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जिनेवा में बड़ी साजिश! ईरान-इजराइल जंग रोकने उतरे 3 सुपरपावर! क्या होने वाला है दुनिया में सबसे बड़ा धोखा?

Iran-Israel war 3 superpowers secret deal: इजराइल के प्रधानमंत्री के इस ऐलान ने न सिर्फ ईरान बल्कि पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। ऐसा लग रहा था कि अब कोई ताकत इस युद्ध को रोक नहीं सकती। लेकिन तभी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के गलियारों में हलचल तेज हो गई।

Harsh Srivastava
Published on: 19 Jun 2025 5:55 PM IST
जिनेवा में बड़ी साजिश! ईरान-इजराइल जंग रोकने उतरे 3 सुपरपावर! क्या होने वाला है दुनिया में सबसे बड़ा धोखा?
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Iran-Israel War 3 superpowers secret deal: मध्य पूर्व के आसमान में बारूद की गंध फैल चुकी है। जंग का शोर अब सिर्फ सीमा तक सीमित नहीं रहा, बल्कि राजधानी तेहरान और तेल अवीव की सड़कों तक गूंजने लगा है। इस जंग में मिसाइलों की आवाजें अब शांति के तमाम प्रयासों पर भारी पड़ रही हैं। और इसी आग में घी डालने का काम कर दिया उस हमले ने, जिसमें तेहरान के सबसे बड़े अस्पताल को निशाना बनाया गया। इस हमले के बाद इजराइल खुलकर कह चुका है — “अब खामेनेई का अंत करीब है।”

इजराइल के प्रधानमंत्री के इस ऐलान ने न सिर्फ ईरान बल्कि पूरी दुनिया को हिला कर रख दिया है। ऐसा लग रहा था कि अब कोई ताकत इस युद्ध को रोक नहीं सकती। लेकिन तभी अंतरराष्ट्रीय कूटनीति के गलियारों में हलचल तेज हो गई। तीन ऐसे देश अचानक सामने आ गए, जिन्हें सुपरपावर तो नहीं कहा जाता, लेकिन वैश्विक मंच पर इनकी आवाज को नजरअंदाज करना नामुमकिन है। और सबसे बड़ी बात, ये तीनों देश न चीन हैं, न रूस और न ही तुर्की। बल्कि ये हैं जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन। इस युद्ध की आग को बुझाने के लिए इन यूरोपीय ताकतों ने ऐसा दांव खेला है, जिसने सारी दुनिया को हैरानी में डाल दिया है। सवाल उठता है कि आखिर ये देश इस समय आगे क्यों आए? क्या इनका मकसद सिर्फ शांति स्थापित करना है या इसके पीछे कोई बड़ा राजनीतिक खेल छिपा है?

जिनेवा में गुप्त मिशन, तीनों देश करेंगे वार्ता

सूत्रों के मुताबिक, जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन के विदेश मंत्रियों ने शुक्रवार को जिनेवा में ईरान के शीर्ष नेताओं से गुप्त मुलाकात की योजना बनाई है। यह बैठक किसी सामान्य कूटनीतिक बातचीत का हिस्सा नहीं है बल्कि इसे एक ‘इमरजेंसी मीटिंग’ कहा जा रहा है। इस मुलाकात में यूरोपीय संघ की शीर्ष राजनयिक काजा कालास भी मौजूद रहेंगी। खास बात यह है कि इस पूरी योजना में अमेरिका की सहमति पहले ही मिल चुकी है। यानी एक तरफ अमेरिका अभी खुलकर इजराइल के समर्थन में कूदने से बच रहा है, दूसरी तरफ वह परदे के पीछे इस मिशन का संचालन कर रहा है। इसका सीधा मतलब है — अमेरिका चाहता है कि जंग फिलहाल थमी रहे, लेकिन अगर ईरान माने नहीं तो तबाही तय है।

