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Rajasthan Famous Tourist Place: यह डम्पयार्ड किसी कश्मीर से कम नहीं है, लगेगा जैसे हो राजस्थान का स्विट्जरलैंड

Rajasthan Famous Tourist Place: राजस्थान, रेगिस्तान और शाही वैभव का प्रदेश, अपने अनोखे आकर्षणों के लिए मशहूर है।

Akshita Pidiha
Published on: 25 July 2025 12:13 PM IST
Rajasthan Famous Tourist Place Dumpyard Visit Timing and Location
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Rajasthan Famous Tourist Place Dumpyard Visit Timing and Location

Rajasthan Famous Tourist Place: राजस्थान, रेगिस्तान और शाही वैभव का प्रदेश, अपने अनोखे आकर्षणों के लिए मशहूर है। इन्हीं आकर्षणों में एक अनोखा और हैरान कर देने वाला नाम है किशनगढ़ का मार्बल डम्पयार्ड। यह कोई साधारण डम्पयार्ड नहीं है, बल्कि एक ऐसी जगह है जो अपनी अनूठी खूबसूरती और प्राकृतिक नजारे से हर किसी को मंत्रमुग्ध कर देती है। किशनगढ़, जो अजमेर जिले का एक छोटा सा शहर है, अपने मार्बल उद्योग और बानी ठानी चित्रकला के लिए जाना जाता है। लेकिन इस डम्पयार्ड ने इसे एक नई पहचान दी है, जिसे लोग राजस्थान का स्विट्जरलैंड, कश्मीर या मूनलैंड कहकर पुकारते हैं। यहाँ की बर्फ सी सफेद मार्बल की धूल और नीले पानी के तालाब इसे किसी विदेशी लोकेशन जैसा बनाते हैं।

किशनगढ़ का परिचय


किशनगढ़ राजस्थान के अजमेर जिले में बसा एक छोटा सा शहर है, जो जयपुर से 90 किलोमीटर और अजमेर से 29 किलोमीटर दूर है। यह शहर अपनी ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत के लिए प्रसिद्ध है। यहाँ की बानी ठानी चित्रकला, जो 18वीं सदी में निहाल चंद ने बनाई थी, भारतीय डाक टिकट पर भी छपी है। किशनगढ़ का किला, फूल महल और मोखम विलास जैसे स्थल इसकी शाही विरासत को दर्शाते हैं। लेकिन पिछले कुछ सालों में किशनगढ़ का मार्बल डम्पयार्ड एक नया पर्यटक स्थल बनकर उभरा है। यह डम्पयार्ड राजस्थान के सबसे बड़े मार्बल उद्योग के कचरे से बना है, जो अब एक खूबसूरत नजारे में बदल चुका है। यह जगह न केवल पर्यटकों को आकर्षित करती है, बल्कि फोटोग्राफरों, प्री-वेडिंग शूट्स और बॉलीवुड फिल्मों के लिए भी पसंदीदा बन चुकी है।

डम्पयार्ड का इतिहास

किशनगढ़ डम्पयार्ड की कहानी 1980 के दशक से शुरू होती है, जब किशनगढ़ में मार्बल उद्योग तेजी से बढ़ रहा था। किशनगढ़ एशिया का सबसे बड़ा मार्बल बाजार है, जहाँ 1200 से ज्यादा मार्बल कटिंग इकाइयां और 4500 से ज्यादा व्यवसायी हैं। मार्बल कटिंग के दौरान निकलने वाली बारीक धूल, जिसे मार्बल स्लरी कहते हैं, पर्यावरण के लिए एक बड़ी समस्या थी। इस स्लरी में कैल्शियम कार्बोनेट और अन्य रसायन होते हैं, जो मिट्टी को बंजर कर देते हैं और भूजल को दूषित करते हैं। इस समस्या से निपटने के लिए 2003 में राजस्थान स्टेट इंडस्ट्रियल डेवलपमेंट एंड इन्वेस्टमेंट कॉरपोरेशन (RIICO) और किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन ने मिलकर एक 82 एकड़ का क्षेत्र पर्यावरण दूसरी रोड पर डम्पयार्ड के लिए चुना।

यहाँ 50-60 फीट गहरे गड्ढों में मार्बल स्लरी डाली जाने लगी। धीरे-धीरे यह स्लरी इतनी जमा हो गई कि इसने पहाड़ जैसी आकृति ले ली। यह सफेद स्लरी बर्फ जैसी दिखने लगी, और इसके बीच बने नीले पानी के तालाबों ने इसे और खूबसूरत बना दिया। इस अनोखे नजारे ने लोगों का ध्यान खींचा, और 2015 में जब कॉमेडियन कपिल शर्मा की फिल्म किस किसको प्यार करूं का एक गाना यहाँ शूट हुआ, तो यह जगह रातोंरात मशहूर हो गई। इसके बाद कई बॉलीवुड गाने, जैसे नोरा फतेही का छोर दे और यो यो हनी सिंह का सैंया जी, यहाँ शूट हुए। आज यह डम्पयार्ड 322 बीघा में फैला है और इसे स्नो यार्ड या आइस माइन भी कहते हैं।

