का महत्व: देश की प्रगति का आधार
आयकर सिर्फ एक कर नहीं है बल्कि यह देश के विकास का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। जब हम आयकर देते हैं तो हमारा पैसा सरकार के पास जाता है जो इसका इस्तेमाल सड़कों स्कूलों अस्पतालों और अन्य जरूरी सुविधाओं के लिए करती है। यह पैसा देश की सुरक्षा शिक्षा और बुनियादी ढांचे को मजबूत करने में मदद करता है।
आयकर का एक और बड़ा फायदा यह है कि यह देश में आर्थिक समानता लाने में मदद करता है। आयकर की प्रणाली प्रोग्रेसिव है यानी ज्यादा कमाई करने वाले लोग ज्यादा कर देते हैं जबकि कम कमाई वाले लोग कम कर देते हैं। इस तरह यह समाज में आर्थिक असमानता को कम करने में मदद करता है। आयकर दिवस हमें यह याद दिलाता है कि कर देना केवल एक कानूनी जिम्मेदारी नहीं बल्कि एक नैतिक कर्तव्य भी है।
आयकर का इतिहास: समय के साथ बदलाव
आयकर की शुरुआत 1860 में भले ही हो गई थी लेकिन इसकी असली मजबूती तब आई जब 1922 में आयकर अधिनियम लागू हुआ। इस कानून ने कर संग्रह और प्रशासन के लिए एक ठोस ढांचा तैयार किया। इसके बाद 1924 में सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू की स्थापना हुई जो आयकर अधिनियम को लागू करने का काम देखता था।
1963 में सेंट्रल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू को दो हिस्सों में बांटा गया और सेंट्रल बोर्ड ऑफ डायरेक्ट टैक्सेस यानी सीबीडीटी की स्थापना हुई। सीबीडीटी आज भी आयकर विभाग का सबसे महत्वपूर्ण हिस्सा है जो कर नीतियों को बनाने और लागू करने का काम करता है। 1957 में आईआरएस स्टाफ कॉलेज की स्थापना हुई जहां आयकर अधिकारियों को प्रशिक्षण दिया जाता है।
समय के साथ आयकर प्रणाली में कई बदलाव आए। आज डिजिटल तकनीक के जरिए आयकर रिटर्न दाखिल करना बहुत आसान हो गया है। ई-फाइलिंग और ऑनलाइन पेमेंट की सुविधा ने इस प्रक्रिया को और सरल बना दिया है। आज आप घर बैठे कुछ ही मिनटों में अपना आयकर रिटर्न दाखिल कर सकते हैं और रिफंड भी जल्दी मिल जाता है।
आयकर के प्रकार: क्या-क्या आता है दायरे में
आयकर कई तरह की आय पर लगता है। इसे समझना जरूरी है ताकि हम जान सकें कि हमें किन-किन चीजों पर कर देना होता है। आयकर अधिनियम की धारा 2(24) के तहत आय को कई श्रेणियों में बांटा गया है।
पहला है वेतन से आय। इसमें आपकी सैलरी भत्ते कमीशन और रिटायरमेंट बेनिफिट्स शामिल हैं। दूसरा है मकान संपत्ति से आय। अगर आपके पास कोई किराए का मकान या दुकान है तो उससे होने वाली आय पर कर देना होता है। तीसरा है व्यवसाय या पेशे से आय। अगर आप कोई बिजनेस चलाते हैं या कोई पेशा अपनाए हुए हैं तो उससे होने वाली कमाई पर कर लगता है।
चौथा है पूंजीगत लाभ। अगर आपने कोई संपत्ति जमीन या गहने बेचे और उससे मुनाफा हुआ तो उस पर भी कर देना होता है। आखिरी है अन्य स्रोतों से आय जैसे बैंक में जमा राशि का ब्याज पारिवारिक पेंशन उपहार लॉटरी जीत या निवेश से होने वाला रिटर्न। आयकर दिवस हमें इन सभी स्रोतों से होने वाली आय पर कर देने की जिम्मेदारी याद दिलाता है।
आयकर दिवस का उत्सव: कैसे मनाया जाता है
आयकर दिवस को हर साल 24 जुलाई को बड़े उत्साह के साथ मनाया जाता है। इस दिन आयकर विभाग कई तरह के आयोजन करता है जैसे सेमिनार वर्कशॉप और जागरूकता अभियान। इन आयोजनों का मकसद लोगों को कर देने के महत्व के बारे में बताना और कर प्रणाली को समझने में उनकी मदद करना है।
