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दूधसागर- जहां झरने की धार में बहता है दूध, जानिए इसका रहस्य और रोमांच
Dudhsagar: क्या आप जानते हैं कि गोवा के दूधसागर झरने को देखकर आपको लगेगा मानो पहाड़ों से दूध की धार बह रही हो, आइये इसके बारे में आपको विस्तार से बताते हैं।
Dudhsagar Waterfall (Image Credit-Social Media)
Dudhsagar Waterfall: जब मानसून की पहली बारिश ज़मीन को तर करती है, तो प्रकृति की सबसे सुंदर तस्वीरें जीवंत हो उठती हैं। ऐसी ही एक खूबसूरत तस्वीर है गोवा का दूधसागर झरना। जिसे देखने पर लगता है जैसे पहाड़ों से दूध की धार बह रही हो। गर्मियों में जहां गोवा के समुद्र तटों की चर्चा होती है, वहीं मानसून में दूधसागर अपनी सबसे शानदार और रहस्यमयी छवि में सामने आता है। यह केवल एक झरना नहीं, बल्कि प्रकृति, पौराणिकता और रोमांच का अद्भुत संगम है। आइए, जानते हैं कि क्यों दूधसागर बारिश में देखने योग्य एक रोमांचकारी स्थल माना जाता है और इससे जुड़ी वह रोचक कथा क्या है जो इसे और भी खास बना देती है।
दूधसागर झरना: प्राकृतिक चमत्कार
गोवा और कर्नाटक की सीमा पर स्थित दूधसागर भारत के सबसे ऊंचे झरनों में से एक है। यह 310 मीटर (1017 फीट) की ऊंचाई से गिरता है। बारिश के मौसम में जब यह अपनी पूरी ताकत के साथ बहता है, तो लगता है जैसे किसी विशाल घड़े से दूध उंडेला जा रहा हो। इसी कारण इसका नाम पड़ा ‘दूधसागर’। यह मांडोवी नदी का हिस्सा है। जो बहते हुए घने जंगलों के बीच से निकलती है। झरना देखने का सर्वोत्तम समय जुलाई से सितंबर तक होता है जब मानसून अपने चरम पर होता है और झरना पूरी भव्यता से गिरता है।
दूध सागर से जुड़ी है एक पौराणिक कथा
दूधसागर झरने से जुड़ी एक लोककथा इसे और भी दिलचस्प बना देती है। कहते हैं, पुराने समय में इस क्षेत्र में एक सुंदर और साहसी राजकुमारी रहा करती थी।वह हर सुबह इस झरने के नीचे नहाने आती थी। नहाने के बाद वह इसी जगह एक सुनहरे पात्र से दूध पीती थी। एक दिन एक युवा राजकुमार वहां से गुजर रहा था और उसने अचानक राजकुमारी को देख लिया। राजकुमारी ने शर्म से वही दूध का पात्र झरने में उंडेल दिया। कहते हैं, उसी क्षण से यह झरना सफेद झाग और दूध जैसी धाराओं के रूप में बहने लगा, जो आज भी इस दृश्य को जीवंत बनाता है। यह कथा भले ही कल्पना हो, लेकिन यह दूधसागर की सौंदर्य और रहस्य को एक खास ऐतिहासिक और सांस्कृतिक गहराई देती है।
रोमांच की दुनिया-ट्रेकिंग से लेकर रेल यात्रा तक
यहां उठाइए ट्रेकिंग का आनंद
दूधसागर सिर्फ देखने का ही स्थान नहीं, बल्कि एक रोमांचकारी अनुभव है। दूधसागर तक पहुंचने के लिए मोल्लेम या कूल्लेम स्टेशन से ट्रेकिंग की जाती है। लगभग 11 किलोमीटर की यह यात्रा घने जंगल, नदी पार करने और ट्रैक पर चलने के बीच से गुजरती है। कई जगहों पर पानी कमर तक आ जाता है और यही इस ट्रेक को चुनौतीपूर्ण और मजेदार बनाता है।
रेलवे ट्रैक से दृश्य
दूधसागर का दृश्य कोलेम से वास्को-डि-गामा रेल रूट पर यात्रा करते समय दिखाई देता है। ट्रेन जब झरने के पास से गुजरती है, तो लगता है जैसे झरना ट्रेन को छूता हुआ निकल रहा हो। कई फिल्मों में इस दृश्य को फिल्माया गया है, विशेष रूप से शाहरुख खान की फिल्म ‘चेन्नई एक्सप्रेस’ में।
