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Andhra Pradesh Srikalahasti Temple: हवा में भी नहीं बुझती लौ, श्रीकालाहस्ती मंदिर का चमत्कार कर देगा हैरान

Andhra Pradesh Srikalahasti Temple History: आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित श्रीकालाहस्ती मंदिर एक ऐसा शिवधाम है, जहां हवा में भी दीपक की लौ नहीं बुझती।

Jyotsna Singh
Published on: 26 July 2025 2:34 PM IST
Andhra Pradesh Famous Mandir Srikalahasti Temple History
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Andhra Pradesh Famous Mandir Srikalahasti Temple History 

Andhra Pradesh Srikalahasti Temple History: आंध्र प्रदेश के चित्तूर जिले में स्थित श्रीकालाहस्ती मंदिर एक ऐसा शिवधाम है, जहां हवा में भी दीपक की लौ नहीं बुझती। यह मंदिर वायु तत्व का प्रतीक है और इसका शिवलिंग स्वयंभू और जीवित माना जाता है। धार्मिक आस्था, वैज्ञानिक रहस्य और पौराणिक कथाओं से घिरा यह मंदिर आज भी हजारों श्रद्धालुओं की आस्था का केंद्र है। आइए जानते हैं श्रीकालाहस्ती मंदिर की ऐतिहासिक, सांस्कृतिक और चमत्कारी विशेषताओं के बारे में-

वायु तत्व के प्रतीक के रूप में पंचभूत स्थलों में से एक है श्रीकालाहस्ती मंदिर

पांच प्राकृतिक तत्वों में शामिल पृथ्वी, जल, अग्नि, वायु और आकाश में से वायु तत्व का प्रतिनिधित्व करने वाला श्रीकालाहस्ती मंदिर पंचभूत शिव मंदिरों की श्रृंखला में शामिल है।


यह अकेला ऐसा मंदिर है जहां वायु की उपस्थिति को एक रहस्यमय शक्तिरूप में अनुभव किया जा सकता है।इसी कारण यह मंदिर 'दक्षिण का काशी' कहलाता है।

श्रीकालाहस्ती मंदिर का ऐतिहासिक गौरव

पल्लव और चोल राजवंशों की छाप लिए इस मंदिर का इतिहास हजारों वर्ष पुराना है, जिसे बाद में विजयनगर साम्राज्य ने भव्य स्वरूप में विस्तार दिया।


इसकी द्रविड़ वास्तुकला, पत्थरों पर की गई नक्काशी और शक्तिशाली शिवलिंग इसे न केवल दक्षिण भारत का एक ऐतिहासिक स्मारक बनाते हैं, बल्कि एक जीवंत तीर्थस्थल भी।

श्रीकालाहस्ती की अद्भुत पौराणिक कथाएं

यहां के सबसे प्रसिद्ध भक्त कणप्पा की कथा में भक्ति का चरम देखने को मिलता है। जिन्होंने शिवलिंग पर अपने नेत्र तक अर्पित कर दिए।


वहीं वायु देव की तपस्या से जुड़ी कथा यह बताती है कि शिव ने उन्हें आशीर्वाद देकर स्वयं वायु रूप में इस मंदिर में वास किया।

वास्तु रचना और गूढ़ रहस्यों के लिए है विश्व प्रसिद्ध

श्रीकालाहस्ती मंदिर न केवल धार्मिक भावनाओं का केंद्र है, बल्कि इसकी बनावट और आंतरिक संरचना भी चमत्कारी है। गर्भगृह में बिना किसी वेंटिलेशन के लगातार चलती हवा और दीपक की अविनाशी लौ इसे एक अद्भुत इंजीनियरिंग चमत्कार का दर्जा दिलाती है।

मंदिर के गर्भगृह में जलता हुआ यह दीपक, जो लगातार वायु प्रवाह के बावजूद स्थिर रहता है। इस मंदिर की सबसे रहस्यमयी विशेषता है। वैज्ञानिकों ने इसके पीछे वायुगतिकी और प्राकृतिक वेंटिलेशन की थ्योरी तो दी है, लेकिन कोई भी इसकी पूरी व्याख्या नहीं कर पाया है, जिससे यह रहस्य आज भी जीवित है।

