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Ayodhya News: रामनगरी में एक नया सार्वजनिक भूमि घोटाला, इस बड़े फर्जीवाड़े ने तहसील सदर में मचाया हड़कंप
Ayodhya News: लगभग एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में यह सार्वजनिक भूमि बाग बिजेसी में है। सार्वजनिक (सरकारी) भूमि के इस बड़े फर्जीवाड़े ने तहसील सदर में हड़कंप मचा रखा है।
रामनगरी में एक नया सार्वजनिक भूमि घोटाला, इस बड़े फर्जीवाड़े ने तहसील सदर में मचाया हड़कंप (Photo- Social Media)
Ayodhya News: अयोध्या: भूमि घोटाले के आरोपों से घिरी रामनगरी में एक नया सार्वजनिक भूमि घोटाला सामने आया है। यह सरकारी भूमि रामनगरी के बाग बिजेसी में स्थित है। पुराने भूमि घोटाले से हुई किरकिरी से बचने के लिए राजस्व परिषद से लेकर सदर तहसील तक में कमाल की तेजी दिखी। चार दिन में ही राजस्व अभिलेखों में रमाकांत के नाम से दर्ज इंट्री को एसडीएम रामप्रसाद तिवारी के आदेश से तहसीलदार धर्मेंद्र कुमार सिंह ने निरस्त कर सरकारी भूमि को उसके मूल प्रकृति बंजर, भीटा व आबादी के नाम दर्ज कर दिया। इसी के साथ ही एसडीएम ने तहसीलदार सदर को एफआईआर कराने का भी आदेश दिया है।
लगभग एक हेक्टेयर से अधिक क्षेत्रफल में यह सार्वजनिक भूमि बाग बिजेसी में है। सार्वजनिक (सरकारी) भूमि के इस बड़े फर्जीवाड़े ने तहसील सदर में हड़कंप मचा रखा है। 48 घंटे पहले आए राजस्व परिषद के निबंधक कृष्णकुमार के उस पत्र से है जो जिलाधिकारी को संबोधित है। तहसीलदार को संबोधित राजस्व परिषद से जारी परवाना अमलदरामद के उस पत्र को कूट रचित बताया गया जिसके आधार पर सार्वजनिक भूमि को रमाकांत के नाम राजस्व अभिलेखों में दर्ज कर लिया गया था।
सार्वजनिक भूमि का यह घोटाला
राममंदिर निर्माण के बाद अयोध्या में आसमान छूती जमीन की कीमतों से यह जमीन कई करोड़ रुपये की आंकी जा रही है। सार्वजनिक भूमि का यह घोटाला उस शिकायत के बाद सामने आया जिसके सत्यापन के लिए तहसीलदार सदर ने तीन दिन पहले 26 मई को राजस्व परिषद से जारी पत्र संख्या-3404/पी-दो न्याय दिनांक 11 मार्च 2025 का सत्यापन किये जाने को उसे लिखा। परिषद से ही बिना विलंब के ही सत्यापन रिपोर्ट 24 घंटे में 27 मई को दो दिन पहले आ गई। इसी सत्यापन रिपोर्ट ने तहसील सदर में सुनामी ला दी है।
राजस्व परिषद से जिलाधिकारी को आये पत्र के बाद एसडीएम रामप्रसाद तिवारी ने बताया कि रमाकांत के नाम दर्ज सार्वजनिक भूमि के इंद्राज को निरस्त कर तहसीलदार धर्मेंद्र कुमार सिंह को प्राथमिकी दर्ज कराने का आदेश दिया गया है। तहसीलदार ने बताया कि यूपी जिला अधिकारी आदेश का अनुपालन हो गया है। तहसील कर्मी ही सार्वजनिक भूमि के इतने बड़े फर्जीवाड़े में राजस्व कर्मियों की मिलीभगत का सवाल उठाने लगे हैं।
जिलाधिकारी अनुज कुमार झा के कार्यकाल के पन्ने पलटे जाने लगे हैं
तत्कालीन जिलाधिकारी अनुज कुमार झा के कार्यकाल के पन्ने पलटे जाने लगे हैं जिसमें बागबिजेसी से जुड़ा सार्वजनिक भूमि का फर्जीवाड़ा तत्कालीन सीआरओ पीडी गुप्त की जांच में पकड़ में आया था। जांच रिपोर्ट में भी रमाकांत नाम के एक व्यक्ति को उसका किरदार बताया गया था। स्वयं की भूमि बता कर सार्वजनिक भूमि होने को उसने एसडीएम अदालत में चुनौती दी थी। सीआरओ की जांच रिपोर्ट के आधार पर एसडीएम अदालत ने इसे खारिज कर दिया। सत्तापक्ष के प्रभाव से वह अपर आयुक्त की अदालत से स्थगन आदेश लेने में सफल रहा।
बताते हैं कि सार्वजनिक भूमि को राजस्व अदालत से हासिल होते न देख उसने राजस्व परिषद के कूटरचित पत्र के माध्यम से अपने नाम राजस्व अभिलेख में दर्ज करने का आधार बनाया जो सत्यापन रिपोर्ट से सामने आ गया।
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