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कर्नाटक में बाइक टैक्सी पर लगा ब्रेक-ओला, उबर, रैपिडो को झटका...क्या अन्य राज्य भी उठा सकते हैं यही कदम

Bike Taxi Ban in Karnataka:क्या आप जानते हैं कि आखिर क्यों कर्नाटक में बाइक टैक्सी पर रोक लगा दी गयी है साथ ही ओला, उबर, रैपिडो को इससे काफी झटका लगा है। आइये विस्तार से समझते हैं पूरा मामला।

Jyotsna Singh
Published on: 18 Jun 2025 2:19 PM IST
Bike taxi ban in Karnataka
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Bike taxi ban in Karnataka (Image Credit-Social Media)

कर्नाटक सरकार ने 16 जून 2025 से राज्य में बाइक टैक्सी सेवाओं पर प्रतिबंध लागू कर दिया है, जिससे ओला, उबर और रैपिडो जैसी लोकप्रिय ऐप आधारित सेवाओं को बड़ा झटका लगा है। हाईकोर्ट से राहत न मिलने के बाद कंपनियों को अपने ऐप्स से यह सेवा हटानी पड़ी। इस फैसले ने हजारों राइडर्स को बेरोजगारी के संकट में डाल दिया है। वहीं, यूजर्स इस प्रतिबंध के बीच भी नई तरकीबें अपनाकर सेवा का लाभ उठा रहे हैं। अब सवाल यह है कि क्या अन्य राज्य भी इस मॉडल पर विचार कर रहे हैं? आइए जानते हैं इस पूरे विवाद की जड़, कानूनी पहलू और देशभर की स्थिति के बारे में -

क्यों बंद हुई कर्नाटक में बाइक टैक्सी सेवा


कर्नाटक परिवहन विभाग ने यह कहते हुए बाइक टैक्सी सेवा पर रोक लगा दी कि निजी रजिस्ट्रेशन नंबर (white board vehicles) वाले दोपहिया वाहनों का वाणिज्यिक प्रयोग मोटर वाहन अधिनियम का उल्लंघन है। विभाग का कहना था कि जब तक राज्य सरकार बाइक टैक्सियों के लिए एक स्पष्ट नियामक कानून नहीं लाती, तब तक ऐसी सेवाएं प्रतिबंधित रहेंगी।

उच्च न्यायालय का आदेश

रैपिडो, ओला और उबर जैसी कंपनियों ने इस प्रतिबंध को चुनौती देते हुए कर्नाटक हाई कोर्ट में याचिका दाखिल की। मगर अदालत ने राज्य सरकार के आदेश को सही ठहराया और फिलहाल राहत देने से इनकार कर दिया। इसके बाद कंपनियों ने अपनी सेवाएं राज्य से हटा लीं।

इस निर्णय के बाद कंपनियों की प्रतिक्रिया

रैपिडो ने क्या किया?

रैपिडो ने तुरंत अपने ऐप से 'Bike Taxi' विकल्प हटा लिया और उसकी जगह 'Bike Parcel' सेवा शुरू कर दी। मनीकंट्रोल की रिपोर्ट के मुताबिक, कंपनी ने अपने ऐप पर संदेश जारी किया कि, '16 जून से कर्नाटक में हमारी बाइक टैक्सी सेवाएं उच्च न्यायालय के आदेशों के अनुपालन में रोक दी गई हैं।' रैपिडो ने आगे कहा कि वे सरकार के साथ मिलकर समाधान की दिशा में काम कर रहे हैं।


क्या है ओला और उबर की स्थिति

हालांकि ओला और उबर ऐप्स पर अभी भी बाइक टैक्सी का विकल्प मौजूद है लेकिन यूजर्स को लंबा इंतजार करना पड़ रहा है। अधिकारियों के अनुसार यह सेवा यदि अवैध तरीके से जारी रहती है, तो सख्त कार्य कार्रवाई की जाएगी।

