क्या होता है 'फास्ट फैशन'... जो पर्यावरण और जेब दोनों पर कर रही हमला ? भारत में तेज़ी से बढ़ रहा है ये खतरनाक ट्रेंड !

Trending Of Fast Fashion: सोशल-मीडिया पर दिखावा, शो ऑफ के चलते लोग भविष्य में होने वाली बड़ी समस्याओं पर ध्यान ही नहीं दे रहे। यह शब्द अब केवल फैशन इंडस्ट्री में ही नहीं, बल्कि आम लोगों के बीच भी चर्चित है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फास्ट फैशन असल में है क्या और यह इतना ट्रेंड में क्यों है?

Priya Singh Bisen
Published on: 19 May 2025 6:23 PM IST (Updated on: 19 May 2025 6:33 PM IST)
Trending Of Fast Fashion
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Trending Of Fast Fashion (photo credit: socia md

Trending Of Fast Fashion: आज के दौर में युवा से लेकर हर उम्र के लोग आज के बदलते ट्रेंड के साथ- साथ फैशन में खुद को तब्दील किये जा रहे हैं। हर हफ्ते नई-नई डिज़ाइनों वाले कपड़े मार्केट में आते रहते हैं। जहां लोगों का जमावड़ा रोज़ होता है। सोशल मीडिया पर शो ऑफ के लिए बाज़ारों में कई डिज़ाइन के कपड़े आ रहे हैं। जिसे फास्ट फैशन (Fast Fashion) का नाम दिया गया है। सोशल-मीडिया पर दिखावा, शो ऑफ के चलते लोग भविष्य में होने वाली बड़ी समस्याओं पर ध्यान ही नहीं दे रहे। यह शब्द अब केवल फैशन इंडस्ट्री में ही नहीं, बल्कि आम लोगों के बीच भी चर्चित है। लेकिन क्या आप जानते हैं कि फास्ट फैशन असल में है क्या है और यह इतना ट्रेंड में क्यों है और इसके समाज, पर्यावरण और लोगों पर क्या प्रभाव पड़ रहे हैं?

क्या है फास्ट फैशन?


'फास्ट फैशन' उस प्रक्रिया का नाम है जिसमें फैशन इंडस्ट्री तेज़ रफ़्तार के साथ नए-नए डिज़ाइन के कपड़े बनाकर बाजार में उतारती है ताकि उपभोक्ता सस्ते दामों पर नए ट्रेंड्स को फॉलो कर सकें। भारत में टॉप ब्रांडेड कपड़ों की डिज़ाइन के नाम पर ZARA, H&M, और SHEIN जैसी कंपनियां फास्ट फैशन का संचालन कर रही हैं। आपको बता दे, पहले जहां फैशन सीज़नल होता था (गर्मी, सर्दी, त्योहार आदि), अब वहीं ये फैशन एक-एक मिनट पर बदल जाता है। बाज़ारों में हर हफ्ते में नया कलेक्शन उतार दिया जाता है। इस तेज़ी से बदलते ट्रेंड को ही ‘फास्ट फैशन’ (fast fashion) कहा जाता है।

फास्ट फैशन इतना ट्रेंड क्यों ?

1. नया फैशन, सस्ता दाम – फास्ट फैशन ब्रांड्स बहुत कम दामों पर ट्रेंडी कपड़े तैयार कराते हैं, जिससे हर वर्ग का व्यक्ति फैशन को अपना सकता है।

2. शो ऑफ की लत – सोशल मीडिया के दौर में लोग हर मौके पर नया और स्टाइलिश ऑउटफिट्स पहनना पसंद करते हैं और इसकी लोगों को आदत भी लग चुकी है।

3. बड़ी रेंज और वैरायटी – बाज़ारों में हर हफ्ते नया कलेक्शन आता है, जिससे उपभोक्ता के पास अधिक विकल्प होते हैं।

4. जल्द उपलब्धता – अब डिज़ाइन बनने से लेकर स्टोर में आने तक का समय बहुत ही कम हो गया है। किसी भी उम्र के लोग तुरंत ट्रेंड में कपड़े को पहन सकते हैं।

फास्ट फैशन के फायदे:

1. आम लोगों के लिए अवसर – फ़ास्ट फैशन का ट्रेंड मार्केट में आने के आम लोगों को भी फैशन का आनंद उठाने का अवसर मिल रहा है। इसमें महंगे ब्रांड्स की नकल कर सस्ते दामों में डिज़ाइनर कपड़े उपलब्ध कराए जाते हैं।

2. रोज़गार – फ़ास्ट फैशन के दौर आने के बाद से लाखों लोगों को इस इंडस्ट्री में नौकरी मिली है, खासकर विकासशील देशों में जहाँ उत्पादन होता है।

3. ट्रेंड के साथ चलना हुआ आसान – अब हर उम्र के लोग ट्रेंडिंग फैशन को फॉलो कर सकते है, चाहे उसकी आमदनी कितनी भी हो।

4. युवाओं का बढ़ा आत्मविश्वास – आपने अक्सर सुना होगा कि अच्छे कपड़े पहनकर आत्मविश्वास बढ़ता है। इस कारण युवा वर्ग में आत्मविश्वास बढ़ा है और वे सामाजिक रूप से ज्यादा सक्रिय हो गए हैं।

फास्ट फैशन के बुरे परिणाम:

