Chitrakoot: बेहद आश्चर्य... 2 साल से बिना टीचर के चल रहा यूपी का ये स्कूल! कोर्ट में याचिका दायर

Chitrakoot: उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले से एक चौकानें वाली खबर सामने आई है। जिले के एक स्कूल में 2 साल से एक भी अध्यापक न होने पर कोर्ट में याचिका दायर हुई थी। इस केस के दौरान इलाहाबाद हाईकोर्ट ने सरकार से जवाब मांगा है कि ऐसा क्यों है ....

Priya Singh Bisen
Published on: 29 Sept 2025 1:24 PM IST (Updated on: 29 Sept 2025 5:26 PM IST)
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Chitrakoot News: उत्तर प्रदेश के चित्रकूट जिले के जूनियर हाई स्कूल में पिछले दो वर्षों से कोई शिक्षक नहीं है। इस संबंध में दायर जनहित याचिका पर इलाहाबाद हाईकोर्ट ने राज्य सरकार से उत्तर मांगा है। कोर्ट ने असंतोष व्यक्त करते हुए कहा कि शिक्षा के अधिकार अधिनियम 2009 के तहत 6-14 वर्षों के बच्चों को मुफ्त और अनिवार्य शिक्षा मिलना एक मौलिक अधिकार है। इसके बावजूद रैपुरा गांव के जूनियर हाई स्कूल में पिछले दो वर्षों से कोई अध्यापक नहीं है।

रैपुरा गांव के निवासी राहुल सिंह पटेल ने जनहित याचिका प्रस्तुत की है। याचिका में कहा गया कि मानिकपुर तहसील के रैपुरा गांव में सरदार वल्लभभाई पटेल जूनियर हाईस्कूल विद्यालय राज्य सरकार से मान्यता प्राप्त सहायता प्राप्त है। इस स्कूल में नौ शिक्षकों की नियुक्ति है, लेकिन पिछले दो वर्षों से यहां एक भी शिक्षक उपलब्ध नहीं है। इस याचिका की सुनवाई करते हुए मुख्य न्यायमूर्ति अरुण भंसाली और न्यायमूर्ति क्षितिज शैलेन्द्र की पीठ ने प्रदेश सरकार से 27 अक्टूबर तक उत्तर देने को कहा है।

चपरासी के भरोसे चल रहा स्कूल

स्कूल में शैक्षिक सत्र 2025-26 के दौरान कक्षा 6 में 35, कक्षा 7 में 46 और कक्षा 8 में 65 विद्यार्थियों का प्रवेश हुआ है। स्कूल में 141 बच्चे अध्ययन कर रहे हैं। विद्यालय में 3 चपरासी के पद हैं, जिनमें से 2 रिक्त हैं। स्कूल केवल रामभवन नाम के एक चपरासी पर निर्भर है, वही काम कर रहा है।

कोर्ट ने मांगा जवाब

याचिका में उल्लेख है कि 11 अगस्त 2025 को चित्रकूट के डीएम और बेसिक शिक्षा अधिकारी को इस विषय में ज्ञापन प्रस्तुत किया गया था। इसके बाद आईजीआरएस (इंटीग्रेटेड ग्रिवांस रिड्रेसल सिस्टम) में भी शिकायत प्रस्तुत की गई, लेकिन कोई परिणाम नहीं निकला। जब कहीं सुनवाई नहीं हुई, तब लोगों ने अधिवक्ता जगदीश सिंह बुंदेला के जरिए हाईकोर्ट में जनहित याचिका प्रस्तुत की थी। मामले पर कोर्ट ने असंतोष व्यक्त करते हुए 27 अक्टूबर तक उत्तर मांगा है।

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