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Lucknow News: बिजली आंदोलन को मिला किसानों का समर्थन ! 4 जून जिला मुख्यालयों पर किसान संगठनों का साझा विरोध-प्रदर्शन
उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण और बिजली कर्मचारियों के आंदोलन के समर्थन में किसान संगठनों ने 4 जून को राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया है।
Lucknow News: Photo Social Media
Lucknow Today News: उत्तर प्रदेश में बिजली विभाग के निजीकरण और बिजली कर्मचारियों के आंदोलन के समर्थन में किसान संगठनों ने 4 जून को राज्यव्यापी विरोध-प्रदर्शन का ऐलान किया है। इस संबंध में हाल ही में एक वर्चुअल तैयारी बैठक आयोजित की गई, जिसमें प्रदेश भर से 30 से अधिक किसान संगठनों के प्रतिनिधियों ने भाग लिया। बता दें कि बैठक में तय हुआ कि 4 जून को सभी जिला मुख्यालयों पर किसान संगठन एकजुट होकर विरोध प्रदर्शन करेंगे और जिलाधिकारियों के माध्यम से मुख्यमंत्री को एक संयुक्त ज्ञापन सौंपेंगे।
इस ज्ञापन के माध्यम से सरकार से मांग की जाएगी कि पूर्वांचल और दक्षिणांचल विद्युत वितरण निगमों के निजीकरण का फैसला तत्काल वापस लिया जाए, बिजली दरों में प्रस्तावित बढ़ोतरी और स्मार्ट मीटर योजना को रद्द किया जाए, तथा हर परिवार को प्रति माह 300 यूनिट मुफ्त बिजली उपलब्ध कराई जाए।
सस्ती और सुगम बिजली आम जनता का हक
इस बैठक में किसानों ने स्पष्ट कहा कि वे बिजली कर्मचारियों के निजीकरण के विरोध में जारी आंदोलन का खुला समर्थन करते हैं और राज्य सरकार द्वारा आंदोलन को कुचलने की कोशिशों का भी विरोध करेंगे। किसान नेताओं का कहना है कि सस्ती और सुगम बिजली आम जनता का हक है और इसे निजी कंपनियों के हवाले करना जनविरोधी कदम है।
किसान संगठनों ने आम जनता से की अपील
किसान नेताओं ने बैठक में सरकार पर हमला बोलते हुए कहा कि जब सरकार रोजगार नहीं दे पा रही है और उल्टे सभी सार्वजनिक क्षेत्रों का निजीकरण कर रही है, तो मजदूर, किसान और कर्मचारी क्यों न सड़कों पर उतरें। उन्होंने कहा कि डबल इंजन की सरकार किसानों और कर्मचारियों की आवाज दबाने की कोशिश कर रही है, लेकिन हम एकजुट होकर इसका विरोध करेंगे। वहीं संयुक्त प्रेस बयान के माध्यम से किसान संगठनों ने आम जनता से अपील की है कि वे एकजुट होकर इस संघर्ष में भाग लें और अपनी बिजली को निजी हाथों में जाने से बचाएं।
किसान नेता हुए शामिल
बैठक में संयुक्त किसान मोर्चा के एनसीसी सदस्य सत्यदेव पाल, राजेन्द्र चौधरी, बचाऊं राम, शशिकांत (अलीगढ़), रामजी सिंह, रामनयन यादव, दुखहरन राम, राजेश आजाद, अनुभव दास शास्त्री, डा. मान सिंह, रामसेवक, डा. संजीव तोमर, जनार्दन सिंह, क्रांति नारायण सिंह, राम अवध, विकास दुबे, अनिल मिश्रा, हिमांशु, सौरभ पटेल, राजेन्द्र यादव, रामाश्रय यादव, बलवंत यादव, रामरतन यादव, एकादशी यादव, अजय कुमार लोधी, कृष्णा सिंह एवं दिनेश कुमार समेत कई किसान नेता शामिल रहे।
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