डम्पयार्ड की खूबसूरती


किशनगढ़ डम्पयार्ड की खूबसूरती को शब्दों में बयां करना आसान नहीं है। यहाँ की सफेद मार्बल स्लरी बर्फ की चादर जैसी दिखती है, जो कश्मीर की वादियों या लद्दाख के बर्फीले मैदानों की याद दिलाती है। इसके बीच नीले पानी के तालाब, जो बारिश और रसायनों के मिश्रण से बनते हैं, इसे मालदीव या आइसलैंड जैसा लुक देते हैं। अरावली पहाड़ियों की पृष्ठभूमि और आसपास की हरियाली इस नजारे को और शानदार बनाती है। डम्पयार्ड की ऊंचाई अब 15-20 मीटर तक पहुंच चुकी है, और यहाँ की सफेद पहाड़ियां सूर्यास्त के समय सुनहरे रंग में चमकती हैं।

यह जगह फोटोग्राफी के लिए स्वर्ग है। प्री-वेडिंग शूट्स, फैशन फोटोग्राफी और इंस्टाग्राम रील्स के लिए यहाँ हर दिन सैकड़ों लोग आते हैं। सूरज की रोशनी में यहाँ की सफेदी और नीले पानी का मेल ऐसा जादू पैदा करता है कि लोग इसे राजस्थान का स्विट्जरलैंड कहने लगे। मॉनसून में यहाँ का नजारा और खूबसूरत हो जाता है, जब तालाब पानी से भर जाते हैं। यहाँ सफेद पेड़ भी लगाए गए हैं, जो इसकी सुंदरता को और बढ़ाते हैं। लेकिन यहाँ के पानी में रसायन होते हैं, इसलिए इसमें उतरना मना है और पर्यटकों को सावधानी बरतने की सलाह दी जाती है।

पर्यटकों के लिए आकर्षण

किशनगढ़ डम्पयार्ड एक अनोखा पर्यटक स्थल है, जो अपनी कृत्रिम सुंदरता के लिए मशहूर है। यहाँ का मुख्य आकर्षण इसकी बर्फ जैसी सफेदी और नीले तालाब हैं, जो फोटोग्राफी के लिए परफेक्ट बैकग्राउंड देते हैं। यहाँ आने वाले लोग ज्यादातर फोटोशूट के लिए आते हैं, खासकर प्री-वेडिंग और फैशन शूट्स के लिए। यहाँ की खुली जगह और अनोखा लैंडस्केप इसे फिल्मों और म्यूजिक वीडियो के लिए भी पसंदीदा बनाता है। स्थानीय लोग यहाँ घोड़े और खाने-पीने की छोटी दुकानें भी लाने लगे हैं, जिससे पर्यटकों को सुविधा मिलती है।

डम्पयार्ड में प्रवेश के लिए किशनगढ़ मार्बल एसोसिएशन से अनुमति लेनी पड़ती है, जो 1.5 किलोमीटर दूर उनके कार्यालय से मिलती है। सामान्य पर्यटकों के लिए प्रवेश मुफ्त है, लेकिन कमर्शियल शूटिंग के लिए 50,000 रुपये और प्री-वेडिंग शूट के लिए 5,000 रुपये का शुल्क है। डीएसएलआर कैमरे के लिए भी अलग से शुल्क देना पड़ता है। यहाँ का समय सुबह 6:30 से शाम 5:00 बजे तक है, और भीड़ से बचने के लिए सुबह जल्दी आने की सलाह दी जाती है। यहाँ कोई अन्य गतिविधि नहीं है, सिवाय फोटो खींचने और नजारे का आनंद लेने के।

पर्यावरणीय प्रभाव और चुनौतियां

किशनगढ़ डम्पयार्ड की खूबसूरती के पीछे एक गंभीर पर्यावरणीय समस्या भी छिपी है। मार्बल स्लरी में मौजूद कैल्शियम कार्बोनेट और अन्य रसायन मिट्टी को बंजर कर देते हैं और भूजल को दूषित करते हैं। आसपास के 6 किलोमीटर के दायरे में भूजल में टोटल डिसॉल्व्ड सॉलिड्स (TDS) भारतीय मानकों से 10 गुना ज्यादा पाया गया है। यह स्लरी सिलिकोसिस जैसी बीमारियों का कारण बनती है, जो फेफड़ों, त्वचा और आंखों को नुकसान पहुंचाती है। स्थानीय लोग धूल से बचने के लिए गमछा और सस्ते चश्मे इस्तेमाल करते हैं, लेकिन यह पर्याप्त नहीं है।

2013 में सेंट्रल पॉल्यूशन कंट्रोल बोर्ड ने मार्बल स्लरी के लिए दिशानिर्देश जारी किए, जिसमें इंजीनियर्ड कंटेनमेंट और निगरानी की सलाह दी गई थी। लेकिन स्थानीय स्तर पर इनका पूरी तरह पालन नहीं हो रहा। डम्पयार्ड को सुंदर बनाने के लिए पेड़ और पानी के तालाब बनाए गए हैं, लेकिन यहाँ की धूल और रसायन पर्यटकों और मजदूरों के लिए खतरा बने हुए हैं। पर्यटकों को सलाह दी जाती है कि वे पानी में न उतरें और धूल से बचने के लिए मास्क पहनें।

