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Sawan 2025: संतान की कामना रखने वाले कपल इस सावन घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग पर चढ़ाएं जल, पूरी होगी हर कामना
Sawan 2025: घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग न केवल भारत के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में अंतिम है, बल्कि यह उन दंपतियों के लिए उम्मीद की किरण है जो संतान सुख की कामना करते हैं।
Sawan 2025 Ghushmeshwar Jyotirlinga temple (Social media)
Ghushmeshwar Mahadev temple: महाराष्ट्र के प्रसिद्ध एलोरा की गुफाओं के पास स्थित घृष्णेश्वर ज्योतिर्लिंग न केवल भारत के 12 पवित्र ज्योतिर्लिंगों में अंतिम है, बल्कि यह उन दंपतियों के लिए उम्मीद की किरण है जो संतान सुख की कामना करते हैं।
यहाँ दूर-दराज से लोग भगवान शिव का आशीर्वाद पाने आते हैं ताकि उनकी गोद भर जाए।
यह मंदिर क्यों है खास?
घृष्णेश्वर महादेव मंदिर को चमत्कारी माना जाता है। वर्षों से ऐसी मान्यताएं रही हैं कि यहां प्रार्थना करने से नि:संतान दंपतियों को संतान की प्राप्ति होती है। बहुत से भक्त बताते हैं कि यहां आने और पूजा करने के बाद उन्हें संतान का सुख मिला, जिसके बाद वे दोबारा भगवान का धन्यवाद करने इस पवित्र स्थल पर लौटे।
पौराणिक कथा और करुणा का चमत्कार
प्राचीन कथा के अनुसार, एक ब्राह्मण सुधर्मा और उसकी पत्नी सुदेहा देवगिरि पर्वत पर रहते थे। जब सुदेहा को पता चला कि वह माँ नहीं बन सकती, तो उसने अपने पति से अपनी छोटी बहन घुष्मा से विवाह करने को कहा। घुष्मा भगवान शिव की बड़ी भक्त थीं और प्रतिदिन 101 पार्थिव शिवलिंग बनाकर उन्हें एक तालाब में विसर्जित करती थीं।
कुछ समय बाद घुष्मा को एक पुत्र की प्राप्ति हुई। यह देखकर सुदेहा ईर्ष्या से भर गई और उसने बालक को उसी तालाब में फेंक दिया। अगले दिन भी घुष्मा शांत भाव से पूजा करती रहीं। जब वे तालाब के पास पहुँचीं, तब भगवान शिव प्रकट हुए और उनके बेटे को जीवित कर दिया।
घुष्मा की क्षमा भावना से प्रभावित होकर भगवान शिव ने वहीं स्थायी रूप से वास करने का वचन दिया और इस स्थान को "घृष्णेश्वर" नाम से जाना जाने लगा।
आज भी आस्था जीवित है
मंदिर के भीतर वह पवित्र तालाब आज भी मौजूद है, जहां लोग अपने मन की मुरादें लेकर जाते हैं। विशेष रूप से संतान की चाह रखने वाले दंपति इसे आशा और आशीर्वाद का प्रतीक मानते हैं।
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