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भारत के हालात बद से बद्तर! ग्लोबल पीस इंडेक्स 2025 में खुलासा, दूसरे विश्व युद्ध से भी खराब हालात..रिपोर्ट में सामने आया इंडिया का हाल
Global Peace Index 2025: ग्लोबल पीस इंडेक्स रिपोर्ट साफ बताती है कि दुनिया में अशांति की सबसे बड़ी वजह है — सत्ता की भूख, आर्थिक असमानता और सैन्य विस्तार। देश एक-दूसरे पर शक करने लगे हैं। पुराने सैन्य गठबंधन टूट रहे हैं और हर कोई अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में जुटा है।
Global Peace Index 2025: इस वक्त अगर आप दुनिया के किसी कोने में बैठे यह सोच रहे हैं कि सबकुछ ठीक-ठाक है, तो सावधान हो जाइए! क्योंकि जो तस्वीर आपके आसपास नजर आती है, वो असली तस्वीर नहीं है। असली चेहरा वो है जो इस बार ग्लोबल पीस इंडेक्स 2025 ने बेनकाब कर दिया है। वो रिपोर्ट जिसने दुनिया के सबसे खतरनाक, सबसे डरावने और सबसे सुरक्षित देशों की लिस्ट सबके सामने रख दी है। और सबसे बड़ा झटका तब लगा, जब पता चला कि जिन देशों को अब तक हम ताकतवर और सुरक्षित मानते थे, वो असल में खून और बारूद के दरिया में डूबे हुए हैं।
बड़ी बात ये है कि इस रिपोर्ट में साफ लिखा है लगातार 13वें साल दुनिया और ज्यादा अशांत होती जा रही है। मतलब ये कि इंसान की तरक्की के साथ-साथ शांति की उम्मीदें भी दम तोड़ती जा रही हैं। दुनिया का हर कोना धीरे-धीरे बारूद के ढेर पर तब्दील होता जा रहा है। और ये खेल सिर्फ बम-बंदूक का नहीं है, बल्कि राजनीति, धर्म, जाति, भूख और लालच सबका ज़हर इस आग में घुल चुका है। अब आपके मन में सवाल उठ रहा होगा कि आखिर कौन से देश सबसे सुरक्षित हैं और कौन से वो मुल्क हैं जहां हर सांस के साथ मौत का साया चलता है? तो चलिए आपको ले चलते हैं इस रिपोर्ट की उन परतों में, जो पूरी दुनिया की हकीकत को नंगा कर देती हैं।
सबसे सुरक्षित और सबसे खतरनाक देश
ग्लोबल पीस इंडेक्स 2025 की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया में जहां कुछ देश आज भी शांति की मिसाल बने हुए हैं, वहीं कई देश ऐसे भी हैं, जहां जिंदगी हर पल मौत से लड़ रही है। रिपोर्ट के मुताबिक दुनिया का सबसे सुरक्षित देश एक बार फिर आइसलैंड बना है। उसके बाद आयरलैंड, न्यूजीलैंड, ऑस्ट्रिया और स्वीट्जरलैंड जैसे देश हैं, जहां इंसान अपने भविष्य को लेकर सुकून महसूस कर सकता है। इन देशों में मजबूत लोकतांत्रिक संस्थाएं, बेहद कम भ्रष्टाचार और सामाजिक सौहार्द एक बड़ी वजह है।
लेकिन दूसरी तरफ अगर नजर घुमाएं तो दुनिया के सबसे असुरक्षित देशों की सूची रूह कंपा देने वाली है। अफगानिस्तान, यमन, सीरिया, साउथ सूडान और इराक जैसे मुल्क इस लिस्ट में सबसे नीचे हैं। युद्ध, आतंकवाद, भूख, गरीबी और राजनीतिक अस्थिरता ने इन देशों को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। सबसे चौंकाने वाली बात ये है कि इजराइल जैसा देश, जो अपनी ताकत और सैन्य क्षमताओं के लिए मशहूर है, वो इस लिस्ट में 155वें नंबर पर है। यानी इजराइल इस वक्त जीने के लिहाज से बेहद खतरनाक मुल्क बन चुका है। वहीं, ईरान की स्थिति इजराइल से कुछ बेहतर है। ईरान इस लिस्ट में 142वें नंबर पर है। पाकिस्तान 144वें नंबर पर है और भारत 115वें पायदान पर है। यानी भारत में स्थिति उतनी खराब नहीं है, जितनी आसपास के देशों में है।
भारत बनाम पाकिस्तान — कौन है बेहतर हालात में?
