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Balrampur News: बलरामपुर के एम.एल.के.पी.जी. कॉलेज में एकल गायन प्रतियोगिता
Balrampur News: बलरामपुर कॉलेज में आयोजित गायन प्रतियोगिता में मोहम्मद लारेब प्रथम, संगीत से छात्रों में आत्मविश्वास और ऊर्जा का संचार
बलरामपुर के एम.एल.के.पी.जी. कॉलेज में एकल गायन प्रतियोगिता (photo: social media )
Balrampur News: बलरामपुर के एम.एल.के.पी.जी.कॉलेज के सभागार में बुधवार को पाठ्य सहगामी गतिविधियों के क्रम में आयोजित एकल गायन प्रतियोगिता ने छात्रों में नई ऊर्जा और उत्साह का संचार किया। प्रतियोगिता का उद्देश्य विद्यार्थियों की कलात्मक प्रतिभा, आत्मविश्वास और सृजनशीलता को विकसित करना रहा।
कार्यक्रम का संयोजन महाविद्यालय के प्राचार्य प्रो. जे.पी. पाण्डेय एवं लेफ्टिनेंट डॉ. देवेंद्र कुमार चौहान के नेतृत्व में किया गया। स्नातक प्रथम सेमेस्टर के प्रतिभागियों ने पूरे जोश के साथ भाग लिया और अपनी गायन कला से वातावरण को सुरमय बना दिया।
प्रतियोगिता में बीएड प्रथम वर्ष के मोहम्मद लारेब ने “धूप निकलता है जहां पर” गीत गाकर प्रथम स्थान प्राप्त किया। वहीं, बीए प्रथम सेमेस्टर की मानसी चौहान ने “एक राधा एक मीरा” भक्तिमय गीत प्रस्तुत कर दूसरा स्थान हासिल किया और बीएड द्वितीय वर्ष के पार्थेश्वर दूबे तीसरे स्थान पर रहे।
प्रतियोगिता का सबसे बड़ा उद्देश्य सहभागिता
मुख्य निर्णायक प्रो. वीणा सिंह ने कहा कि किसी भी प्रतियोगिता का सबसे बड़ा उद्देश्य सहभागिता है, क्योंकि प्रयास ही सफलता की दिशा तय करता है। प्रो. एस.पी. मिश्र ने कहा कि संगीत मनुष्य के भीतर सकारात्मक ऊर्जा का संचार करता है और जीवन में संतुलन बनाए रखता है। प्रतियोगिता का मकसद विद्यार्थियों को अपनी प्रतिभा प्रदर्शित करने और सांस्कृतिक मूल्यों से जोड़ने का अवसर देना है।
सांस्कृतिक निदेशक प्रो. रेखा विश्वकर्मा ने सभी प्रतिभागियों को शुभकामनाएं देते हुए कहा कि इस तरह की प्रतियोगिताएं छात्रों के व्यक्तित्व विकास में महत्वपूर्ण भूमिका निभाती हैं।
कार्यक्रम का संचालन डॉ. के.के. सिंह एवं डॉ. आनंद कुमार वाजपेयी ने किया। इस अवसर पर डॉ. स्वदेश भट्ट, डॉ. पूजा मिश्रा, डॉ. वीर प्रताप सिंह, डॉ. एस.के. त्रिपाठी, डॉ. कृतिका तिवारी, डॉ. शकुंतला सिंह, डॉ. वंदना सिंह, डॉ. बी.एल. गुप्त, प्रियंका गुप्ता और आर्या तिवारी सहित कई शिक्षक एवं छात्र-छात्राएं उपस्थित रहे।
कार्यक्रम ने यह संदेश दिया कि संगीत केवल मनोरंजन नहीं, बल्कि आत्मा को जाग्रत करने वाली एक साधना है, जो शिक्षा के साथ संस्कार भी देती है।
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