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नए युग का मीडिया, युवा और भारत

Motivational and Inspiring Story: बदलाव प्रकृति का नियम है वहीँ आज हमारा भारत भी बदल रहा है, नए युग का मीडिया और युवा एक नए भारत के निर्माण की नींव बन सकते हैं। लेकिन इसके लिए ज़रूरत है कि वो सकारातमक दिशा में आगे बढ़ें।

Yogesh Mishra
Published on: 23 Jun 2025 3:13 PM IST
Motivational and Inspiring Story New Age Media Youth
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Motivational and Inspiring Story New Age Media Youth

Motivational and Inspiring Story: विषय इंग्लिश में है। इसका हिंदी तर्जुमा करें तो अर्थ है - नए युग का मीडिया, युवा और भारत।बात और आसान करें तो कहने का मतलब है नए जमाने का मीडिया, उसमें युवाओं की भागीदारी और भारतीय परिप्रेक्ष्य।

बदलाव एक सतत प्रक्रिया है। हम सभी हर क्षण बदलाव से गुजरते हैं। समाज और राष्ट्र भी बदलते रहते हैं। हमारा देश भी आज एक बदलाव के युग से गुजर रहा है। अवधारणाओं, विचारों में बदलाव के इस दौर में मीडिया, युवा और राष्ट्र की गति एक-दूसरे से गहरे रूप से जुड़ी हुई है। जहां एक ओर नए जमाने का मीडिया अभिव्यक्ति की आज़ादी को नए पंख दे रहा है, वहीं दूसरी ओर युवाओं की भूमिका राष्ट्र निर्माण में पहले से कहीं ज्यादा निर्णायक हो गई है। ऐसे में नए युग का मीडिया और युवा एक नए भारत के निर्माण की नींव बन सकता है, बशर्ते इसे सकारात्मक दिशा में ले जाया जाए।


हम नए युग के मीडिया की बात कर रहे हैं तो यह भी जानना जरूरी है कि पुराने युग का मीडिया क्या है। दरअसल, पारंपरिक मीडिया यानी अखबार, रेडियो, और टेलीविजन को ही पुराने युग का मीडिया कहा जाता है। यही सब मीडिया था। ये सब दशकों से भारतीय समाज का हिस्सा रहे हैं। लेकिन 21वीं सदी में डिजिटल क्रांति ने सब कुछ बदल डाला। जो पहले मीडिया का आधार था वो कहीं पीछे चला गया, आप्रसंगिक हो गया। डिजिटल क्रांति ने सबसे ज्यादा बदलाव मीडिया यूनिवर्स में किया और उसकी पहुंच ऐसी कर दी कि जिसके बारे में कभी कल्पना भी नहीं की गई थी। अब सोशल मीडिया, पॉडकास्ट, यूट्यूब चैनल्स, ब्लॉग्स, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स और डिजिटल न्यूज पोर्टल एक अलग तरह का मीडिया इकोसिस्टम बना चुके हैं, और इसे ही नए युग का मीडिया कहा जाता है।

इस नए मीडिया की सबसे बड़ी खासियत है इसकी लोकतांत्रिक बनावट जिसमें हर कोई अब निर्माता है, उपभोक्ता है और समीक्षक भी है। नए युग का मीडिया अभिव्यक्ति को अपार विस्तार देता है, इसकी कोई सीमा है ही नहीं। ये विचारों का विकेंद्रीकरण भी करता है और इसमें प्रतिक्रिया तत्काल होती है। यहां सब कुछ रियल टाइम में है। यहां संपादक के नाम पत्र के पोस्टकार्ड नहीं होते। इतना समय नहीं है किसी के पास। बल्कि तुरंत फीडबैक और रिएक्शन है।

जब बात नए की हो तो युवा उसका अविभाज्य हिस्सा होंगे ही। भारत तो वैसे ही दुनिया का सबसे युवा देश है। हमारी पैंसठ फीसदी जनसंख्या युवा है। यही भारत की सबसे बड़ी ताकत बन सकती है, शर्त ये है कि युवाओं को सही दिशा, अवसर और मंच दिया जाए।


आज का युवा सिर्फ शिक्षा और रोजगार तक सीमित नहीं है। वह सोचता समझता है, संवेदनशील है और सामाजिक - राजनीतिक मुद्दों पर अपनी राय बढ़ चढ़ कर रखता है। आज का युवा बदलाव चाहता है। वो किसी से पीछे नहीं रहना चाहता। और इसके लिए वो टेक्नोलॉजी का इस्तेमाल करता है।

