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India Pakistan War: भारत पाक युद्ध और उसके पश्चात
India Pakistan War: इस युद्ध के अन्तराल में ही भारत के रक्षा विशेषज्ञो को उन हथियारों की मारक क्षमता का आभास हो चुका था।
India Pakistan War and its Aftermath
India Pakistan War: मई माह के उत्तरार्ध में भारत - पाकिस्तान के मध्य प्रारम्भ हुए चार दिवसीय युद्ध पर विराम तो लग गया, परन्तु इस युद्ध से भारतीय वैज्ञानिकों एवं रणनीतिकारों को बहुत अधिक सीख प्राप्त हुई। इस युद्ध विराम से यदि किसी देश को प्रसन्नता नहीं हुई, तो वह एकमात्र देश चीन था। इसका प्रमुख कारण यह था कि पाकिस्तान के द्वारा उपयोग में लाए जाने वाले अधिकांश शस्त्रों का आयात चीन से होता है। चीन के द्वारा आयातित हथियारों का परीक्षण इस युद्ध के दौरान होना था, परन्तु पाकिस्तानी सैनिकों के द्वारा इन हथियारों को चलाने में अक्षम होने पर, चीन ने युद्ध के तीसरे दिन उन हथियारों के ज्ञाताओं को पाकिस्तान भेज दिया, परन्तु तभी युद्ध विराम हो गया और चीन की आकाक्षाएं धाराशायी हो गईं। इस युद्ध के अन्तराल में ही भारत के रक्षा विशेषज्ञो को उन हथियारों की मारक क्षमता का आभास हो चुका था। उन्होंने उसी के अनुरूप भविष्य का रक्षातंत्र सुदृण करने का निश्चय किया है।
चीन का एक सेटेलाईट, मिराज़ विज़न, जो कि विश्व में घटित समस्त घटनाओं पर चील सदृश तीव्र दृष्टि रखता हैं। इसी सेटेलाइट ने भारत-पाक युद्ध से संबंधित कुछ फोटो प्रसारित किए, जिनसे ज्ञात होता है कि भारतीय सशस्त्र सेनाओं ने अपनी मिसाईलों के द्वारा, इस युद्ध में पाकिस्तान के सबसे बड़े हवाई अड्डे- नूरखान तथा उसके आस-पास की पहाड़ियों पर भी अचूक हमला किया, जहाँ पाकिस्तान ने परमाणु अस्त्रों को पहाड़ों की गुफाओं में छुपा कर रखें थे। जिसके कारण वहाँ पर परमाणु विकीरण होना प्रारम्भ हो गया।
ऐसे भी समाचार प्राप्त हुए हैं कि इस घटना से सर्वाधिक चिंता अमेरिकी वैज्ञानिकों एव सशस्त्र सेनाओं को हुई, उन्होंने इस विकीरण को रोकने तथा अपने परमाणु बमों को सुरक्षित करने हेतु, परमाणु सुरक्षा प्रदत्त यान बी.350 एएमएस को भेजा और इजिप्ट ने भी अपना सुपर यान- बोरोन भेजा,जो कि रेडियोएक्टिविटी (रेडियाधर्मिता) को नियंत्रित करता है। उपरोक्त तथ्यों से यह प्रमाणित होता है कि पाकिस्तान, जो स्वयं को परमाणु सम्पन्न देश कहता है, वह मात्र एक भ्रम है। सम्भवतया अमेरिका ने भी अपने परमाणु बमों को पाकिस्तान की पहाड़ियों में छुपा कर रखा है। इसी भय से ट्रम्प ने सीजफायर के भरसक प्रयास किए। इन प्रयासों के पीछे ट्रम्प का एकमात्र भय यही था कि कहीं उनके तथ्यों की वास्तविकता, विश्व के समक्ष प्रकट न हो जाए।
सम्भवतया भारत के गुप्तचरों को भी इसका संज्ञान हो गया है। अब यदि भारत की मिसाईलों ने पाकिस्तान पर पुनः हमला किया तो सम्भव है, पहाड़ियों में छिपायें गए परमाणु बम वहीं फटकर पाकिस्तान की विनाशलीला की पटकथा लिख देंगें। अभी भी जानकारों का मानना है कि इन पहाड़ियों में अब 1000 वर्ष तक कोई भी प्राणी अन्तर प्रवेश नहीं कर सकता।
चीन ने इस अल्प अवधि के युद्ध में पाकिस्तान का पूर्ण सहयोग किया और इसी कारण रूस, जो चीन का घनिष्ठ मित्र है, उसने अतीत में हुए प्रत्येक युद्ध में भारत की सहायता की थी, वह तटस्थ रहा। चीन एक विस्तारवारदी प्रवृत्ति का देश है। उसकी भारत के लद्दाख व पूर्वोत्तर प्रदेशों पर भी गिद्ध सदृश दृष्टि लगी है। बंग्लादेश में भी उसने अपना आधिपत्य करना प्रारम्भ कर दिया है। इस युद्ध के माध्यम से भी चीन अपनी अपेक्षाओं की पूर्ति करना चाहता था, परन्तु वह असफल रहा, इस कारण वह त्रस्त है। भारत के रक्षा नीतिकारों को भविष्य में चीन के विस्तारवादी रुख से अत्यधिक सतर्क रहना होगा, क्योंकि निकट भविष्य में चीन अपनी अपेक्षाओं की पूर्ति हेतु बंग्लादेश को अपने हथियारों से सशक्त करके और उसकी सेना को अपना संरक्षण प्रदान करके, भारत पर तीनों ओर से युद्ध की योजना बनाकर आक्रमण कर सकता है।
इस रणनीति को सफल बनाने हेतु चीन ने, एक ओर पाकिस्तान को अपने 35, एफ-35 अत्याधुनिक विमान, आधे दामों पर उधार देने का समझौता किया है, जिन्हें वह अगस्त 2025 तक पाकिस्तान के सुपुर्द कर देगा, दूसरी ओर, लद्दाख और भारत के पूर्वोत्तर भाग पर भी अपना आधिपत्य स्थापित करने के प्रयास प्रारम्भ कर दिए हैं, तीसरी ओर, बंग्लादेश, जहाँ पर चीन ने भारत की सीमाओं के निकट हवाई अड्डे का निर्माण करना प्रारम्भ कर दिया है। इन रणनीतियों के माध्यम से चीन का एक मात्र लक्ष्य भारत को तीनों ओर से घेरना है। इसलिए भारत को चीन की इन कुटिल नीतियों के प्रति सचेत रहना होगा। अपने रक्षातंत्र को इतना सशक्त करना होगा कि जब चीन, तीनों तरफ से आक्रमण करें तो हमारे भारतीय सैनिक उसका सामना पूर्णरूपेण शक्ति सम्पन्न होकर कर सकें। भविष्य में चीन जैसे महत्वाकांक्षी तथा शक्तिशाली देश से युद्ध होना निश्चित है, अतः भारत देश को उस महत्वपूर्ण युद्ध हेतु स्वयं को तैयार करना होगा और वही युद्ध भारत की आन बान शान का निर्णायक युद्ध होगा।
( लेखक प्रख्यात शिक्षाविद हैं।)
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