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Chandauli News: बजरडीहा का मिनी सचिवालय: जर्जर इमारत में दफन होते विकास के सपने
Chandauli News: बरसात के मौसम में सचिवालय की छत से पानी टपकता है, जिससे वहां बैठना तो दूर, रुकना भी दूभर हो जाता है। भवन की खिड़कियां और दरवाजे कब गायब हो गए, यह अब किसी को ठीक से याद नहीं।
बजरडीहा का मिनी सचिवालय: जर्जर इमारत में दफन होते विकास के सपने (photo: social media )
Chandauli News: नौगढ़ तहसील क्षेत्र के बजरडीहा ग्राम पंचायत का मिनी सचिवालय अब खंडहर में तब्दील होता जा रहा है। कभी ग्रामीण विकास के केंद्र के रूप में स्थापित यह भवन अब अपनी बदहाली पर आंसू बहा रहा है। करीब ढाई दशक पूर्व बना यह पंचायत भवन अब देखरेख और प्रशासनिक उपेक्षा के चलते जर्जर अवस्था में पहुंच गया है।
बरसात में छत से टपकता पानी, खिड़की-दरवाजे गायब
ग्रामीणों के अनुसार, बरसात के मौसम में सचिवालय की छत से पानी टपकता है, जिससे वहां बैठना तो दूर, रुकना भी दूभर हो जाता है। भवन की खिड़कियां और दरवाजे कब गायब हो गए, यह अब किसी को ठीक से याद नहीं। नतीजतन, यह सार्वजनिक भवन असामाजिक तत्वों का अड्डा बनता जा रहा है, और ग्राम प्रशासन की गरिमा को धूल में मिलाता नजर आता है।
पूर्व प्रधान की अधूरी कोशिश
ग्राम पंचायत के पूर्व प्रधान ने अपने कार्यकाल के अंतिम दिनों में इस भवन की मरम्मत की दिशा में कुछ पहल अवश्य की थी। मरम्मत का कार्य प्रारंभ हुआ, लेकिन पंचायत चुनावों की घोषणा होते ही निर्माण कार्य ठप हो गया और उसके बाद यह फिर कभी शुरू नहीं हो सका। परिणामस्वरूप सचिवालय की हालत और बिगड़ती गई।
बदलती सत्ता, नहीं बदली सूरत
चुनावों के बाद ग्राम पंचायत में नेतृत्व जरूर बदला, लेकिन भवन की स्थिति जस की तस बनी रही। सत्ता परिवर्तन के बावजूद सचिवालय की दशा में कोई सुधार नहीं हुआ। स्थानीय निवासी बताते हैं कि अब तो अधिकांश लोगों को यह भी नहीं मालूम कि पंचायत भवन है भी या नहीं।
प्रशासनिक उपेक्षा पर उठते सवाल
ग्रामवासियों का कहना है कि जब मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ गांवों के समग्र विकास की बात करते हैं, तो ऐसे पंचायत भवनों की दुर्दशा उन योजनाओं को खोखला साबित करती है। यह मिनी सचिवालय न केवल सरकारी उदासीनता का जीता-जागता प्रमाण है, बल्कि ग्रामीण विकास की योजनाओं पर भी प्रश्नचिह्न खड़ा करता है।
जवाबदेही से कतराता प्रशासन
इस संबंध में जब खंड विकास अधिकारी अमित कुमार से संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उनसे बात नहीं हो सकी। यह चुप्पी प्रशासन की संवेदनहीनता को और भी उजागर करती है।
बजरडीहा का यह मिनी सचिवालय एक ऐसा आईना है, जिसमें सरकार की विकास योजनाओं की असलियत साफ झलकती है—चमकते वादों के पीछे छिपी उपेक्षा की धुंधली तस्वीर।
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