इंस्टाग्राम, एक्स, यूट्यूब, फेसबुक, लिंक्डइन, ओटीटी प्लेटफॉर्म्स जैसे सभी सोशल मीडिया मंच युवाओं की बदौलत ही चल रहे हैं। इन पर सक्रिय युवा सिर्फ मनोरंजन नहीं करते बल्कि अपनी राय रखने से लेकर सामाजिक मुद्दों में भी योगदान दे रहे हैं।

युवा ही इस मीडिया के सबसे बड़े उपभोक्ता और निर्माता हैं। वह इसके जरिये से न सिर्फ खुद को व्यक्त करता है, बल्कि दूसरों की राय और नजरिये को भी प्रभावित करता है।

आप किसी मुद्दे के बारे में देखिए, बांग्लादेश के हाल हों या कोरोना की घातक लहरें, पहाड़ों में बाढ़ और बर्बादी हो या भारत पाकिस्तान संघर्ष, अमेरिका की राजनीति हो या लोकसभा चुनाव या कोई स्थानीय मसला, हर मुद्दे पर युवाओं ने नए युग के मीडिया के जरिये अपने विचारों को रखा। उनकी बात सुनी भी गई। अब तो ज्यादातर बार यही न्यू मीडिया, पारंपरिक मुख्यधारा की मीडिया से पहले जमीनी सच्चाई को सामने लाने में सक्षम हुआ है।पर हम यह भी नहीं कह सकते कि पारंपरिक मीडिया अपनी भूमिका के निर्वहन में खरा नहीं उतर रहा है। इस पर बात करने से पहले यह मान लेना होगा कि ऑन लाइन मीडिया यानी पोर्टल्स भी पारंपरिक मीडिया के विकासक्रम का अद्यतन रुप हैं। अगर प्रिंट, इलेक्ट्रॉनिक व आन लाइन मीडिया सब का विश्लेषण करें तो हम भरोसे से यह कह सकते हैं कि कोई खबर रोकी या दबाई नहीं जा सकती। जैसा कि हमारे एक साथी ने दो खबरों से पारंपरिक मीडिया के मुँह मोड़ने की बात कही है। खबर जो है, वह कहीं न कहीं छप ज़रूर जाती है। हाल में कुंभ में हुई भगदड़ में हुई मौतों की ख़बर को लेकर बात की जा सकती है।राज्य सरकार ने इसे दबाने की कोशिश की। देश के समूचे मीडिया ने ‘ पता नहीं क्यों’ इस खबर से मुँह मोड़ लिया। हद तो यह हुई कि देश के जिस बड़े प्रसार का दावा करने वाले अख़बार ने इस खबर को अपने कुंभ संस्करण में प्रकाशित किया , उसने ही देश के अपने बाक़ी सभी संस्करणों में ड्राप कर दिया। पर केवल भास्कर ने यह खबर न केवल प्रकाशित की । बल्कि ठीक से प्रकाशित की। आप को जान कर हैरत होगा कि भास्कर अख़बार के इंटरनेट संस्करण को देश भर में कई करोड़ लोगों ने देखा। जानते हैं क्यों? क्योंकि इसे दबाया जा रहा था। खबरों को सूट करने के नजरिये से देखने से बचना चाहिए । आज यही हो रहा है, जो खबर आप को सूट नहीं कर रही है, वह विरोध के चश्में से देखी जा रही है। जबकि खबर को ट्रुथ के एलिमेंट से केवल देखा जाना चाहिए ।


इसी के साथ न्यू एज मीडिया के एक दूसरे उदाहरण का ज़िक्र करना भी ज़रूरी हो जाता है। बात बारह जून,2025 की है। जब अहमदाबाद में एक ड्रीमलाइनर जहाज़ दुर्घटनाग्रस्त हुआ। इस दुर्घटना का जो वीडियो देश भर में देखा गया उसे सत्रह साल के इंटर में पढ़ने वाले एक बच्चे आर्यन असारी ने बनाया था। इस वीडियो ने इस दुर्घटना को लेकर उठने वाले तमाम सवालों, आशंकाओं व अटकलों के बाज़ार को विराम दे दिया। क्योंकि वीडियो कई बातों की गवाही दे रहा था। हमारे एक मित्र हैं, सुभाष ओझा जी । वह पायलट हैं। यहाँ सामने बैठे भी हैं। इन्होंने हमारी बोइंग उड़ाने वाले कई पायलटों व वैमानिक इंजीनियरों से बात कराई। वीडियो के आधार पर मेरी तमाम अटकलों व आशंकाओं को इन लोगों ने ख़ारिज कर दिया। मसलन, विमान से पक्षी टकरा गया होगा। विमान के फ्लैप्स खोलना पायलट भूल गया होगा। पायलट थका होगा। बिजली आपूर्ति बाधित हो गई होगी। मेरे इन सभी सवालों के जवाब उस बच्चे द्वारा तैयार किये गये वीडियो में थे। बस एक सवाल के जवाब के लिए पायलटों व वैमानिक इंजीनियरों ने ब्लैक बाक्स की रिपोर्ट आने तक इंतज़ार करने को हमें कहा। वह सवाल है- कहीं ईंधन कंटिमेनेटेड तो नहीं था। आप जानते हैं कि यदि यह वीडियो नहीं होता तो हम पत्रकार ब्लैक बाक्स की रिपोर्ट आने तक आप सब सुधि पाठकों उदीयमान पत्रकारों व देश के युवाओं को इन्हीं सब अटकलों के इर्द गिर्द घुमाते रहते । जैसे सोनम और राजा की कहानी के इर्द गिर्द आप को टहला रहे हैं।

