Chandauli News: तीन दिन, तीन बच्चे,और एक बेबस पिता:नौगढ़ में आधार की 'आधारहीन'पीड़ा

Chandauli News: ब्लॉक मुख्यालय से करीब 20-25 किलोमीटर दूर धोबही गांव के रहने वाले दूधनाथ पिछले तीन दिनों से डाकघर के चक्कर काट रहे हैं।

Sunil Kumar
Published on: 4 Jun 2025 10:13 AM IST
Chandauli News: तीन दिन, तीन बच्चे,और एक बेबस पिता:नौगढ़ में आधार की आधारहीनपीड़ा
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Chandauli News: उत्तर प्रदेश के चंदौली जिले के नौगढ़ बाजार स्थित डाकघर में आधार कार्ड बनवाने के लिए दूर-दराज के गांवों से आने वाले गरीब और अनपढ़ लोगों की मुश्किलें कम होने का नाम नहीं ले रही हैं। सरकार ने हर काम के लिए आधार कार्ड को अनिवार्य कर दिया है, लेकिन नौगढ़ डाकघर में जरूरतमंदों को कथित तौर पर 'सुविधा शुल्क' देने के बाद ही यह सुविधा मिल पा रही है।

गरीबों का घंटों इंतजार, मायूसी का संसार

आदिवासी और गरीब तबके के लोग, जो अपने बच्चों और परिवार के सदस्यों के आधार कार्ड बनवाने की उम्मीद में आते हैं, उन्हें अक्सर घंटों तक इंतजार कराया जाता है। कई बार तो उन्हें बिना काम हुए ही वापस लौटना पड़ता है। स्थानीय लोगों का कहना है कि डाकघर में एक 'अघोषित नियम' चल रहा है, जिसके तहत 'सुविधा शुल्क' देने वालों का काम प्राथमिकता से होता है, जबकि गरीब और बेबस लोग अपनी बारी का इंतजार करते रह जाते हैं।

धोबही के दूधनाथ की तीन दिन की पीड़ा

ब्लॉक मुख्यालय से करीब 20-25 किलोमीटर दूर धोबही गांव के रहने वाले दूधनाथ पिछले तीन दिनों से डाकघर के चक्कर काट रहे हैं। वे अपने तीन बच्चों - 12 वर्षीय अंगद, 15 वर्षीय श्रवण और 8 वर्षीय भीम - का आधार कार्ड बनवाने या उसमें सुधार कराने आए हैं। दूधनाथ बताते हैं कि वे हर रोज सुबह भूखे-प्यासे डाकघर पहुंचते हैं, तपती धूप में लाइन में खड़े रहते हैं, लेकिन दोपहर के 3 बजते ही उन्हें यह कहकर लौटा दिया जाता है कि आज काम नहीं होगा। जब उनसे कथित सुविधा शुल्क मांगा गया, तो उन्होंने अपनी गरीबी का हवाला दिया, जिसके बाद उन्हें अगले दिन आने को कह दिया गया।

कौन सुनेगा गरीबों की पुकार?

दूधनाथ अकेले नहीं हैं जो इस परेशानी से जूझ रहे हैं। नौगढ़ क्षेत्र के कई गरीब, असहाय और भोले-भाले लोग इसी तरह की समस्याओं का सामना कर रहे हैं। दो जून की रोटी के लिए संघर्ष करने वाले ये लोग अपनी पीड़ा किससे कहें और कौन उनकी सुनेगा, यह एक बड़ा सवाल है। सरकारी योजनाओं का लाभ पाने के लिए आधार कार्ड जरूरी है, लेकिन इस तरह की कथित वसूली गरीबों के लिए एक और बोझ बन गई है। क्या जिम्मेदार अधिकारी इस मामले पर ध्यान देंगे और गरीबों को इस शोषण से मुक्ति दिलाएंगे? यह देखना बाकी है।

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