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Chandauli News: नौगढ़ के जंगल खतरे मेंः फलदार वृक्षों की कमी से वन्यजीवों का जीवन संकट में
Chandauli News: जंगलों में फलदार वृक्षों की घटती संख्या के कारण शाकाहारी वन्यजीवों के सामने भोजन की गंभीर समस्या आ खड़ी हुई है।
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Chandauli News: एक समय था जब नौगढ़ के जंगल अपनी घनी हरियाली और फलदार पेड़ों के लिए जाने जाते थे। काशी वन्य जीव प्रभाग का यह क्षेत्र अब धीरे-धीरे अपनी पहचान खो रहा है। वन विभाग द्वारा किए जा रहे वृक्षारोपण में अब सागौन, कट सागौन, चिलबिल और कंजी जैसे मुख्य रूप से इमारती लकड़ी के पौधों को प्राथमिकता दी जा रही है। यह बदलाव न केवल जंगल के पारिस्थितिकी तंत्र के लिए खतरा बन रहा है, बल्कि यहाँ रहने वाले वन्यजीवों के लिए भोजन का भी संकट पैदा कर रहा है।
भोजन की तलाश में रिहायशी इलाकों में भटकते वन्यजीव
जंगलों में फलदार वृक्षों की घटती संख्या के कारण शाकाहारी वन्यजीवों के सामने भोजन की गंभीर समस्या आ खड़ी हुई है। हिरण, भालू, बंदर और दूसरे जानवर अब अक्सर भोजन की तलाश में भटकते हुए इंसानी बस्तियों के आसपास देखे जा सकते हैं। इसके चलते मानव और वन्यजीवों के बीच संघर्ष की घटनाएं भी बढ़ रही हैं, जिससे जान और माल दोनों का नुकसान हो रहा है। स्थानीय लोगों का कहना है कि पहले इन जंगलों में आम, जामुन, महुआ, आंवला, बेर और करौंदा जैसे अनगिनत फलदार पेड़ थे, जो जानवरों के लिए पर्याप्त भोजन स्रोत थे।
वन माफियाओं का बढ़ता दखल, सिकुड़ता वन क्षेत्र
एक तरफ जहां फलदार पेड़ों के रोपण पर ध्यान नहीं दिया जा रहा है, वहीं दूसरी तरफ वन माफिया भी तेजी से सक्रिय हो गए हैं। वे लगातार कीमती इमारती लकड़ियों की कटाई कर रहे हैं, जिससे जंगल का दायरा लगातार सिकुड़ता जा रहा है। इस अवैध कटान के कारण जंगल का कुदरती संतुलन बिगड़ रहा है और पर्यावरण पर भी इसका बुरा असर पड़ रहा है।
जैव विविधता पर गहरा संकट
विशेषज्ञों का मानना है कि अगर यही हाल रहा तो नौगढ़ के जंगलों से कई तरह के वन्यजीव हमेशा के लिए गायब हो सकते हैं। एक ही प्रकार के इमारती वृक्षों को लगाने से जंगल की प्राकृतिक संरचना बदल जाती है, जिससे विभिन्न प्रजातियों के जीव- जंतुओं के लिए जरूरी आवास और भोजन की उपलब्धता कम हो जाती है। जैव विविधता का यह नुकसान पर्यावरण के लिए आगे चलकर बड़ी मुश्किलें खड़ी कर सकता है।
वन विभाग को अब इस गंभीर मसले पर ध्यान देना होगा और वृक्षारोपण की अपनी नीति में बदलाव लाना होगा। फलदार पेड़ों को लगाने को प्राथमिकता देकर न केवल वन्यजीवों को भोजन मिल सकेगा, बल्कि मानव -वन्यजीव संघर्ष को भी कम किया जा सकेगा। इसके साथ ही, वन माफियाओं के खिलाफ सख्त कार्रवाई करके जंगल के अवैध कटान को रोकना भी बेहद जरूरी है। तभी नौगढ़ के जंगलों की हरी-भरी पहचान और जैव विविधता को बचाया जा सकेगा।
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