इंटरनेट इन इंडिया की 2023 रिपोर्ट के निष्कर्षों के अनुसार, भारत में 700 मिलियन से अधिक लोग OTT प्लेटफॉर्म्स का उपयोग कर रहे हैं, जिनमें से 50 प्रतिशत से अधिक उपयोगकर्ता ग्रामीण क्षेत्रों से हैं। इसके अलावा, 208 मिलियन लोग अब वीडियो सामग्री का उपभोग करने के लिए विशेष रूप से इन इंटरनेट से जुड़े उपकरणों का उपयोग करते हैं, जो कमर्शियल टीवी पर अभी भी निर्भर 181 मिलियन से अधिक हैं।ये आँकड़े स्थिति की गंभीरता को दर्शाते हैं। हमें इस विषय पर सोचना होगा। हाल में ही भारत सरकार ने 18 ओटीटी प्लेटफार्म्स को बैन किया था।


मतलब साफ़ है कि हर तस्वीर के दूसरे पहलू की तरह नए युग के मीडिया का भी एक दूसरा पहलू है जिसमें फेक न्यूज, ट्रोलिंग, साइबर बुलिंग, और कट्टरता का प्रसार शामिल है। युवाओं को यह समझना होगा है कि किसी भी जानकारी को शेयर करने से पहले उसकी पुष्टि करना उनकी जिम्मेदारी है। झूठी खबरें, घृणा फैलाने वाला कंटेंट, और अफवाहें कुछ भी अच्छा नहीं करते, बल्कि सामाजिक तानेबाने को छिन्न भिन्न ही करते हैं। इन पहलुओं से निपटने का जरिया भी निकालना होगा। इसके लिए कानून और सज़ा से ज्यादा जरूरी होगा डिजिटल साक्षरता, जागरूकता और तार्किकता का प्रचार प्रसार।

अगर युवा नए युग के मीडिया के प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल रील, शॉर्ट्स और मनोरंजन से आगे बढ़ कर क्रिएटिव तरीके से करें तो ये भारत की सामाजिक और आर्थिक उन्नति में मददगार हो सकता है। क्रिएटिविटी में बहुत कुछ हो सकता है। लोकल भाषाओं में कंटेंट, बदलाव की पॉजिटिव दास्तानें, स्टार्टअप्स का प्रचार, आईडिया और इनोवेशन का प्रसार। बहुत कुछ है करने को।

नए मीडिया, युवा और भारत - इस तीनों के बीच कड़ी के रूप में सरकार और समाज दोनों को सहयोगी बनना होगा। डिजिटल मजबूत इंफ्रास्ट्रक्चर, गांवों तक इंटरनेट, डिजिटल शिक्षा और ऑनलाइन प्लेटफॉर्म्स पर जिम्मेदार मौजूदगी को बढ़ावा देना जैसे कदमों से नये युग का मीडिया एक राष्ट्रीय आंदोलन बन सकता है। अगर यह तालमेल सकारात्मक दिशा में बना रहा, तो ये भारत को एक बड़ी विश्व शक्ति बनाने में बड़ी भूमिका निभा सकता है।

युवा ही वह चिंगारी है जो बदलाव ला सकती है, और न्यू मीडिया वह हवा है जो इस चिंगारी को भड़का सकती है। जरूरत है सिर्फ जागरूकता, विवेक, और सही दिशा की। जब ये हो जाएगा तो एक मजबूत, आत्मनिर्भर, एकात्मक और समावेशी भारत का सपना साकार होगा।

( ‘ लोक नीति’के चौथे ‘यंग थिंकर मीट’- 2025 के आयोजन के पहले दिन यानी 21.6.2025 अयोध्या में दिया गया भाषण।)

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