कालसर्प दोष निवारण का प्रमुख केंद्र है ये मंदिर

धार्मिक आस्थाओं का केंद्र बन चुका यह मंदिर जहां श्रद्धालु खासतौर पर राहु-केतु दोष, कालसर्प योग और ग्रह पीड़ा को शांत करने के लिए आते हैं। मंदिर में विशेष ‘राहु-केतु पूजा’ के आयोजन होते हैं, जिनमें भाग लेने वाले भक्त यह मानते हैं कि उनकी बाधाएं धीरे-धीरे समाप्त हो जाती हैं।

महाशिवरात्रि से लेकर कार्तिक दीपम तक रहती है पर्वों की धूम

श्रीकालाहस्ती मंदिर में सालभर खास धार्मिक आयोजन होते रहते हैं। जिनमें महाशिवरात्रि और नवरात्रि प्रमुख हैं। कार्तिक दीपम के समय यहां विशाल दीपों की सजावट होती है और भक्तों की भीड़ हजारों में पहुंच जाती है। जिससे यह मंदिर ऊर्जा और भक्ति का भव्य केंद्र बन जाता है।

यह मंदिर विज्ञान और अध्यात्म का अनोखा संगम है, जहां दोनों एक-दूसरे की सीमाएं छूते हैं

वैज्ञानिकों ने जहां मंदिर की बनावट को प्राकृतिक वेंटिलेशन का चमत्कार बताया है, वहीं दीपक की लौ, गर्भगृह की गति और वायु प्रवाह की दिशा आज भी वैज्ञानिकों को हैरान करती है। यही कारण है कि यह मंदिर केवल एक तीर्थ नहीं, बल्कि शोध का भी विषय है।

जीवन में आते हैं आश्चर्यजनक बदलाव

इस दिव्य मंदिर में कालसर्प दोष निवारण के बाद कई भक्तों ने करियर में सफलता, वैवाहिक जीवन में सुधार और मानसिक शांति का अनुभव साझा किया है। यही वजह है कि यहां आने वालों की संख्या हर साल बढ़ती जा रही है। पर्यावरण संरक्षण और स्वच्छता के मामले में भी श्रीकालाहस्ती मंदिर एक आदर्श उदाहरण है।

यह मंदिर परिसर प्लास्टिक मुक्त क्षेत्र घोषित किया गया है। हरियाली और स्वच्छता बनाए रखने के लिए स्वयंसेवकों की टीम सक्रिय रहती है और भक्त भी सफाई में सहयोग करते हैं।

श्रीकालाहस्ती मंदिर केवल पूजा का स्थान नहीं, बल्कि यह उन स्थलों में से एक है, जहां आस्था और विज्ञान साथ-साथ चलते हैं। हवा में भी न बुझने वाली दीपक की लौ, पौराणिक कथाओं की जीवंतता और भक्तों की अपार श्रद्धा इसे एक अनोखा चमत्कारी स्थल बनाती है। यदि आप दक्षिण भारत की यात्रा पर हैं, तो इस दिव्य मंदिर में दर्शन अवश्य करें यह अनुभव आपको जीवन भर याद रहेगा।

कैसे पहुंचे श्रीकालाहस्ती मंदिर

तिरुपति के पास श्रीकालाहस्ती मंदिर तक पहुंचना आसान है। जिससे श्रद्धालुओं को सुविधा मिलती है। श्रीकालाहस्ती रेलवे स्टेशन मंदिर से मात्र 1.5 किलोमीटर की दूरी पर है, जबकि तिरुपति एयरपोर्ट सिर्फ 25 किलोमीटर दूर है। सड़क मार्ग से भी यह मंदिर पूरी तरह जुड़ा हुआ है और देश के हर कोने से श्रद्धालु यहां आसानी से पहुंच सकते हैं।

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