History of Lalbaugcha Raja: कैसे हुई मनोकामना पूरी करने वाले बाप्पा की स्थापना? जानिए मुंबई के लालबाग के राजा का इतिहास!

History of Lalbaugcha Raja: 1934 में स्थापित लालबागचा राजा 2025 में अपने इतिहास के 91 वर्ष पूरे करेगा।

Shivani Jawanjal
Published on: 24 Aug 2025 2:06 PM IST
History of Lalbaugcha Raja
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History of Lalbaugcha Raja 

History Of Lalbaugcha Raja: भारत की सांस्कृतिक धरोहर में गणेशोत्सव का विशेष स्थान है। भाद्रपद मास में दस दिनों तक चलने वाला यह पर्व पूरे देश में धूमधाम से मनाया जाता है। और महाराष्ट्र की धरती पर तो गणेश चतुर्थी का महत्व और भी अधिक है, इसी वजह से यहां हर गली-मोहल्ले में गणपति की प्रतिमाएं स्थापित की जाती हैं। परंतु जब बात मुंबई की होती है तो सबकी जुबान पर एक ही नाम सबसे पहले आता है और वह है 'लालबागचा राजा'। यह केवल एक मूर्ति नहीं बल्कि करोड़ों श्रद्धालुओं की आस्था, विश्वास और भावनाओं का जीवंत प्रतीक है। मुंबई का यह प्रसिद्ध गणपति पंडाल हर वर्ष गणेश चतुर्थी के अवसर पर स्थापित किया जाता है और पूरे भारत ही नहीं बल्कि विदेशों से भी लाखों लोग यहाँ दर्शन करने आते हैं। ऐसे में आइए विस्तार से जानते हैं लालबागचा राजा के इतिहास, परंपरा और महत्त्व के बारे में।

गणेशोत्सव और लोकमान्य तिलक का योगदान

लालबागचा राजा के इतिहास को समझने से पहले गणेशोत्सव की पृष्ठभूमि जानना आवश्यक है। गणेशोत्सव को सार्वजनिक रूप देने का श्रेय लोकमान्य बाल गंगाधर तिलक को जाता है, जिन्होंने 1893 में इसकी शुरुआत की। तिलक का उद्देश्य इस धार्मिक पर्व के माध्यम से समाज को एकजुट करना और स्वतंत्रता आंदोलन की भावना को मजबूत करना था। धीरे-धीरे यह उत्सव केवल पूजा-पाठ तक सीमित न रहकर सामाजिक और राजनीतिक जागरण का माध्यम बन गया। इसी कड़ी में महाराष्ट्र के गाँव-गाँव और शहर-शहर में सार्वजनिक गणेश मंडलों की स्थापना होने लगी।

लालबागचा राजा की स्थापना


लालबागचा राजा का इतिहास 1934 से जुड़ा है जब मुंबई के लालबाग क्षेत्र के मछुआरे, मिल मजदूर और कामकाजी लोग एक बड़े सपने के साथ आगे आए। उनका उद्देश्य स्थानीय बाज़ार का निर्माण करना था ताकि श्रमिक वर्ग को सस्ती दरों पर सब्ज़ियाँ और ज़रूरी सामान उपलब्ध हो सके। लेकिन सरकारी रुकावटों और ज़मीन की कठिनाइयों के कारण यह सपना अधूरा रह गया। ऐसे कठिन दौर में लोगों ने गणेशोत्सव आयोजित कर बप्पा से अपनी मनोकामना पूरी होने की प्रार्थना की। इसी संकल्प से लालबाग पब्लिक गणेशोत्सव मंडल की स्थापना के साथ - साथ लालबाग के राजा की हुई । लालबाग के राजा की पहली मूर्ति मात्र दो फीट की थी, लेकिन समय के साथ इसकी भव्यता और लोकप्रियता बढ़ती गई।

लालबागचा राजा नाम कैसे पड़ा?

