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Baghpat News: महाकाल के तांडव श्रृंगार में दिखा रौद्र सौंदर्य, बड़ौत में नागपंचमी पर शिव भक्तों ने देखी अद्भुत झलक
Baghpat News: पारंपरिक श्रृंगार से अलग, इस बार शिव की मूर्ति को खोपड़ियों, रूद्राक्ष, सर्पों की छाया और कमल व गुलाब की पंखुड़ियों से इस तरह सजाया गया कि श्रद्धालु देखते ही ठिठक गए।
महाकाल के तांडव श्रृंगार में दिखा रौद्र सौंदर्य (photo: social media )
Baghpat News: क्या आपने कभी भगवान शिव को इस रूप में देखा है — जटाओं में उलझी समय की रेखाएं, आंखों में तांडव की चेतना, मुख पर भस्म की आभा और नागों की छाया तले विराजित महाकाल! कुछ ऐसा ही अद्भुत नज़ारा मंगलवार को बागपत के बड़ौत में स्थित श्री नीलकंठ महादेव मंदिर में देखने को मिला, जहां नागपंचमी पर शिवजी को उनके रौद्र और रहस्यमयी 'महाकाल' स्वरूप में सजाया गया।
पारंपरिक श्रृंगार से अलग, इस बार शिव की मूर्ति को खोपड़ियों, रूद्राक्ष, सर्पों की छाया और कमल व गुलाब की पंखुड़ियों से इस तरह सजाया गया कि श्रद्धालु देखते ही ठिठक गए। बाबा का चेहरा जैसे खुद बोल उठा — "मैं ही संहार हूं, मैं ही सृजन।"
यह कोई आम पूजा नहीं थी। यह था रचनात्मकता और श्रद्धा का संगम। मंदिर में पुजारी अनुज दीक्षित और उनकी टीम ने महज धार्मिक अनुष्ठान तक सीमित न रहकर एक ऐसा दृश्य रचा जो श्रद्धा के साथ-साथ कला का अद्भुत उदाहरण बन गया।
भाव और कल्पना का अनुभव हुआ
सुबह से ही भक्तों की कतार लगी रही — लेकिन इस बार केवल दर्शन नहीं, भाव और कल्पना का अनुभव हुआ। फूलों से सजी वेदी, बीच में विराजे त्रिनेत्रधारी शिव और चारों ओर बिखरी आध्यात्मिक ऊर्जा ने लोगों को ठहरने पर मजबूर कर दिया।
मंदिर के प्रबंधक अमित जैन विक्की बताते हैं, “रोजाना भोले बाबा का श्रृंगार होता है, पर इस बार का आयोजन केवल पूजा नहीं, एक दृश्य-यात्रा थी — जैसे महाकाल स्वयं इस श्रावण में पृथ्वी पर उतर आए हों। बड़ौत में पहली बार श्रद्धा और दृश्य कल्पना ने ऐसा संगम रचा, जो वर्षों तक भक्तों की स्मृति में बसा रहेगा।
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