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Chandauli News: मुगलसराय की गलियों में खूनी आतंक: दहशत में जी रहे लोग, प्रशासन मौन
Chandauli News: चंदौली के मुगलसराय के लोट नंबर-2 मोहल्ले में पिछले 20 दिनों से एक खूंखार बंदर का आतंक जारी है। बच्चों, महिलाओं और बुजुर्गों पर हमले से लोग खौफ में हैं, जबकि प्रशासन अब तक चुप्पी साधे हुए है।
Chandauli News
Chandauli News: मुगलसराय के गली-मोहल्लों में अब सिर्फ विकास की बातें नहीं, बल्कि एक खूनी दहशत का साया भी मंडरा रहा है। बीते 20 दिनों से, लोट नंबर-2 मोहल्ले में एक खूंखार बंदर ने आतंक मचा रखा है, जिसने न सिर्फ छोटे बच्चों को लहूलुहान किया है, बल्कि बुजुर्गों और महिलाओं को भी घरों में कैद होने पर मजबूर कर दिया है। सवाल यह है कि क्या यह प्रशासन की कार्यशैली पर एक तीखा तमाचा नहीं है? या फिर किसी बड़ी त्रासदी का इंतज़ार किया जा रहा है?
लहूलुहान बच्चे और बेबस प्रशासन
मोहल्ले के निवासियों के लिए सुबह की शुरुआत अब सुकून से नहीं, बल्कि खौफ के साथ होती है। पिछले 20 दिनों से, इस बंदर ने कई मासूमों को बुरी तरह काटा है, उनके शरीर पर गहरे जख्म दिए हैं। बुजुर्गों पर हमले की घटनाएं भी आम हो गई हैं, जिससे लोग घरों से बाहर निकलने में भी डर रहे हैं। घर के भीतर भी सुरक्षा नहीं है, क्योंकि यह बंदर घरों में घुसकर न सिर्फ तोड़फोड़ करता है, बल्कि खाने-पीने का सामान भी बर्बाद कर देता है। स्थानीय लोगों के अनुसार, बच्चों और महिलाओं को स्कूल-कॉलेज या काम पर जाने के लिए घर के बाहर निकलने से पहले दस बार सोचना पड़ता है।
शिकायतों पर सन्नाटा: क्या यह असंवेदनशीलता नहीं?
मोहल्लेवासियों का गुस्सा प्रशासन पर फूटा है। उनका आरोप है कि नगर निगम और वन विभाग को कई बार लिखित और मौखिक शिकायतें दी गईं, लेकिन प्रशासन ने आँखें मूंद रखी हैं। क्या इन सरकारी दफ्तरों को केवल कागजी कार्रवाई से मतलब है, जनता की सुरक्षा से नहीं? स्थानीय लोगों ने साफ शब्दों में पूछा है कि क्या प्रशासन को तब होश आएगा, जब कोई बड़ी अनहोनी हो जाएगी?
जनप्रतिनिधि से आखिरी उम्मीद
हताश और निराश जनता ने अब स्थानीय विधायक रमेश जायसवाल से गुहार लगाई है। उन्होंने विधायक से इस गंभीर समस्या का संज्ञान लेने और तत्काल कार्रवाई करने की अपील की है। लोगों की मांग है कि इस बंदर को तुरंत पकड़कर कहीं और छोड़ा जाए और मोहल्ले में सुरक्षा के पुख्ता इंतजाम किए जाएं। यह घटना सिर्फ एक बंदर के आतंक की नहीं, बल्कि एक सरकारी तंत्र की विफलता की कहानी है, जहाँ जनता की सुरक्षा और उनकी शिकायतों को हवा में उड़ा दिया जाता है। क्या इस बार जनता की आवाज सुनी जाएगी, या फिर उन्हें अपने हाल पर छोड़ दिया जाएगा?
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