शुरुआत में लालबागचा राजा की प्रतिमा एक साधारण गणपति प्रतिमा के रूप में स्थापित हुई थी, जिसे स्थानीय मछुआरों और मजदूरों ने मिलकर बनाया था। लेकिन जब लालबाग मार्केट का सपना पूरा हुआ और मजदूरों की मनोकामना साकार हुई, तो इसे भगवान गणेश की विशेष कृपा माना गया। उसी क्षण से भक्तों ने इस गणपति को प्रेमपूर्वक 'लालबागचा राजा' नाम दिया। धीरे-धीरे यह नाम इतना लोकप्रिय हो गया कि यह केवल मुंबई ही नहीं, बल्कि पूरे देश में गणेशोत्सव का प्रमुख प्रतीक बन गया। इसे 'नवसाचा गणपति' यानी मनोकामना पूरी करने वाले गणपति के रूप में भी जाना जाता है और हर साल लाखों श्रद्धालु इसके दर्शन के लिए उमड़ते हैं। 1934 से चली आ रही यह परंपरा आज भी उतनी ही जीवंत है । लालबागचा राजा मंडल मुंबई के सबसे प्रमुख सार्वजनिक गणपति पंडालों में गिना जाता है जो आस्था, एकता और सामाजिक भावना का प्रतीक है।

प्रतिमा का स्वरूप और उसकी विशेषताएँ

लालबागचा राजा की गणपति प्रतिमा अपनी भव्यता और विशालता के लिए जानी जाती है। सामान्यतः इसकी ऊँचाई 18 से 20 फुट के बीच होती है और इसे इस तरह सजाया जाता है कि मानो गणपति महाराज राजसिंहासन पर विराजमान हों। ऊँचा मुकुट, बड़ी आंखें, सोने-चांदी के आभूषण और राजसी ठाट-बाठ इस प्रतिमा को 'राजा' का स्वरूप प्रदान करते हैं। यही वजह है कि भक्त यहां केवल दर्शन करने नहीं, बल्कि अपनी मनोकामनाओं के पूर्ण होने की आशा से आशीर्वाद लेने आते हैं। यह प्रतिमा पिटलाबाई चौल में स्थापित की जाती है और इसके डिजाइन का विशेष पेटेंट भी है और हर साल मूर्ति का स्वरुप एकजैसा प्रतीति होता है । दशकों से रत्नाकर कांबली जूनियर और उनका परिवार इस प्रतिमा का निर्माण कर रहा है। अपनी भव्यता और राजसी स्वरूप के कारण ही लालबागचा राजा आज मुंबई ही नहीं बल्कि पूरे भारत में गणेशोत्सव का सबसे बड़ा प्रतीक बन चुका है।

मनोकामना पूरी करने वाले गणपति


लालबागचा राजा को 'नवसाचा गणपति' यानी मनोकामना पूरी करने वाले गणपति के रूप में विशेष पहचान मिली है। भक्तों का विश्वास है कि यहां की गई प्रार्थनाएँ और मन्नतें अवश्य पूरी होती हैं। यही कारण है कि हर साल लाखों श्रद्धालु उपवास, पैदल यात्रा या अन्य संकल्प लेकर यहां आते हैं और अपनी आस्था के साथ बप्पा के दर्शन करते हैं। यह परंपरा 1934 से लगातार जारी है जब मछुआरों और मजदूरों ने कठिन परिस्थितियों से निकलने के लिए भगवान गणेश का सार्वजनिक गणेशोत्सव प्रारंभ किया था। तब से आज तक लालबागचा राजा केवल भक्ति और श्रद्धा का केंद्र ही नहीं बल्कि 'मन्नतों के गणपति' के रूप में भी लोकप्रिय है।

लालबागचा राजा की दर्शन पंक्तियाँ

भाद्रपद मास की गणेश चतुर्थी से अनंत चतुर्दशी तक चलने वाले दस दिवसीय उत्सव में लालबागचा राजा के दर्शन के लिए लाखों श्रद्धालु उमड़ते हैं। भक्तों की सुविधा और भीड़ को नियंत्रित करने के लिए यहां दर्शन की दो पंक्तियाँ बनाई जाती हैं। पहली है नवसाची लाइन, जिसमें श्रद्धालु प्रतिमा के चरणों तक पहुँचकर अपनी मनोकामना व्यक्त कर सकते हैं। यह लाइन सबसे कठिन मानी जाती है क्योंकि इसमें प्रतीक्षा समय 15 से 20 घंटे तक हो सकता है। दूसरी है मुखदर्शनाची लाइन जिसमें भक्त दूर से गणपति का दर्शन कर सकते हैं और यह अपेक्षाकृत तेजी से आगे बढ़ती है। सुबह 5 बजे से रात 11 बजे तक लगातार दर्शन की व्यवस्था रहती है और इस दौरान गणपति की तीन बार आरती व पूजा की जाती है।