भारत और पाकिस्तान की तुलना हमेशा से होती रही है, लेकिन इस बार आंकड़े साफ कह रहे हैं कि भारत अपने पड़ोसी मुल्क से कहीं बेहतर स्थिति में है। जहां पाकिस्तान 144वें नंबर पर है, वहीं भारत 115वें स्थान पर है। भारत की स्थिति अमेरिका से भी बेहतर है, जो इस लिस्ट में 128वें नंबर पर रहा। पाकिस्तान, अफगानिस्तान और तुर्की जैसे देशों में लगातार बढ़ती अशांति, आतंकवाद और राजनीतिक उठापटक ने हालात को बद से बदतर बना दिया है। वहीं भारत ने आंतरिक और बाहरी चुनौतियों के बावजूद खुद को एक ‘मध्यम स्तर के शांतिपूर्ण देश’ के रूप में बनाए रखा है। हालांकि, भारत को अभी भी अपनी आंतरिक सामाजिक-राजनीतिक चुनौतियों से निपटना होगा, ताकि वह इस सूची में और ऊपर आ सके।
अमेरिका, रूस और यूरोप का क्या हाल है?
दुनिया के ताकतवर मुल्कों की बात करें तो अमेरिका इस सूची में 128वें स्थान पर है। यानी दुनिया के सबसे प्रभावशाली देश में रहने वाले लोग खुद को सुरक्षित महसूस नहीं कर पा रहे हैं। अमेरिका की आंतरिक नस्लीय हिंसा, गन कल्चर और सामाजिक असमानता इसकी बड़ी वजह मानी जा रही है। रूस और यूक्रेन की स्थिति तो और भी भयानक है। दोनों देश 163 देशों की लिस्ट में सबसे निचले पायदान पर खड़े हैं। तीन साल से जारी जंग ने रूस-यूक्रेन को पूरी तरह बर्बाद कर दिया है। यूरोप के कई हिस्सों में भी असुरक्षा बढ़ी है, खासकर ब्रिटेन में जहां पिछले कुछ सालों में सामाजिक असंतोष और अपराध बढ़े हैं।
2020 में कोविड का कहर, अब जंग और लालच का ज़हर
2020 की ग्लोबल पीस इंडेक्स रिपोर्ट में कोविड-19 का असर सबसे ज्यादा देखा गया था। उस समय दुनिया लॉकडाउन, बेरोजगारी और आर्थिक असमानता से जूझ रही थी। लेकिन अब 2025 की रिपोर्ट बताती है कि दुनिया सिर्फ बीमारियों से नहीं, बल्कि जंग, राजनीतिक अस्थिरता और लालच से भी जूझ रही है।2020 में जहां टॉप 5 में आइसलैंड, न्यूजीलैंड, पुर्तगाल, ऑस्ट्रिया और डेनमार्क थे, वहीं इस बार कुछ बदलाव हुए हैं। इस बार टॉप 10 में सिंगापुर, पुर्तगाल, डेनमार्क, स्लोवेनिया और फिनलैंड जैसे देश भी शामिल हैं। यानी दुनिया के कुछ हिस्से अभी भी इंसानियत और विकास का चेहरा दिखा रहे हैं।
दुनिया क्यों बनती जा रही है खतरनाक?
ग्लोबल पीस इंडेक्स रिपोर्ट साफ बताती है कि दुनिया में अशांति की सबसे बड़ी वजह है — सत्ता की भूख, आर्थिक असमानता और सैन्य विस्तार। देश एक-दूसरे पर शक करने लगे हैं। पुराने सैन्य गठबंधन टूट रहे हैं और हर कोई अपनी सैन्य ताकत बढ़ाने में जुटा है। इंसानियत पीछे छूट रही है और सत्ता की हवस आगे बढ़ रही है। सबसे खतरनाक बात ये है कि जैसे-जैसे दुनिया असुरक्षित होती जा रही है, वैसे-वैसे वैश्विक जीडीपी पर भी इसका असर दिख रहा है। हिंसा और जंग से जुड़े खर्चे हर साल 17 ट्रिलियन डॉलर से भी ज्यादा तक पहुंच गए हैं। ये पैसे अगर शिक्षा, स्वास्थ्य या विकास में लगते तो दुनिया की तस्वीर कुछ और होती।
आगे क्या? क्या शांति की कोई उम्मीद बाकी है?
सवाल बड़ा है और जवाब मुश्किल। क्या दुनिया कभी शांति का चेहरा देख पाएगी? क्या कभी ऐसा वक्त आएगा जब अफगानिस्तान, यमन और सीरिया जैसे देश अपने बच्चों को स्कूल भेज पाएंगे और अस्पतालों में बम की जगह दवाइयां मिलेंगी? फिलहाल तो तस्वीर डरावनी है। दुनिया बारूद के ढेर पर बैठी है और हर तरफ हवाएं गर्म हैं। लेकिन उम्मीद बाकी है — वो उम्मीद जो हर जंग के बाद एक नये सवेरे में बदलती है। सवाल सिर्फ इतना है कि ये सवेरा कब आएगा?ग्लोबल पीस इंडेक्स 2025 ने तो अलार्म बजा दिया है... अब सुनने की बारी हमारी है।
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