Chitrakoot News: चित्रकूट में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की हालत बद से बदतर, निरीक्षण में खुली पोल

Chitrakoot News: प्राथमिक स्वास्थ्य केंद्र देवल का सीडीओ अमृतपाल कौर ने औचक निरीक्षण किया ।

Sunil Shukla (Chitrakoot)
Published on: 28 Aug 2025 7:24 PM IST
Condition of primary health centers in Chitrakoot worsening, open wells under inspection
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चित्रकूट में प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों की हालत बद से बदतर, निरीक्षण में खुली पोल (Photo- Newstrack)

Chitrakoot News: चित्रकूट। भगवान राम की तपोभूमि धर्मनगरी चित्रकूट स्वास्थ्य सुविधाओं को लेकर प्रदेश सरकार ने संसाधन उपलब्ध कराए और पर्याप्त दवाएं भी देने का काम किया। लेकिन ग्रामीण अंचलों में संचालित प्राथमिक स्वास्थ्य केन्द्रों में हालत बद से बदतर होकर रह गई है। सीडीओ अमृतपाल कौर ने पीएचसी देवल और रसिन का औचक निरीक्षण किया। उनके निरीक्षण दौरान अस्पतालों में व्याप्त असुविधाएं खुलकर सामने आई।

पीएचसी देवल में निरीक्षण दौरान सीडीओ को मौके पर स्टाफ मौजूद मिला। अस्पताल परिसर में झाड़ियां व घास इस कदर मिला कि कहीं से सरकारी भवन ही नहीं नजर आता। यहां निर्मित आवास निष्प्रयोज्य हालत में है। प्रभारी चिकित्सक डॉ दीपक कुमार ने अवगत कराया गया कि भवन की हालत बहुत ही खराब है। जिसकी वजह से कोई भी कर्मचारी इन आवासों में रहने को तैयार नहीं है। अस्पताल में विद्युत आपूर्ति प्रभावित होने से इनवर्टर भी चार्ज नहीं हो पाता है। निरीक्षण दौरान फर्श पर पानी फैला मिला।


कमरों की खिड़कियों के शीशे टूटे हुए हैं। प्रसव कक्ष बहुत ही खराब हालत में है। अंदर गंदगी का अंबार लगा हुआ है। स्टाफ नर्स ने अवगत कराया कि प्रसव कक्ष में मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध न होने की वजह से यहां कोई भी प्रसूता प्रसव कराने के लिए तैयार नहीं होती। कई बार आवश्यक संसाधन उपलब्ध कराने के लिए उच्चाधिकारियों को अवगत भी कराया गया है। फिर भी कोई सुधार नहीं हुआ है। वार्ड में निरीक्षण के दौरान सीडीओ ने पाया कि उपयोग की जा चुकी सिरेंज व सुई आदि का निस्तारण नहीं किया गया। प्रयोग करने के बाद इनको वार्ड टेबल पर ही रख दिया गया है। देखने से प्रतीत हो रहा था कि वार्ड शायद महीनो बाद खोला गया है। वैसे यह बायोमेडिकल वेस्ट है, जिसे निस्तारित किया जाना चाहिए। क्योंकि इससे इंफेक्शन फैलने की संभावना बनी रहती है।

कमरों में नहीं नजर आती साफ-सफाई, हालत बहुत खराब

दीवारों पर अत्यधिक सीलन मिली। बेबी वॉर्मर निष्प्रयोज्य पाया गया। ड्रेसिंग रूम में पड़े उपकरणों में मकड़ी का जाला लगा मिला। इससे स्पष्ट है कि इनको लंबे समय से उपयोग नहीं किया गया और न ही कभी साफ-सफाई की गई है। बेड पर अत्यधिक गंदी मैट पड़ी मिली। सफाईकर्मी की तैनाती के बाद भी गंदगी का अंबार मिला। औषधि कक्ष में अत्यधिक मात्रा में अव्यवस्थित पड़ी पाई गई। कंप्यूटर, प्रिंटर आदि उपकरण स्लैब पर रखे मिले। लैब के निरीक्षण दौरान पाया गया कि हीमोग्लिबिनोमीटर नहीं चल रहा है। किए गए टेस्टों की रिपोर्ट की प्राप्ति के संबंध में उपलब्ध रजिस्टर पर किसी के हस्ताक्षर नहीं कराए जा रहे हैं। मरीजों के मोबाइल नंबर अंकित नहीं हैं। जिससे सत्यापन किया जा सके। शौचालय पूरी तरह ध्वस्त है।

उपकरणों में लग रहा जंग, देखने नहीं आते विभागीय अधिकारी

पीएचसी रसिन के निरीक्षण के दौरान स्टाफ तो मौजूद मिला, लेकिन स्थितियां देवल की ही तरह बदतर पाई गई। सीडीओ के आने की सूचना मिलने पर स्टाफकर्मी पहुंच गए थे। जिस तरह से यहां पर व्यवस्थाएं देखने को मिली, उससे स्पष्ट हो रहा है कि रोजाना स्टाफकर्मी नहीं आते। ओपीडी रजिस्टर में कई नाम दो-दो बार मिले। महकमे की ओर से उपलब्ध उपकरणों का लाभ लोगों को नहीं मिल रहा। इनमें जंग लग रहा है। विभागीय अधिकारी कभी निरीक्षण करने भी नहीं जाते। सीडीओ ने रसिन और देवल पीएचसी में अव्यवस्थाएं मिलने पर दोनो जगह तैनात चिकित्सकों से स्पष्टीकरण मांगा है। सीएमओ को निर्देश जारी किए हैं कि दोनो पीएचसी की व्यवस्थाओं में सुधार कराएं।

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