लालबागचा राजा और सामाजिक कार्य

लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल केवल धार्मिक आयोजन तक सीमित नहीं है, बल्कि यह समाजसेवा और परोपकार में भी अग्रणी भूमिका निभाता है। हर वर्ष मंडल कई सामाजिक कार्यक्रमों का आयोजन करता है जिनमें प्राकृतिक आपदाओं जैसे बाढ़ और भूकंप प्रभावितों को आर्थिक सहायता देना, रक्तदान और स्वास्थ्य शिविर आयोजित करना, जरूरतमंद विद्यार्थियों की शिक्षा में सहयोग करना और स्वच्छता व पर्यावरण संरक्षण के संदेश फैलाना शामिल है। इसके अलावा मंडल गरीब मरीजों के लिए डायलिसिस सेंटर भी चलाता है जहां न्यूनतम शुल्क में इलाज उपलब्ध कराया जाता है। कोरोना महामारी के दौरान यहां प्लाज्मा दान शिविरों का भी आयोजन किया गया था । सामाजिक जागरूकता और स्वास्थ्य सेवाओं से जुड़े ऐसे कार्यों के कारण लालबागचा राजा मंडल आज केवल आस्था के साथ - साथ समाज में सकारात्मक बदलाव लाने वाला एक महत्वपूर्ण संगठन बन चुका है।

बॉलीवुड और लालबागचा राजा

मुंबई की फिल्म इंडस्ट्री का लालबागचा राजा गणेशोत्सव से विशेष संबंध रहा है। हर साल बॉलीवुड के दिग्गज सितारे जैसे अमिताभ बच्चन, शाहरुख खान, सलमान खान, दीपिका पादुकोण, रणबीर कपूर और कई अन्य फिल्मी हस्तियां यहां आकर भगवान गणेश के दर्शन करने के लिए आते हैं । केवल फिल्म जगत ही नहीं बल्कि क्रिकेट की कई नामचीन हस्तियां भी इस पंडाल में श्रद्धा व्यक्त करने पहुंचती हैं। इन बड़ी हस्तियों की मौजूदगी से लालबागचा राजा की लोकप्रियता और भी बढ़ गई है। जिससे यह पंडाल स्थानीय ही नहीं बल्कि राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर भी प्रसिद्ध हो चुका है। बॉलीवुड और खेल जगत की आस्था इस आयोजन को और भी खास बना देती है जो हर साल लाखों श्रद्धालुओं को आकर्षित करता है।

विसर्जन यात्रा का अद्भुत नजारा


अनंत चतुर्दशी के दिन लालबागचा राजा का विसर्जन मुंबई का सबसे भव्य और भावुक आयोजन माना जाता है। इस दिन लाखों श्रद्धालु सड़कों पर उतरकर गणपति बप्पा को विदाई देते हैं और पूरा शहर "गणपति बप्पा मोरया, पुडचा वर्षी लवकर या" के जयघोष से गूंज उठता है। विसर्जन यात्रा सुबह लालबाग मार्केट से शुरू होकर गिरगांव चौपाटी तक पहुँचती है और यह लगभग 15 से 18 घंटे लंबी होती है। समुद्र में गणपति का विसर्जन भक्तों के लिए आस्था और भावनाओं से भरा एक अविस्मरणीय क्षण होता है। इस अवसर पर मुंबई पुलिस की ओर से कड़ी सुरक्षा व्यवस्था की जाती है ताकि भीड़भाड़ के बीच सभी भक्त सुरक्षित रह सकें।

धन दौलत के राजा

लालबागचा राजा सार्वजनिक गणेशोत्सव मंडल हर साल लाखों श्रद्धालुओं से करोड़ों रुपये मूल्य का दान प्राप्त करता है। भक्त यहां नकद राशि के साथ सोना-चाँदी के गहने, कीमती आभूषण और यहां तक कि विदेशी मुद्रा भी अर्पित करते हैं। गणेशोत्सव के पहले ही दिन लाखों रुपये का दान इकट्ठा हो जाता है और कई बार यह राशि पूरे आयोजन में करोड़ों तक पहुँच जाती है। बड़े उद्योगपति भी भव्य दान करते हैं जैसे अनंत अंबानी द्वारा अर्पित 20 किलो का सोने का मुकुट, जिसकी कीमत करोड़ों में आँकी गई। मंडल दान की सार्वजनिक जानकारी साझा करता है और उसकी सुरक्षा के लिए बैंकिंग व बीमा व्यवस्था करता है। भक्त इस दान को सिर्फ चढ़ावा नहीं बल्कि 'राजा' की कृपा पाने और समाजसेवा का माध्यम मानते हैं।

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