Tunguska : पृथ्वी पर घटित वो घटना जिसे आज भी विज्ञान नहीं समझ पाया-जानिए तुंगुस्का घटना का रहस्य

Unexplained explosions on Earth: तुंगुस्का जैसी रहस्यमयी घटनाएँ हमें याद दिलाती हैं कि हमारी दुनिया में अब भी कई अनसुलझे वैज्ञानिक रहस्य छिपे हैं।

Shivani Jawanjal
Published on: 22 Oct 2025 12:14 PM IST
Tunguska : पृथ्वी पर घटित वो घटना जिसे आज भी विज्ञान नहीं समझ पाया-जानिए तुंगुस्का घटना का रहस्य
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Pic Credit - Social Media

Mysterious natural disaster:पृथ्वी के इतिहास में कई ऐसी रहस्यमयी घटनाएँ हुई हैं, जिन्होंने विज्ञान और तर्क की सीमाओं को चुनौती दी है। इन घटनाओं ने हमेशा लोगों के मन में उत्सुकता और आश्चर्य पैदा किया है। इनमें से सबसे प्रसिद्ध और रहस्यमयी घटना है तुंगुस्का घटना। यह घटना 30 जून 1908 को साइबेरिया में तुंगुस्का नदी के पास घटी। उस दिन एक विशाल विस्फोट हुआ जिसने 2,150 वर्ग किलोमीटर के जंगल को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया। इस विस्फोट की ताकत लगभग 185 हिरोशिमा परमाणु बमों के बराबर मानी जाती है। अद्भुत बात यह है कि इस घटना का कोई स्पष्ट उल्का पिंड या टकराने का प्रमाण नहीं मिला। यही कारण है कि तुंगुस्का घटना आज भी वैज्ञानिकों के लिए एक रहस्य बनी हुई है। समय-समय पर इसके कारणों और प्रकृति को समझने के लिए कई अनुसंधान और सिद्धांत सामने आए, लेकिन अब तक कोई निश्चित उत्तर नहीं मिल सका।

तुंगुस्का घटना का परिचय

तुंगुस्का घटना 30 जून 1908 को साइबेरिया के तुंगुस्का क्षेत्र में सुबह लगभग 7:14 से 7:17 के बीच हुई। इस घटना में एक उल्कापिंड या धूमकेतु वायुमंडल में फट गया, जिससे जमीन से 5 से 10 किलोमीटर ऊँचाई पर भयानक विस्फोट हुआ। इस विस्फोट की ऊर्जा लगभग 10 - 15 मेगाटन TNT के बराबर थी, जो हिरोशिमा के परमाणु बम से करीब 1000 गुना अधिक थी। इस शक्तिशाली धमाके के कारण लगभग 2,000 वर्ग किलोमीटर क्षेत्र में पेड़ झड़ गए और करीब 8 करोड़ पेड़ों का सफाया हो गया। विस्फोट की आवाज और झटके की लहर इतनी तेज थी कि यह हजारों किलोमीटर दूर तक महसूस की गई और कई दूरदराज के गाँवों में भी सुनाई और महसूस की गई।

तुंगुस्का घटना का रहस्य

तुंगुस्का विस्फोट के बारे में सबसे आम मान्यता यह है कि यह घटना वायुमंडल में विस्फोटित उल्का पिंड के कारण हुई थी। जब यह उल्का पृथ्वी के वायुमंडल में प्रवेश किया, तो गर्म होकर फट गया और भयंकर धमाका हुआ। हालांकि कुछ वैज्ञानिकों का मानना है कि यह उल्का पिंड नहीं था, बल्कि कोई विशाल गैसीय विस्फोट या पृथ्वी के भीतर से निकलने वाली ऊर्जा भी इसका कारण हो सकती है। इस विस्फोट ने जंगलों को पूरी तरह तहस-नहस कर दिया और आसपास के इलाके में भारी नुकसान पहुंचाया, लेकिन क्षेत्र कम आबादी वाला होने के कारण मानव जीवन को ज्यादा नुकसान नहीं हुआ। तुंगुस्का घटना आज भी रहस्यमयी मानी जाती है, क्योंकि इसके पीछे की पूरी वजह और सबूत अब तक साफ नहीं हुए हैं।

पृथ्वी के अन्य रहस्यमयी प्राकृतिक

तुंगुस्का घटना के अलावा पृथ्वी पर कई ऐसे स्थान और घटनाएं हैं जो आज भी रहस्यमयी बने हुए हैं। उदाहरण के लिए बरमूडा त्रिभुज जहां कई जहाज और विमान रहस्यमयी तरीके से गायब हो जाते हैं। इसके अलावा वॉयनिच पांडुलिपि जो एक अज्ञात भाषा में लिखी गई है और वैज्ञानिक इसे अब तक पढ़ने में असमर्थ हैं। प्राचीन इतिहास में भी कई पुरातात्विक खोजें हैं जिनके रहस्य आज तक नहीं सुलझ पाए हैं । जैसे नाज़्का रेखाएं जो विशाल भू-चित्र हैं और इनके बनाने का तरीका और उद्देश्य स्पष्ट नहीं है। इसी तरह कोस्टा रिका के पत्थर के गोले स्टोनहेंज , और अटलांटिस की खोजें भी ऐसे रहस्यमयी पहेलियां हैं, जिनके बारे में वैज्ञानिक और इतिहासकार अब भी अनुमान लगाते रहते हैं।

रहस्यमयी प्राकृतिक घटनाएं

पृथ्वी पर कुछ प्राकृतिक घटनाएं ऐसी होती हैं जिन्हें वैज्ञानिक पूरी तरह से समझ नहीं पाए हैं। उदाहरण के लिए, कुछ जगहों पर बारिश में सांप, मकड़ियाँ या मेंढ़क गिरना जैसी दुर्लभ घटनाएं दर्ज की गई हैं। इसे आमतौर पर तूफानों या तेज हवा के झोंकों के कारण जीवों के उड़ने या बहाए जाने से जोड़ा जाता है, लेकिन इसकी पूरी व्याख्या अभी तक नहीं हुई है। इसी तरह नॉर्वे की हेसडालन घाटी में रात के समय चमकदार रोशनी की गेंदें (Hessdalen lights) दिखाई देती हैं, जो नीली, सफेद, पीली या लाल रंग में चमकती हैं। वैज्ञानिक इन रोशनी के कारणों का अध्ययन कर रहे हैं और कुछ मानते हैं कि यह विद्युत आवेशित गैस बुलबुले या प्राकृतिक विद्युत और चुंबकीय प्रभाव हो सकते हैं। 1998 से इस क्षेत्र में एक ऑटोमेटेड मापन स्टेशन स्थापित है, जो इन घटनाओं को रिकॉर्ड करता है, लेकिन रहस्य अभी तक पूरी तरह सुलझा नहीं है। इसलिए, बारिश में जीव गिरना और हेसडालन रोशनी जैसी घटनाएं अद्भुत और रहस्यमयी हैं, जिनके पीछे कुछ संभावित वैज्ञानिक कारण जरूर हैं, जिन्हें अभी पूरी तरह समझने की जरूरत है।

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