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Balrampur News: बिनहोनी कला गांव में विकास कार्य रुका, ग्राम प्रधान पर 40 लाख गबन का आरोप
Balrampur News: ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। न तो पंचायत भवन पर कोई गतिविधि नजर आती है और न ही मनरेगा जैसी योजनाओं का लाभ गांव तक पहुंच पा रहा है।
ग्राम प्रधान पर 40 लाख गबन का आरोप (photo: photo: social media )
Balrampur News: जहां एक तरफ राज्य सरकार और जिला प्रशासन ग्रामीण क्षेत्रों के विकास और मूलभूत सुविधाओं की उपलब्धता के लिए योजनाएं चला रहे हैं, वहीं बलरामपुर जिले के हर्रैया सतघरवा ब्लॉक के सुदूरवर्ती ग्राम बिनहोनी कला की तस्वीर कुछ और ही कहानी बयां कर रही है। यहां ग्रामीण आज भी बुनियादी सुविधाओं से वंचित हैं। न तो पंचायत भवन पर कोई गतिविधि नजर आती है और न ही मनरेगा जैसी योजनाओं का लाभ गांव तक पहुंच पा रहा है। ग्रामीणों का आरोप है कि ग्राम प्रधान और तत्कालीन सचिव की मिलीभगत से लगभग 40 लाख रुपये का गबन किया गया है, लेकिन शिकायतों के बावजूद अब तक कोई कार्रवाई नहीं हुई।
पंचायत भवन उपेक्षा का शिकार
ग्रामीणों ने बताया कि गांव का पंचायत भवन कागजों पर तो सक्रिय दिखाई देता है, लेकिन वास्तविकता यह है कि यहां न तो पंचायत सहायक बैठता है और न ही कंप्यूटर जैसी अनिवार्य सुविधाएं उपलब्ध हैं। भवन अक्सर बंद रहता है और भीतर गंदगी का अंबार लगा रहता है। हालत यह है कि लोग वहां साइकिल और अन्य वाहन खड़े करने के लिए इसका उपयोग करते हैं। शासन द्वारा प्रदत्त सेवाओं का लाभ लेने के लिए ग्रामीणों को मजबूरीवश तहसील मुख्यालय या जिले तक दौड़ लगानी पड़ती है।
योजनाएं सिर्फ कागजों पर
गांव में मनरेगा के अंतर्गत होने वाले कार्य भी पूरी तरह ठप पड़े हैं। ग्रामीणों का कहना है कि शासन ने यहां कम से कम 10–12 पुलों के निर्माण की स्वीकृति दी थी और उनके नाम पर फंड भी जारी हुआ। लेकिन मौके पर जाकर देखने पर वहां पुलों की जगह सिर्फ गहरे गड्ढे दिखाई देते हैं। किसी प्रकार का निर्माण कार्य नहीं हुआ। यही नहीं, पंचायत भवन और गौशाला के लिए खरीदे गए उपकरण—जैसे कंप्यूटर, जनरेटर, सीसीटीवी कैमरा, फर्नीचर आदि—ग्रामीणों के अनुसार ग्राम प्रधान के घर में रखे हैं और निजी उपयोग में लाए जा रहे हैं।
गबन के गंभीर आरोप
गांव के शिकायतकर्ता रामगोपाल ने जिलाधिकारी को शपथ पत्र भेजकर आरोप लगाया था कि ग्राम प्रधान ने सचिव की मिलीभगत से करीब 40 लाख रुपये की रकम सरकारी योजनाओं के नाम पर निकाल ली। आरोप यह भी है कि इस रकम का एक हिस्सा प्रधान ने अपने परिवारजनों के खातों में ट्रांसफर कर दिया। ग्रामीण पिछले दो वर्षों से लगातार जिलाधिकारी, बीडीओ, ग्राम विकास अधिकारी और सीडीओ से लेकर अन्य उच्चाधिकारियों तक शिकायत कर रहे हैं, लेकिन अब तक कोई ठोस कार्रवाई नहीं हो पाई।
जांच की मांग, लेकिन कार्रवाई अधर में
गांव के कई लोगों ने कहा कि यदि इस मामले की उच्चस्तरीय जांच हो जाए तो न केवल ग्राम प्रधान बल्कि सचिव भी जेल की सलाखों के पीछे होंगे। उन्होंने उदाहरण देते हुए कहा कि जिस तरह बिसुनपुर टांटनवा में गबन और भ्रष्टाचार के मामलों की जांच हुई और जिम्मेदारों पर कार्रवाई की गई, वैसा ही मामला बिनहोनी कला में भी साबित हो सकता है। लेकिन दुर्भाग्य यह है कि अधिकारी यहां जांच करने तक नहीं आते। जो अधिकारी आते भी हैं, वे ग्रामीणों के अनुसार "अपने फायदे" के बाद मामले को ठंडे बस्ते में डालकर लौट जाते हैं।
प्रशासनिक प्रतिक्रिया
जब इस मामले पर खंड विकास अधिकारी पल्लवी सचान से संपर्क करने की कोशिश की गई तो उनका फोन नॉट-रीचेबल मिला, जबकि ग्राम सचिव ने कॉल रिसीव नहीं किया।
ग्रामीणों की पीड़ा
ग्रामीणों का कहना है कि भ्रष्टाचार और लापरवाही के कारण गांव का विकास पूरी तरह ठप हो गया है। न सड़कें बनीं, न पुल, न रोजगार मिला और न ही पंचायत भवन से कोई सुविधा। गांव में गंदगी का आलम है और लोग मजबूरी में शहरों का रुख कर रहे हैं। उनका कहना है कि शासन-प्रशासन यदि ईमानदारी से जांच करवा ले, तो सच सबके सामने आ जाएगा। फिलहाल, ग्रामीणों को उम्मीद है कि उनकी आवाज सुनी जाएगी और दोषियों पर कार्रवाई होगी।
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