दूधसागर का जलजीवन और जैव विविधता
झरने के नीचे एक प्राकृतिक तालाब बन जाता है, जहां रंग-बिरंगी मछलियां नजर आती हैं। ट्रेकर्स और पर्यटक अक्सर यहां थोड़ी देर तैरने का आनंद लेते हैं। दूधसागर के आसपास भगवान महावीर वन्यजीव अभयारण्य है, जहां आप दुर्लभ वनस्पतियों, पक्षियों और जानवरों को देख सकते हैं। यहां काले तीतर, वन बिल्ली, लंगूर, और अनेक प्रकार के कीट-पतंगे आदि जीव-जंतु पाए जाते हैं।
घूमने लायक स्थल और गतिविधियां
भगवान महावीर अभयारण्य
यहां सफारी की सुविधा उपलब्ध है। यह अभयारण्य जीव प्रेमियों और फोटोग्राफरों के लिए आदर्श स्थान है।
तमड़ी सुरला मंदिर
12वीं सदी का एक प्राचीन शिव मंदिर, जो बस कुछ किलोमीटर की दूरी पर है। काले बेसाल्ट पत्थरों से बना यह मंदिर कदाचित गोवा का सबसे पुराना मंदिर है।
जैप सफारी और जीप राइड
मानसून के समय गोवा टूरिज़्म द्वारा जीप राइड उपलब्ध कराई जाती है, जो आपको झरने तक ले जाती है। यह रास्ता कीचड़ भरा, ऊबड़-खाबड़ और पानी से भरा होता है लेकिन बावजूद इसके रोमांच यहां हर कदम पर मिलता है।
कैमरा ट्रेल और नाइट ट्रेक
नाइट ट्रेक और जंगल सफारी के लिए यह जगह साहसी पर्यटकों की पसंद बनी हुई है। यहां की नमी से भरी वनस्पति, काई लगे हुए पत्थर और घनी हरियाली किसी भी फोटोग्राफर का सपना होती है।
कैसे पहुंचे दूधसागर
रेल मार्ग-कोलेम रेलवे स्टेशन सबसे नज़दीकी है। यहां से जीप या ट्रेक के माध्यम से झरने तक पहुंचा जा सकता है। सड़क मार्ग-गोवा के किसी भी प्रमुख स्थान (पणजी, मडगांव) से कोलेम तक टैक्सी या बस से पहुंचा जा सकता है।एयर मार्ग-यहां निकटतम हवाई अड्डा है दाबोलिम एयरपोर्ट (गोवा एयरपोर्ट)।
यात्रा के लिए कुछ टिप्स
- मानसून में ट्रेकिंग करते समय वॉटरप्रूफ बैग, ट्रेकिंग शूज़ और टॉर्च ज़रूर रखें।
- जंगल में लीच और कीड़े हो सकते हैं, इसलिए फुल स्लीव कपड़े और बायोस्प्रे साथ रखें।
- दूधसागर की फोटोग्राफी के लिए ड्रोन अनुमति आवश्यक हो सकती है। पहले से जानकारी ले लें।
- यदि परिवार के साथ जा रहे हैं, तो जीप सफारी बेहतर विकल्प है।
- ट्रेकिंग ग्रुप में ही करें, अकेले जंगल में जाना खतरनाक हो सकता है।
मानसून में दूधसागर क्यों खास है
इस मौसम में झरना पूर्ण वेग और सौंदर्य के साथ बहता है।जंगल की हरियाली, बादलों की चादर और झरने की गर्जना एक जादुई अनुभव देती है। भीड़ कम होने के कारण शांति और प्रकृति से जुड़ने का मौका मिलता है। अगर आप इस मानसून में कुछ अलग और यादगार करना चाहते हैं, तो समुद्रतट से हटकर दूधसागर झरने की ओर रुख करें। पौराणिकता, रोमांच, प्रकृति और शांति यह सब कुछ आपको एक ही जगह मिलेगा। यहां की हवा में एक किस्म की शांति बसी हुई है, जो आपको खुद से जोड़ती है। जब आप उस झरने के नीचे खड़े होकर उसकी दूधिया झरती हुई जलधाराओं की गड़गड़ाहट सुनेंगे, तो आपको भी लगेगा कि कहीं न कहीं, उस राजकुमारी की कहानी अब भी वहां तैर रही है।
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