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Chandauli News: नौगढ़ के स्कूलों पर संकट के बादल: चहारदीवारी न होने से खतरे में शिक्षा और सुरक्षा
Chandauli News: चहारदीवारी न होने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि छुट्टी के दिनों में विद्यालय परिसर आसानी से पशुओं का तबेला बन जाता है।
Chandauli News
Chandauli News:चंदौली जिले के नौगढ़ इलाके के विद्यालयों की हालत खस्ता है। ग्रीष्मावकाश शुरू होते ही, अधिकांश प्राथमिक, उच्च प्राथमिक और कंपोजिट विद्यालयों की सुरक्षा भगवान भरोसे हो गई है। कारण? या तो इन स्कूलों में चहारदीवारी बनी ही नहीं है, और अगर कहीं बनी भी है, तो वह जर्जर होकर टूट चुकी है। ऐसे में, छुट्टियों के दौरान इन विद्यालयों का परिसर असुरक्षित हो जाता है।
पशुओं का तबेला और अराजक तत्वों का अड्डा
चहारदीवारी न होने का सबसे बड़ा नुकसान यह है कि छुट्टी के दिनों में विद्यालय परिसर आसानी से पशुओं का तबेला बन जाता है। आवारा जानवर खुलेआम घूमते हैं, जिससे गंदगी फैलती है और शिक्षण का माहौल खराब होता है। इतना ही नहीं, यह परिसर अराजक तत्वों के लिए भी एक सुरक्षित ठिकाना बन जाता है। यहां जुआ, शराब और अन्य अवैध गतिविधियां खुलेआम होने लगती हैं, जिससे आस-पास के लोगों में भी डर का माहौल पैदा हो जाता है। विद्यालयों में चोरी की वारदातें भी बढ़ जाती हैं, जिससे स्कूलों में रखे महत्वपूर्ण दस्तावेज और उपकरण खतरे में पड़ जाते हैं।
यह आश्चर्य की बात है कि देश और प्रदेश की सरकारें कायाकल्प योजना के माध्यम से विद्यालयों को आधुनिक बनाने और चमकाने की बात करती हैं। लेकिन नौगढ़ ब्लॉक के मिनी सचिवालय में विद्यालयों की चहारदीवारी बनवाने या उनकी मरम्मत कराने के लिए कोई ठोस कार्ययोजना दिखाई नहीं देती। अगर वास्तव में इस दिशा में काम हुआ होता, तो आज यहां के सभी विद्यालय सुरक्षित और सुंदर नजर आते।
वीरान विद्यालय परिसर, भविष्य पर सवाल
गर्मी की छुट्टियों में विद्यालय परिसर वीरान दिखाई देता है। क्षेत्र के कंपोजिट विद्यालय गढ़वा, प्राथमिक विद्यालय सोनाइत, उच्च प्राथमिक विद्यालय ठठवा, उच्च प्राथमिक विद्यालय देउरा, प्राथमिक विद्यालय बसौली, लालतापुर, हनुमानपुर प्राथमिक विद्यालय मुसहर बस्ती विशेश्वरपुर, मझगावां नई बस्ती जनकपुर धनकुवारी कला, पड़रिया, प्राथमिक विद्यालय कुबराडीह जैसे अनेक विद्यालयों में या तो चहारदीवारी है ही नहीं, और यदि कहीं बनी भी है तो वह टूट चुकी है। कई अन्य विद्यालय भी अपनी चहारदीवारी बनने का इंतजार कर रहे हैं।
विकास की पहली सीढ़ी उपेक्षित
किसी भी गांव के विकास की नींव प्राथमिक विद्यालय होते हैं। जब तक इन विद्यालयों का भौतिक स्वरूप बेहतर नहीं होगा, तब तक बच्चों में शिक्षा के प्रति आकर्षण पैदा नहीं होगा। यही कारण है कि सरकारी स्कूलों में बच्चों की उपस्थिति कम होती है और निजी विद्यालयों का बोलबाला बढ़ता जाता है। नौगढ़ के इन विद्यालयों की बदहाल स्थिति शिक्षा व्यवस्था पर एक बड़ा सवालिया निशान खड़ा करती है।
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