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भारत की ये 5 रहस्यमयी झीलें बदलती हैं अपना रंग, एक बार जरूर करें इनकी यात्रा
Mysterious Lakes In India: इन झीलों की सुंदरता और रहस्य दोनों ही मन मोह लेते हैं। आइए जानते हैं भारत की कुछ रंग बदलने वाली रहस्यमयी झीलों के बारे में।
mysterious lakes in India (SOCIAL MEDIA)
Mysterious Lakes In India: भारत की धरती सिर्फ पहाड़ों और मंदिरों तक सीमित नहीं है, यहां कई ऐसी झीलें भी हैं जो अपने बदलते रंगों और रहस्यमयी प्रकृति के लिए मशहूर हैं। ये झीलें कभी गुलाबी, कभी नीली तो कभी हरे रंग में दिखाई देती हैं, जिससे ये प्रकृति प्रेमियों और यात्रियों के लिए आकर्षण का केंद्र बन गई हैं।
कुछ झीलें ज्वालामुखी या उल्कापिंड से बनी हैं, तो कुछ झीलें समुद्र तल से हजारों फीट ऊंचाई पर स्थित हैं। इनमें छुपे वैज्ञानिक रहस्य भी लोगों को हैरान कर देते हैं। इन झीलों की सुंदरता और रहस्य दोनों ही मन मोह लेते हैं। आइए जानते हैं भारत की कुछ रंग बदलने वाली रहस्यमयी झीलों के बारे में।
लोनार झील (महाराष्ट्र)
करीब 50,000 साल पहले एक उल्कापिंड के गिरने से बनी यह झील खारी और क्षारीय दोनों है। जून 2020 में इस झील का रंग अचानक हरा से गुलाबी हो गया था, जिसका कारण लाल शैवाल और खारे पानी में पनपने वाले बैक्टीरिया माने गए। अप्रैल से जून के बीच इसका रंग बदलने की संभावना अधिक रहती है। नजदीक स्थित लोनार वन्यजीव अभयारण्य भी दर्शनीय है।
पैंगोंग झील (लद्दाख)
समुद्र तल से 4350 मीटर की ऊंचाई पर स्थित यह झील अपने बदलते रंगों के लिए मशहूर है। कभी नीली, कभी हरी तो कभी हल्की गुलाबी। इसका रंग मौसम, आसमान और खनिजों की परावर्तित रोशनी से बदलता है। मई से सितंबर के बीच इस झील के किनारे कैंपिंग का अनुभव अविस्मरणीय होता है।
सांभर झील (राजस्थान)
भारत की सबसे बड़ी खारे पानी की झील, सांभर झील गर्मियों में गुलाबी रंग ले लेती है। इसका कारण है अल्गी और बैक्टीरिया जो नमक में बीटा-कैरोटीन बनाते हैं। फरवरी से जून का समय झील देखने के लिए आदर्श है।
चांगू झील (सिक्किम)
गंगटोक से कुछ दूरी पर स्थित यह झील बर्फीले मौसम में जम जाती है और गर्मियों में आसमान के रंग के अनुसार नीले, चांदी जैसे रंगों में चमकती है। यहां याक की सवारी, मंदिर दर्शन और फूलों की घाटी भी देखी जा सकती है।
माउनपाट झील (छत्तीसगढ़)
यह झील सुबह लाल और शाम को हरी नजर आती है, हालांकि वैज्ञानिक अभी तक इसका ठोस कारण नहीं जान पाए हैं। यह स्थान अभी तक पर्यटन से अछूता है और सुरगुजा की जनजातीय संस्कृति और झरनों के साथ मिलकर एक अनोखा अनुभव देता है।
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