क्या हैं कानूनी पेचीदगियां

भारत में बाइक टैक्सी संचालन की स्थिति के मुद्दे पर बाइक टैक्सी सेवाओं को लेकर कोई स्पष्ट केंद्रीय नीति नहीं है। मोटर व्हीकल एक्ट के अनुसार, वाणिज्यिक सेवा के लिए पीली नंबर प्लेट (commercial registration) की आवश्यकता होती है। लेकिन अधिकांश बाइक टैक्सी सेवा प्रदाता निजी रजिस्ट्रेशन (white number plate) वाले वाहनों को ही राइड के लिए उपयोग करते हैं, जिससे विवाद की स्थिति बनती है।

प्रभावित वर्ग और प्रतिक्रिया

कर्नाटक में अनुमानित तौर पर 1 लाख से अधिक राइडर्स इन सेवाओं से जुड़े थे। इस सेवा पर रोक से हजारों युवाओं, विशेष रूप से बेरोजगार युवकों और छात्रों की आय का जरिया छिन गया। यात्रियों के लिए सस्ती और त्वरित यात्रा का एक लोकप्रिय विकल्प बंद हो गया। राइडर्स द्वारा मिल रहीं प्रक्रियाओं के अनुसार हजारों लोग, विशेषकर स्टूडेंट्स, प्रवासी और पार्ट‑टाइम कामगार, जिन्हें बाइक‑टैक्सी से आजीविका मिलती थी, वे बेरोज़गार हो गए। NASSCOM ने सरकार को चेताया कि इस फैसले से बड़े पैमाने पर नौकरी खोने का जोखिम है ।

विधायक अरविंद बेल्लाद ने सरकार को ‘आलोचना‑पूर्ण’ बताते कहा कि यह कैब ऑपरेटरों के दबाव में लिया गया फैसला है और जनता को इसका विकल्प नहीं हासिल हुआ। बाइक‑टैक्सी संचालकों ने राहुल गांधी और मुख्यमंत्री सिद्धारमैया को पत्र लिख कर पुनर्विचार की मांग की। किफ़ायती विकल्प बंद होने से यात्री ऑटो‑रिक्शा पर निर्भर हुए, जहां विज्ञापित किराया अब ₹50 से बढ़ कर ₹120 तक पहुंच चुका है। जिससे गंभीर समस्या उत्पन्न हुई है।

क्यों लगी थी रोक, नियमों की कमी


बाइक‑टैक्सी संचालन के लिए स्पष्ट राज्य स्तर की दिशा‑निर्देश नहीं थे।

सुरक्षा चिंताएं

ट्रैफिक, लाइसेंस, असुरक्षा आदि को आधार मानते हुए कोर्ट ने सेवा रोक दी।

ऑटो यूनियन विरोध

ऑटो‑रिक्शा चालकों का दबाव भी इस निर्णय में एक भूमिका निभा सकता है ।

नीति अस्थिरता

सिंचाई‑टैक्सी ई‑स्कीम 2021 को बहुत पहले ही बंद किया जा चुका था। जिसे प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना (पीएमकेएसवाई) के तहत 2021 में शुरू किया गया था। जिसका उद्देश्य किसानों को सिंचाई सेवाएं प्रदान करने के लिए एक ऑनलाइन मंच प्रदान करना था। यह योजना किसानों को ड्रिप और स्प्रिंकलर सिंचाई जैसी आधुनिक सिंचाई तकनीकों को अपनाने के लिए प्रोत्साहित करती है, जिससे जल उपयोग दक्षता में सुधार होता है। लेकिन अब इस पर स्पष्ट नीति के अभाव के चलते रोक लगा दी गई है।

क्या अन्य राज्य कर रहे हैं तैयारी

दिल्ली‑एनसीआर

फरवरी 2023 से कोर्ट ने सेवा बंद कर दी, लेकिन अक्टूबर 2023 में इलेक्ट्रिक बाइक ‑टैक्सी मॉडल अनुमति वापस मिली ।

महाराष्ट्र

हाल ही में अनुमति दी गई है, लेकिन शर्तों जैसे कि न्यूनतम फ्लीट आकार और दूरी सीमा तय हैं। वहीं अन्य राज्य

मणिपुर, असम, राजस्थान, गुजरात, ओड़िशा, उत्तराखंड और जम्मू-कश्मीर में कुछ ऐसे ही दिशानिर्देश हैं, लेकिन अधिकांश में नीति अस्पष्ट या अधूरी है। मद्रास (तमिलनाडु) में 2019 में ये सेवा बैन हुई और बाद में नियम बनने पर धीमी बहाली हुई।