किशनगढ़ डम्पयार्ड तक कैसे पहुंचें


किशनगढ़ डम्पयार्ड पहुंचना आसान है। यह नेशनल हाईवे 8 पर अजमेर से 29 किलोमीटर और पुष्कर से 43 किलोमीटर दूर है। जयपुर से यह 100 किलोमीटर की दूरी पर है। सड़क मार्ग से बस, टैक्सी या निजी गाड़ी से आसानी से पहुंचा जा सकता है। निकटतम रेलवे स्टेशन किशनगढ़ और अजमेर में है, जहाँ से टैक्सी या ऑटो लेकर डम्पयार्ड जाया जा सकता है। किशनगढ़ में एक घरेलू हवाई अड्डा भी है, जो जयपुर और दिल्ली से जुड़ा है। डम्पयार्ड RIICO इंडस्ट्रियल एरिया में पर्यावरण दूसरी रोड पर है। यहाँ आने का सबसे अच्छा समय मॉनसून और सर्दियां हैं, जब मौसम सुहावना होता है। गर्मियों में धूल और गर्मी परेशान कर सकती है।

किशनगढ़ के अन्य आकर्षण

किशनगढ़ डम्पयार्ड के अलावा यहाँ कई अन्य दर्शनीय स्थल हैं। किशनगढ़ का किला, जिसे रूपनगढ़ किला भी कहते हैं, 1649 में महाराजा स्वरूप सिंह ने बनवाया था। यह राजपूत और मुगल स्थापत्य का मिश्रण है। फूल महल, जो अब एक बुटिक होटल है, अपनी शाही वास्तुकला के लिए मशहूर है। नौग्रह मंदिर और गोन्दुलाव झील भी पर्यटकों को आकर्षित करते हैं। बानी ठानी चित्रकला की गैलरी और स्थानीय मार्बल बाजार भी देखने लायक हैं। यहाँ के बाजारों में मार्बल से बनी मूर्तियां और हस्तशिल्प खरीदे जा सकते हैं।

सांस्कृतिक और सामाजिक महत्व

किशनगढ़ डम्पयार्ड ने कचरे को खूबसूरती में बदलने का एक अनोखा उदाहरण पेश किया है। यह जगह न केवल पर्यटन को बढ़ावा दे रही है, बल्कि स्थानीय अर्थव्यवस्था को भी मजबूत कर रही है। यहाँ की कमाई का इस्तेमाल डम्पयार्ड को और सुंदर बनाने में किया जाता है। लेकिन साथ ही यह पर्यावरणीय जागरूकता का भी प्रतीक है, क्योंकि यह हमें कचरे के प्रबंधन और इसके दुष्प्रभावों के बारे में सोचने पर मजबूर करता है। यहाँ की सांस्कृतिक और सौंदर्यपूर्ण अपील ने इसे इंस्टाग्राम और यूट्यूब जैसे प्लेटफॉर्म्स पर मशहूर कर दिया है।

रोचक तथ्य

किशनगढ़ डम्पयार्ड से जुड़े कई रोचक तथ्य हैं। यह एशिया के सबसे बड़े मार्बल बाजार का कचरा है। यहाँ की स्लरी ने 15-20 मीटर ऊंचे पहाड़ बनाए हैं। कपिल शर्मा की फिल्म से यह जगह मशहूर हुई। यहाँ कई बॉलीवुड और पंजाबी गाने शूट हुए हैं। यह मुफ्त प्रवेश वाली जगह है, लेकिन शूटिंग के लिए शुल्क देना पड़ता है। मॉनसून में यहाँ का नजारा मालदीव जैसा लगता है। यहाँ के पानी में रसायन होते हैं, जो स्वास्थ्य के लिए हानिकारक हैं।

किशनगढ़ का मार्बल डम्पयार्ड एक ऐसी जगह है, जो कचरे को कला में बदलने का जीवंत उदाहरण है। इसकी बर्फ सी सफेदी, नीले तालाब और अरावली की पृष्ठभूमि इसे एक अनोखा पर्यटक स्थल बनाती है। यह न केवल फोटोग्राफरों और फिल्ममेकर्स के लिए स्वर्ग है, बल्कि उन लोगों के लिए भी जो कुछ अलग और अनोखा देखना चाहते हैं। लेकिन इसकी खूबसूरती के पीछे पर्यावरणीय चुनौतियां भी हैं, जिन्हें नजरअंदाज नहीं किया जा सकता। यह जगह हमें सिखाती है कि सही प्रबंधन से कचरे को भी खूबसूरती में बदला जा सकता है। तो अगली बार जब आप राजस्थान की सैर पर निकलें, किशनगढ़ डम्पयार्ड जरूर जाएं और इसकी अनोखी सुंदरता को अपने कैमरे और दिल में कैद करें।

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