'शांति तब कायम होगी जब देश युद्ध के लिये होगा तैयार....' उप-राष्ट्रपति धनखड़ ने दिया राष्ट्र को संदेश

उप-राष्ट्रपति ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुये कहा कि इस ऑपरेशन ने दिखा दिया कि हम पहले से कहीं ज़्यादा राष्ट्रवादी हैं। यह सोच अब केवल हमारे बॉर्डर तक ही सीमित नहीं रही जबकि विदेश और कूटनीतिक स्तर पर भी झलक रहीं।

Shivam Srivastava
Published on: 27 May 2025 7:53 PM IST
शांति तब कायम होगी जब देश युद्ध के लिये होगा तैयार.... उप-राष्ट्रपति धनखड़ ने दिया राष्ट्र को संदेश
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मंगलवार को उप-राष्ट्रपति जगदीप धनखड़ भारत के लोगों से अपील करते हुये कहा कि वे राष्ट्र को सबसे आगे रखें। आज जो दौर चल रहा है उसमें राष्ट्रीय एकजुटता पहले भी अधिक महत्वपूर्ण हो गई है। उन्होंने अपने भाषण में कहा जब तक हम आत्मनिर्भर नहीं बन जाते तब हमारे देश की सुरक्षा सुदृण नहीं हो सकती है और देश से युद्ध की आशंका को तभी टाला जा सकता है जब हमारा भारत मजूबती से खड़ा हो। हम शांति की रक्षा केवल शक्ति प्राप्त करके ही कर सकते हैं।

ऑपरेशन सिंदूर ने लाया बड़ा प्रभाव

उप-राष्ट्रपति ने ऑपरेशन सिंदूर का जिक्र करते हुये कहा कि इस ऑपरेशन ने दिखा दिया कि हम पहले से कहीं ज़्यादा राष्ट्रवादी हैं। यह सोच अब केवल हमारे बॉर्डर तक ही सीमित नहीं रही जबकि विदेश और कूटनीतिक स्तर पर भी झलक रहीं।

जगदीप धनखड़ ने आगे कहा कि विधायिका, कार्यपालिका और ज्यूडिशियरी तीनों का ध्यान राष्ट्र के विकास और जनमानस के हितों पर फोकस होना चाहिये। सभी पॉलिटिकल दलों को भी राष्ट्रीय सुरक्षा और आर्थिक नीति जैसे महत्वपूर्ण मुद्दों पर समान राय रखनी चाहिये। किसी भी कीमत पर राष्ट्रीय हितों को लेकर मतभेद नहीं होने चाहिये। राजनीति, राष्ट्र से बढ़कर नहीं हो सकती

स्वदेशी उत्पादों की खरीद पर उप-राष्ट्रपति ने दिया जोर

स्वेदशी सामानों की खरीद पर जोरे देते हुये उप-राष्ट्रपति धनखड़ ने कहा, हमें हमेशा लोकल फॉर वोकल होने का ध्यान रखना चाहिए। इससे हमारे लोगों को भी हमारी ज़रूरतों को पूरा करने की प्रेरणा मिलेगी। लेकिन अगर हम दूसरे देशों से ऐसी चीज़ें आयात करना शुरू कर देते हैं जो हमारे देश में पैदा होती हैं, जो हमारे देश में बनाई जा सकती हैं। नहीं तो हमें तीन स्तरों पर भारी नुकसान उठाना पड़ता है। पहला, विदेशी मुद्रा भंडार में कमी होना, देश में रोजगार की कमी होना और उद्यमिता की धार को कुंद करना

अपने मौलिक कर्तव्यों के प्रति रहिये सजग

उपराष्ट्रपति ने मौलिक अधिकरों के विषय पर महत्वपूर्ण जोर देते हुये कहा कि लोगों को अपने अपने अधिकारों के साथ-साथ अपने मौलिक कर्तव्यों के प्रति भी जागरूक होना चाहिये। ऐसा नहीं होना चाहिये की केवल हम अधिकारों की मांग करते रहेंगे और अपने कर्तव्यों की अनदेखी करेंगे तो हम एक नागरिक का फर्ज नहीं पूरा कर सकते।

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