क्या होगी कर्नाटक में आगे की राह

लागू होंगे नियम

अब सरकार को मोटर व्हीकल एक्ट (सेक्शन 93) के तहत स्पष्ट ड्राफ्ट तैयार करना है।

नियमित बाइक‑टैक्सी

चेन्नई और दिल्ली एनसीआर मॉडल की तरह इलेक्ट्रिक बाइक‑टैक्सी जैसे विकल्प लागू होने की संभावना है।

सख्त होंगे सुरक्षा नियम

हेलमेट, पहचान, ड्राइवर बैकग्राउंड चेक जैसी सख्त सुरक्षा व्यवस्था होनी चाहिए। महिलाओं की सुरक्षा भी ध्यान में रखें जाएंगे।

विशेषज्ञों का सुझाव

इस मुद्दे पर विधायक अरविंद बेल्लाद जैसे नेता और NASSCOM ने सरकार से ‘मध्यम मार्ग’ अपनाने की वकालत की है। वहीं विशेषज्ञों की राय के अनुसार कर्नाटक का यह कदम सिर्फ इसके निवासियों पर बुरा प्रभाव नहीं डाल रहा बल्कि यह देश में बाइक‑टैक्सी सेवाओं को विनियमित करने के बहस को एक नए मोड़ पर ले आया है। कोरोना‑के बाद मेट्रो‑बढ़ी लागत, ट्रैफिक जाम और असमर्थित ऑटो‑रिक्शा विकल्पों के इस समय में यह एक कमर्शियल समाधान बन चुका था। लेकिन उसकी अनुपस्थिति से स्पष्ट है कि सरकारों को संतुलन बनाना होगा। उनका कहना है कि, व्यापार, रोजगार, सुरक्षा और सार्वजनिक स्वीकृति तीनों को साथ लेकर कोई नीति बनानी होगी। देश के अन्य राज्यों में इलेक्ट्रिक मॉडल लाने की प्रक्रिया बेहद धीमी गति से बस हवा में उड़ रही है। ऐसे में स्पष्ट दिशा‑निर्देश के बिना यह टकराव जारी रहेगा। कर्नाटक में बाइक टैक्सी पर प्रतिबंध सिर्फ एक राज्य की नीति नहीं, बल्कि भारत के शहरी मोबिलिटी भविष्य को लेकर गहराता विवाद है। भारत में एक ओर डिजिटल इंडिया और स्टार्टअप्स का समर्थन करने की बात होती है, दूसरी ओर ऐसे स्टार्टअप्स पर कानूनी अनिश्चितता का खतरा मंडराता है। जहां राइडर्स के लिए यह रोजगार का साधन है, वहीं यात्रियों के लिए यह सस्ता, सुविधाजनक और ट्रैफिक में तेज़ विकल्प भी साबित होता है। अब देखना यह है कि केंद्र और राज्य मिलकर इस गतिरोध को किस तरह से हल करते हैं।

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Shweta Srivastava

Shweta Srivastava

Content Writer

मैं श्वेता श्रीवास्तव 15 साल का मीडिया इंडस्ट्री में अनुभव रखतीं हूँ। मैंने अपने करियर की शुरुआत एक रिपोर्टर के तौर पर की थी। पिछले 9 सालों से डिजिटल कंटेंट इंडस्ट्री में कार्यरत हूँ। इस दौरान मैंने मनोरंजन, टूरिज्म और लाइफस्टाइल डेस्क के लिए काम किया है। इसके पहले मैंने aajkikhabar.com और thenewbond.com के लिए भी काम किया है। साथ ही दूरदर्शन लखनऊ में बतौर एंकर भी काम किया है। मैंने लखनऊ यूनिवर्सिटी से इलेक्ट्रॉनिक मीडिया एंड फिल्म प्रोडक्शन में मास्टर्स की डिग्री हासिल की है। न्यूज़ट्रैक में मैं लाइफस्टाइल और टूरिज्म सेक्शेन देख रहीं हूँ।

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