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मोसाद की सबसे बड़ी चूक! क्या तेहरान में दोहराई जाएगी 'ऑपरेशन ब्रेंबल बुश' की गलती?
इजरायल द्वारा ईरान पर हालिया हमले के बाद वेस्ट एशिया में तनाव चरम पर है। मोसाद की योजना से हुए इन हमलों में ईरान के कई शीर्ष जनरल और वैज्ञानिक मारे गए। हालांकि मोसाद हर बार सफल नहीं रही 1992 में सद्दाम हुसैन की हत्या का ऑपरेशन एक बड़ी असफलता बन गया था।
पिछले हफ्ते ईरान पर इजरायल पर हमले के साथ वेस्ट एशिया एक बार बड़े युद्ध के मुहाने पर आ गया है। इजरायली हमले में ईरान को भारी नुकसान उठाना पड़ा है। हमले में ईरान के कई टॉप जनरल और और वैज्ञानिक मारे गये हैं। हमलों की साजिश इजरायल की खुफिया एजेंसी मोसाद कई महीनों से रच रही थी। मोसाद ने ईरानी ठिकानों की जानकारी अपनी वायुसेना दे दी थी ताकि वो सटीक हमला कर सकें। मोसाद को दुनिया की सबसे खतरनाक और सफल खुफिया एजेंसियों में गिना जाता है। लेकिन हमेशा ऐसा नहीं रहा कि मोसाद ने जो भी ऑपरेशन चलाया वो सफल रहा ही हो। मोसाद के इतिहास में एक ऐसा ऑपरेशन था इराक के पूर्व राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन की हत्या की कोशिश।
ऑपरेशन ब्रम्बल बुश बना मोसाद की सबसे बड़ी भूल
1990 के दशक के शुरूआत के साथ ही अमेरिका और इजरायल, सद्दाम हुसैन को वेस्ट एशिया में चुनौती के रूप में देखने लगे थे। इसी खतरे से निपटने के लिये इजरायली सरकार, मोसाद को एक मिशन तैयार करने के लिये कहती है। मिशन का मकसद, इराक के राष्ट्रपति सद्दाम हुसैन की हत्या।
इस काम के लिये इजरायल की सबसे खतरनाक स्पेशल फोर्स सायेरेट मटकल को चुना गया। खुफिया जानकारी मिली थी कि सद्दाम हुसैन अपने पैतृक घर तिकरित में एक अंतिम संस्कार में शामिल होने वाला है। प्लैन ये था कि इजरायली कमांडो लोकल पहनावे के साथ लोगों के साथ घुल-मिल जायेंगे और मौका देखते ही जब सद्दाम का काफिला आयेगा तो उसपर कंधे पर रखकर दागी जाने वाली मिसाइलों से हमला कर देंगे।
हमले की प्रैक्टिस के दौरान ही गया हादसा
हमले को अंजाम देने से पहले सायरेट मटकल की टीम ने नेगेव के रेगिस्तान में एक अभ्यास किया। अभ्यास के दौरान कमांडोज ने असली मिसाइलों का उपयोग किया। इसी दौरान एक कमांडो से मिसाइल अपनी ही टीम पर चला दी। इस हादसे में पांच कमाडों को अपनी जान से हाथ धोना पड़ा और 6 गंभीर रूप से घायल हो गये। इस दुखदायी घटना के तुरंत बाद ही मिशन को तुरंत रद्द कर दिया गया।
सालों तक छुपाए रखा गया सच
इस ऑपरेशन की असफलता और उससे जुड़ी मौतों को इजरायल सरकार ने सालों तक छुपाये रखा। बाद में जब इसका खुलासा हुआ तो तो यह स्पष्ट हुआ कि इस मिशन में रणनीतिक सोच और सुरक्षा आकलन में बड़ी चूकें हुई थीं। अब, एक बार फिर इज़रायल एक बार फिर एक दुश्मन देश के शीर्ष नेताओं को निशाना बना रहा है। फर्क बस इतना है कि इस बार निशाना बगदाद नहीं, बल्कि तेहरान है। और वजह भी वही पुरानी बताई जा रही है ‘खतरनाक हथियारों की मौजूदगी।‘ ठीक वैसी ही दलील, जो अमेरिका ने 2003 में इराक पर हमला करते वक्त दी थी।
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