कई बार इस दिन स्मारक सिक्के और डाक टिकट भी जारी किए जाते हैं। स्कूलों और कॉलेजों में निबंध लेखन और पोस्टर बनाने की प्रतियोगिताएं आयोजित की जाती हैं ताकि युवाओं को कर देने की अहमियत समझाई जा सके। आयकर विभाग के कर्मचारी और अधिकारी भी इस दिन लोगों के साथ मिलकर उनकी शंकाओं का समाधान करते हैं और कर प्रक्रिया को आसान बनाने के तरीके बताते हैं।
2024 में आयकर दिवस का थीम था करदाताओं के योगदान को सेलिब्रेट करना। इस थीम के तहत लोगों को बताया गया कि उनका दिया हुआ कर कैसे देश के विकास में मदद करता है। विभाग ने डिजिटल प्लेटफॉर्म्स का भी इस्तेमाल किया ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इस जागरूकता अभियान का हिस्सा बन सकें।
आधुनिक आयकर प्रणाली: डिजिटल क्रांति
आज का आयकर विभाग पहले से कहीं ज्यादा आधुनिक और तकनीकी रूप से उन्नत है। ई-फाइलिंग पोर्टल ने आयकर रिटर्न दाखिल करने की प्रक्रिया को बहुत आसान बना दिया है। अब आप घर बैठे अपने रिटर्न दाखिल कर सकते हैं और कुछ ही घंटों में रिफंड भी पा सकते हैं।
सीबीडीटी ने हाल के वर्षों में कई बदलाव किए हैं। जैसे कि 2025-26 के लिए आयकर रिटर्न की तारीख को 31 जुलाई से बढ़ाकर 15 सितंबर कर दिया गया ताकि लोगों को और समय मिल सके। इसके अलावा प्री-फिल्ड डेटा के साथ ऑनलाइन फॉर्म्स की सुविधा ने गलतियों की संभावना को भी कम कर दिया है।
आयकर और नैतिकता: एक सामाजिक जिम्मेदारी
आयकर देना सिर्फ एक कानूनी बाध्यता नहीं बल्कि एक सामाजिक और नैतिक जिम्मेदारी भी है। प्राचीन भारत में भी कर देने की परंपरा थी। मनुस्मृति और कौटिल्य के अर्थशास्त्र में कर को राजा की जिम्मेदारी के साथ जोड़ा गया था। कौटिल्य ने कहा था कि राजा का काम जनता की रक्षा करना और उन्हें सुविधाएं देना है और इसके लिए कर जरूरी है। लेकिन अगर राजा अपनी जिम्मेदारी पूरी नहीं करता तो जनता को कर देने से मना करने का अधिकार है।
आज भी यही सिद्धांत लागू होता है। हमारा दिया हुआ कर देश की प्रगति का आधार है। यह हमें एक बेहतर समाज और मजबूत अर्थव्यवस्था देता है। आयकर दिवस हमें यह याद दिलाता है कि हमारा छोटा सा योगदान देश के लिए कितना बड़ा बदलाव ला सकता है।
आयकर प्रणाली के सामने कई चुनौतियां भी हैं। कई लोग कर देने से बचते हैं या गलत जानकारी देते हैं। इसके लिए आयकर विभाग लगातार जागरूकता अभियान चला रहा है। साथ ही डिजिटल तकनीक और सख्त नियमों के जरिए कर चोरी को रोकने की कोशिश की जा रही है।
रिफंड में देरी भी एक बड़ी समस्या रही है। लेकिन हाल के वर्षों में विभाग ने इस पर बहुत काम किया है। अब रिफंड कुछ ही घंटों में मिल जाता है। इसके अलावा करदाताओं की शिकायतों के लिए हेल्पलाइन और ऑनलाइन पोर्टल भी शुरू किए गए हैं।
आयकर दिवस 24 जुलाई को मनाया जाने वाला एक ऐसा दिन है जो हमें हमारी जिम्मेदारी और देश के प्रति कर्तव्य को याद दिलाता है। यह दिन हमें सर जेम्स विल्सन द्वारा शुरू की गई उस व्यवस्था की याद दिलाता है जिसने भारत की आर्थिक नींव को मजबूत किया। आज आयकर विभाग की आधुनिक तकनीक और पारदर्शी प्रणाली ने इसे और भी प्रभावी बना दिया है।
यह दिन हमें यह भी सिखाता है कि कर देना सिर्फ एक कानूनी प्रक्रिया नहीं बल्कि देश के विकास में हमारा योगदान है। चाहे वह सड़कों का निर्माण हो स्कूलों का विकास हो या अस्पतालों की सुविधा हर चीज में हमारा दिया हुआ कर काम आता है। तो आइए इस आयकर दिवस पर हम सब यह प्रण लें कि हम समय पर अपना कर देंगे और देश की प्रगति में अपना योगदान देंगे।
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