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UP News: क्या है बीजेपी का नया दलित कार्ड ! अखिलेश के PDA फार्मूले को सीधी टक्कर, बीजेपी का 2027 फार्मूला

UP News: बीजेपी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर लखनऊ स्थित आंबेडकर पार्क में बड़ा आयोजन किया, जिसमें दलित समुदाय के लगभग 5,000 लोगों को योग कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया।

Virat Sharma
Published on: 23 Jun 2025 11:20 AM IST
UP News: क्या है बीजेपी का नया दलित कार्ड ! अखिलेश के PDA फार्मूले को सीधी टक्कर, बीजेपी का 2027 फार्मूला
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UP News: यूपी में 2027 के विधानसभा चुनाव की तैयारियों में जुटी भारतीय जनता पार्टी अब दलित वोटरों को साधने के लिए पूरी ताकत झोंक रही है। पार्टी ने समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव के पीडीए समीकरण की काट के रूप में बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर के नाम और विचारों को अपनी रणनीति का केंद्र बनाया है। इस रणनीति के तहत बीजेपी ने अंतरराष्ट्रीय योग दिवस के अवसर पर लखनऊ स्थित आंबेडकर पार्क में बड़ा आयोजन किया, जिसमें दलित समुदाय के लगभग 5,000 लोगों को योग कार्यक्रम के लिए आमंत्रित किया गया।

वहीं कार्यक्रम में खास बात यह रही कि सभी प्रतिभागियों को पार्टी की ओर से जो सफेद टी-शर्ट दी गईं, उन पर किसी बीजेपी नेता की नहीं, बल्कि बाबा साहब भीमराव आंबेडकर की तस्वीर छपी थी। शहर में लगे होर्डिंग्स में भी बाबा साहब का ही वर्चस्व नजर आया, जिससे बीजेपी के नए सियासी संदेश की झलक साफ दिखाई दी।

लगातार आंबेडकर से जुड़ी गतिविधियों में जुटी बीजेपी

पिछले दो महीनों के दौरान भारतीय जनता पार्टी ने लखनऊ में आंबेडकर के नाम पर कई कार्यक्रम आयोजित किए हैं। इनमें ‘आंबेडकर मैराथन’ और विचार गोष्ठियों से लेकर सांस्कृतिक आयोजनों तक शामिल हैं। इन आयोजनों की कमान रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह के बेटे और लखनऊ से बीजेपी नेता नीरज सिंह संभाल रहे हैं। इससे साफ है कि पार्टी दलितों के बीच अपनी पकड़ मजबूत करने के लिए जमीनी स्तर पर काम कर रही है।

लोकसभा चुनाव 2024 में दलित वोटों से हुआ बीजेपी को नुकसान

बीते 2024 के लोकसभा चुनाव में बीजेपी को उत्तर प्रदेश में भारी झटका लगा। पार्टी का वोट शेयर 49.98 प्रतिशत से गिरकर 41.37 प्रतिशत पर आ गया, जिससे उसे राज्य में 26 सीटों का नुकसान उठाना पड़ा। जानकारों के अनुसार, इसका एक बड़ा कारण दलित वोटों का पार्टी से खिसकना रहा। एक सर्वे के मुताबिक, इंडिया ब्लॉक को इस चुनाव में गैर-जाटव दलितों के 56 प्रतिशत और जाटव दलितों के 25 प्रतिशत वोट मिले। जबकि 2019 में बीजेपी को दलित समुदाय के लगभग 50 प्रतिशत वोट मिले थे। वहीं में दलित मतदाता कुल मतदाताओं का लगभग 21 प्रतिशत हैं, जो चुनावी नतीजों को निर्णायक रूप से प्रभावित करते हैं। 2024 में विपक्ष द्वारा चलाए गए 'संविधान बदला जाएगा' जैसे अभियानों ने दलित वर्ग में बीजेपी को लेकर आशंका पैदा की, जिससे उसका परंपरागत समर्थन कमजोर हुआ।

2027 में दिलचस्प होगा मुकाबला

समाजवादी पार्टी प्रमुख अखिलेश यादव पीडीए समीकरण के सहारे सत्ता में वापसी का खाका तैयार कर रहे हैं। वहीं, भाजपा ने अब खुलकर दलितों को साधने के लिए ‘आंबेडकर कार्ड’ खेला है। दलित प्रतीकों और उनके विचारों को अपनाकर बीजेपी न सिर्फ वोटों की दिशा मोड़ने की कोशिश कर रही है, बल्कि विपक्ष के संविधान को लेकर फैले भ्रम का जवाब भी देना चाहती है। अब सवाल यह है कि क्या बाबा साहब के नाम पर किए जा रहे कार्यक्रम बीजेपी को दलित वोट वापस दिला पाएंगे। 2027 के विधानसभा चुनाव में यह रणनीति कितना असर डालेगी, यह आने वाले समय में साफ हो जाएगा।

बसपा की कमजोरी का फायदा उठाना चाहती है बीजेपी

बहुजन समाज पार्टी सुप्रीमो मायावती जो कभी दलित राजनीति की सबसे मजबूत आवाज मानी जाती थीं, अब पहले जैसी स्थिति में नहीं हैं। बीजेपी इस खाली हो रहे राजनीतिक स्पेस को भरने के लिए बाबा साहब के विचारों और प्रतीकों को आगे रखकर दलितों में अपनी पकड़ मजबूत करने की कोशिश में है।

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Shalini singh

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