ट्रंप की चुप्पी ने बढ़ाई बेचैनी

अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की चुप्पी इस पूरे घटनाक्रम को और ज्यादा रहस्यमय बना रही है। ट्रंप ने अभी तक खुलकर इजराइल के सैन्य ऑपरेशन पर अपनी राय नहीं दी है। बस इतना कहा है कि “वो अभी इंतजार करना पसंद करेंगे।” इसी चुप्पी ने दुनिया को डराया है कि कहीं अमेरिका कोई बड़ा कदम उठाने की तैयारी में तो नहीं है। जानकारों का मानना है कि अमेरिका चाहता है कि पहले यूरोपीय देश कोशिश कर लें। अगर नतीजा नहीं निकला तो ‘अमेरिकन स्टाइल’ में हल निकलेगा — यानी मिसाइलों की बौछार।

ईरान से मांगी गई परमाणु कार्यक्रम पर गारंटी

इन यूरोपीय देशों का मकसद सिर्फ युद्ध रोकना नहीं है, बल्कि असली खेल ईरान के परमाणु कार्यक्रम को लेकर है। जर्मनी, फ्रांस और ब्रिटेन चाहते हैं कि ईरान लिखित में गारंटी दे कि वह अपना परमाणु कार्यक्रम सैन्य उद्देश्यों के लिए कभी इस्तेमाल नहीं करेगा। इजराइल का सबसे बड़ा डर यही है कि तेहरान गुपचुप तरीके से परमाणु हथियार बना रहा है। ईरान बार-बार यह दावा कर चुका है कि उसका परमाणु कार्यक्रम पूरी तरह से नागरिक उद्देश्यों के लिए है, लेकिन इजराइल इस पर भरोसा करने को तैयार नहीं। इजराइल खुलेआम कह चुका है — “अगर दुनिया ने कुछ नहीं किया, तो हम ईरान के परमाणु ठिकानों को मिटा देंगे।”

जर्मनी ने दिया ‘विनाश’ का अल्टीमेटम

जर्मन चांसलर फ्रेडरिक मर्ज ने तो यहां तक कह दिया कि अगर ईरान ने युद्ध नहीं रोका तो उसे विनाश का सामना करना पड़ेगा। जर्मन विदेश मंत्री जोहान वेडफुल ने साफ कहा कि “अगर ईरान सचमुच शांति चाहता है तो उसे पहले कदम उठाने होंगे।” यानी यूरोप ने दो टूक कह दिया है — “या तो बातचीत से रास्ता निकालो या फिर तैयार हो जाओ दुनिया के सबसे खतरनाक युद्ध के लिए।”

टेलीफोन पर ‘डील’ का प्लान

खुफिया सूत्रों की मानें तो बीते सोमवार को जर्मन, फ्रांसीसी और ब्रिटिश विदेश मंत्रियों ने ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची से टेलीफोन पर सीक्रेट बातचीत की है। इसमें एक प्रस्ताव रखा गया है कि ईरान तत्काल अपने परमाणु कार्यक्रम पर रोक लगाने का एलान करे, ताकि इजराइल के हमले को रोका जा सके।ब्रिटेन के विदेश मंत्री डेविड लैमी भी इस बातचीत में शामिल हो चुके हैं। स्काई न्यूज के उप संपादक सैम कोट्स की रिपोर्ट से यह जानकारी सामने आई है कि यूरोप अब हर हाल में इस जंग को रोकने की कोशिश कर रहा है।

तो क्या बच जाएगा ईरान?

अब बड़ा सवाल यही है कि क्या ईरान इस दवाब में झुक जाएगा? या फिर अयातुल्ला खामेनेई अपनी जिद पर अड़े रहेंगे? अगर ईरान ने इस प्रस्ताव को ठुकरा दिया तो इस जंग का अंत सिर्फ खून से लिखा जाएगा। फिलहाल सबकी निगाहें जिनेवा पर टिकी हैं। जहां तीन यूरोपीय ताकतें दुनिया को तबाही से बचाने की आखिरी कोशिश करने जा रही हैं। अगर यह वार्ता असफल रही, तो अगली सुबह का सूरज दुनिया के लिए कुछ ऐसा लाएगा, जिसकी कल्पना भी डरावनी होगी।

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Harsh Srivastava

News Coordinator and News Writer

Harsh Shrivastava is an enthusiastic journalist who has been actively writing content for the past one year. He has a special interest in crime, politics and entertainment news. With his deep understanding and research approach, he strives to uncover ground realities and deliver accurate information to readers. His articles reflect objectivity and factual analysis, which make him a credible journalist.

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