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PM Modi के जय जयकार से गूंजा तमिलनाडु! राजेन्द्र चोल की धरती पर मोदी का ऐतिहासिक प्रणाम! हज़ार साल पुरानी विरासत को नया सम्मान
PM Modi in Tamil Nadu: प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने तमिलनाडु के गंगैकोंड चोलपुरम में सम्राट राजेन्द्र चोल की 1000वीं जयंती पर 'आदि तिरुवाथिरै' उत्सव में भाग लिया।
PM Modi in Tamil Nadu: तमिलनाडु की प्राचीन धरती पर रविवार को इतिहास फिर से जीवित हो उठा, जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने गंगैकोंड चोलपुरम के भव्य प्राचीन परिसर में कदम रखा। सम्राट राजेन्द्र चोल प्रथम की हज़ारवीं जयंती के उपलक्ष्य में आयोजित ‘आदि तिरुवाथिरै’ उत्सव का समापन समारोह ना केवल सांस्कृतिक दृष्टि से भव्य था, बल्कि यह भारत की ऐतिहासिक चेतना को पुनर्जीवित करने वाला क्षण बन गया।
झूम उठा गंगैकोंड चोलपुरम, मंदिर में गूंजे वैदिक स्वर
तिरुचिरापल्ली-चिदंबरम राष्ट्रीय राजमार्ग के किनारे बसा गंगैकोंड चोलपुरम गांव इन दिनों उत्सव के रंग में रंगा है। जैसे ही प्रधानमंत्री मोदी का काफिला गांव में पहुंचा, चारों ओर केसरिया ध्वज, पुष्पमालाएं और पारंपरिक तमिल वाद्ययंत्रों की ध्वनि वातावरण को एक आध्यात्मिक उल्लास से भर रही थी। बृहदीश्वर मंदिर, जिसे राजेन्द्र चोल ने 11वीं सदी में बनवाया था, आज फिर उसी वैभव की अनुभूति करा रहा था।
राजेन्द्र चोल के नाम पर विशेष सिक्का
इस ऐतिहासिक अवसर पर प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्राट राजेन्द्र चोल के सम्मान में एक स्मृति सिक्का जारी किया। यह मांग गंगैकोंड चोलपुरम विकास परिषद ट्रस्ट के अध्यक्ष आर. कोमगन द्वारा की गई थी, जिसे पीएम मोदी ने सम्मानपूर्वक स्वीकारा। यह सिक्का केवल धातु का टुकड़ा नहीं, बल्कि भारत की समुद्री शक्ति, सांस्कृतिक गौरव और दक्षिण भारत की गौरवशाली विरासत का प्रतीक बन गया है। प्रधानमंत्री ने इस अवसर पर कहा, “राजेन्द्र चोल का शासन केवल युद्धों के लिए नहीं, बल्कि कला, स्थापत्य और प्रशासन में भारत की श्रेष्ठता का प्रमाण था। यह सिक्का आने वाली पीढ़ियों को उनकी महानता की याद दिलाता रहेगा।”
राजसी संगीत से गूंजा उत्सव इलैयाराजा ने किया मंत्रमुग्ध
समारोह की सांस्कृतिक ऊंचाई उस समय अपने चरम पर पहुंच गई, जब संगीत सम्राट इलैयाराजा ने थिरुवासगम के पदों की प्रस्तुति दी। ये भक्ति रचनाएं तमिल संत मणिक्कवाचकर द्वारा रचित हैं, जो चार प्रमुख सैव संतों में गिने जाते हैं। इलैयाराजा के स्वरों में जब भक्ति और संगीत का संगम हुआ, तो पूरा मंदिर परिसर एक बार फिर उस काल की अनुभूति कराने लगा, जब चोल सम्राटों के दरबारों में शास्त्रीय संगीत गूंजा करता था।
ओदुवरों ने की भक्ति गान की प्रस्तुति
समारोह की शुरुआत तमिल ओदुवरों द्वारा सैव भक्ति गीतों की प्रस्तुति से हुई। यह परंपरा चोल राजाओं के समय से चली आ रही है, जब ओदुवर मंदिरों में शिव भक्ति के गीत गाया करते थे। आज फिर वही परंपरा जीवंत हुई, प्रधानमंत्री की उपस्थिति में।
दक्षिण पूर्व एशिया में चोल अभियान की भी हुई स्मृति
इस समारोह का एक और महत्वपूर्ण पहलू यह रहा कि इसमें राजेन्द्र चोल के दक्षिण-पूर्व एशियाई समुद्री अभियानों की हज़ारवीं वर्षगांठ भी मनाई गई। राजेन्द्र चोल वही राजा हैं, जिन्होंने बंगाल की गंगा से लेकर इंडोनेशिया तक भारत की नौसेना शक्ति का डंका बजाया था। चोलगंगम नामक विशाल जलाशय और यह मंदिर परिसर उसी विजय यात्रा की स्मृति में निर्मित किए गए थे। प्रधानमंत्री मोदी ने इसे भारत की ‘नवोदित समुद्री ताकत की जड़ें’ बताया और कहा कि भारत को फिर से अपने समुद्री इतिहास पर गर्व करना चाहिए।
एक विरासत को किया पुनर्जीवित,मोदी की ऐतिहासिक पहल
राजेन्द्र चोल जैसे सम्राटों की गाथाएं इतिहास की किताबों में सीमित रह गई थीं। लेकिन प्रधानमंत्री मोदी की यह यात्रा केवल एक औपचारिक उपस्थिति नहीं, बल्कि एक सांस्कृतिक जागरण का प्रतीक बन गई है। गंगैकोंड चोलपुरम की धरती पर आज अतीत और वर्तमान ने हाथ मिलाया राजा राजेन्द्र चोल की वीरता, भक्ति और स्थापत्य की महिमा को आज प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने एक बार फिर जनमानस में जीवित कर दिया।
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