1. पर्यावरण पर प्रभाव


'फास्ट फैशन' सुनने में जितना ज्यादा रोचक लगता है उससे कई ज्यादा इससे नकारात्मक प्रभाव पड़ रहे हैं। जी हाँ, फास्ट फैशन का ट्रेंड जबसे मार्केट में बढ़ा है तबसे पर्यावरण को ज्यादा नुकसान पहुंच रहा है। कुछ आकड़ों के मुताबिक :

- कपड़ा व्यवसाय दुनिया भर में दूसरा सबसे बड़ा पानी का इस्तेमाल करने वाला सेक्टर है।

- सस्ते कपड़ों में इस्तेमाल होने वाला पॉलिएस्टर प्लास्टिक से बनता है, जो जलवायु परिवर्तन को बढ़ावा देता है।

- एक रिपोर्ट के मुताबिक, फास्ट फैशन से हर साल लगभग 92 मिलियन टन कपड़ा वेस्ट जाता है जिसका कचरा बनाकर बाहर निकाल दिया जाता है।

2. कम गुणवत्ता वाले कपड़े


बाज़ारों में सस्ते दामों में कई तरह के डिज़ाइनर कपड़े मिलते हैं लेकिंन इस कपड़ों की क्वालिटी बहुत ख़राब होती है जिससे कपड़े जल्दी ख़राब या फट जाते हैं। सस्ते दामों पर मिलने वाले कपड़े ज्यादातर केवल एक बार पहनने लायक ही होते हैं, जिससे वेस्टेज बढ़ता है।

3. श्रम शोषण

फास्ट फैशन ब्रांड्स की लागत सस्ती रखने के लिए कई विकासशील देशों में बहुत कम पैसों में मजदूरी पर काम कराया जाता है जिससे कई बार श्रमिकों को खराब माहौल, लंबे समय और न्यूनतम वेतन पर काम करना पड़ता है। जिसमें आज के समय में बांग्लादेश, भारत, कंबोडिया और वियतनाम जैसे देशों में यह एक गंभीर मुद्दा है।

4. मानसिक दबाव

आजकल सोशल मीडिया पर लोगों का दिखता शो ऑफ कई बार भारी पड़ जाता है। अब इंस्टाग्राम, फेसबुक, यूट्यूब पर ट्रेंड कर रहे कई इन्फ्लुएंसर के प्रभाव में आकर युवा वर्ग पर हमेशा नया पहनने और अलग पहनने का दबाव बना रहता है। इससे कंज्यूमरिज्म (Consumerism) बढ़ता है और असंतोष की भावना जन्म लेती है।

5. स्थायित्व की कमी

आज जैसे-जैसे फास्ट फैशन का ट्रेंड बढ़ रहा है वैसे-वैसे लोगों में स्थिरता (Sustainability) की भारी कमी होती जा रही है। उपभोक्ता एक बार पहनने के बाद कपड़े फेंक देते हैं और ये बरताव आप अपने ही लोगों के साथ देख सकते हैं।

भारत में फास्ट फैशन का बाज़ार


भारत में फास्ट फैशन का बाजार तकरीबन 11 बिलियन अमेरिकी डॉलर से भी बड़ा है और अनुमान है कि साल 2030 तक यह आंकड़ा 16.5% CAGR हो सकता है। भारत में H&M, ज़ारा और रोडस्टर कुछ बड़ी लोकप्रिय फास्ट फैशन ब्रांड हैं। अनुमान है कि वित्तीय वर्ष 2031 तक, देश में फास्ट फैशन का बाजार 50 अरब डॉलर के पार जा सकता है।

इसका समाधान ?

1. जागरूक उपभोक्ता बनें – सोच-विचारकर कपड़े खरीदें, क्यूंकि बाज़ारों में कम दामों में भी नए-नए डिज़ाइन के कपड़े उपलब्ध हैं।

2. स्थायी ब्रांड्स को चुने – ऐसे ब्रांड्स को अपनी पसंद बनाइये जो पर्यावरण और श्रमिकों के प्रति जिम्मेदार हों।

3. पुराने कपड़ों का करें उपयोग – कपड़ों को पुनः पहनना कोई शर्म की बात नहीं है। सोशल मीडिया पर कई तरीके की स्टाइल से पहनने की ट्रेनिंग दी जाती है आप उसकी मदद से अपने पुराने कपड़ों को नए तरीके से पहन सकते हैं।

4. थ्रिफ्टिंग को अपनाएं – आजकल सेकेंड हैंड कपड़े खरीदना एक नया ट्रेंड बनता जा रहा है। यह तरीका पर्यावरण और आपके बजट दोनों के लिए फायदेमंद है।

फास्ट फैशन की रफ्तार के प्रभाव


फास्ट फैशन ने फैशन की दुनिया को लोकतांत्रिक बना दिया है, जिससे हर उम्र के लोग ट्रेंड के साथ चल सकते हैं। फास्ट फैशन की तेज़ रफ्तार ने हमारे पहनावे को तो बदला ही है, लेकिन ज़रूरी है कि एक सामान्य उपभोक्ता के रूप में हम सोच-समझकर आवश्यकतानुसार कपड़े खरीदें, और सस्टेनेबल विकल्पों को अपनाएं। लेकिन इसके पीछे छिपे पर्यावरणीय और आर्थिक खतरे को समझना भी बहुत ज़रूरी है। अगर हम सभी थोड़ी सी जागरूकता और जिम्मेदारी से खरीदारी करें तो फैशन को बेहतर तरीके से लम्बे समय तक अधिक टिकाऊ बनाया जा सकता है।

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Content Writer

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