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Etah News: एटा मेडिकल कॉलेज में भ्रष्टाचार का बड़ा खुलासा, डॉक्टर अंकिता शर्मा ने मुख्यमंत्री से की शिकायत
Etah News: इस खुलासे की शुरुआत की है कॉलेज की चर्चित चिकित्सक डॉ. अंकिता ने, जिनका नाम अब मेडिकल कॉलेज में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाली प्रथम क्रांतिकारी डॉक्टर के रूप में दर्ज हो गया हैं।
Etah News
Etah News; उत्तर प्रदेश सरकार द्वारा आमजन को बेहतर स्वास्थ्य सुविधाएं उपलब्ध कराने के उद्देश्य से स्थापित *रानी वीरांगना अवंतीबाई लोधी स्वशासी राजकीय मेडिकल कॉलेज, एटा का निर्माण लगभग 325 करोड़ रुपये की लागत से किया गया था। इसका उद्देश्य गरीबों और जरूरतमंदों को राहत प्रदान करना था, लेकिन अब इस कॉलेज में बड़े स्तर पर भ्रष्टाचार और अव्यवस्था का बोलबाला है। पहले तक इन गड़बड़ियों का खुलासा केवल मीडिया करती थी, लेकिन इस बार कॉलेज की ही एक डॉक्टर ने यह साहसिक कदम उठाया है।इस खुलासे की शुरुआत की है कॉलेज की चर्चित चिकित्सक डॉ. अंकिता ने, जिनका नाम अब मेडिकल कॉलेज में भ्रष्टाचार के खिलाफ आवाज उठाने वाली प्रथम क्रांतिकारी डॉक्टर के रूप में दर्ज हो गया हैं।
डॉ. अंकिता शर्मा ने ट्वीट कर लगाए गंभीर आरोप
डॉ. शर्मा ने ट्वीट कर कॉलेज की प्राचार्य डॉ. रजनी पटेल, CMS डॉ. एस. चंद्रा और कुछ विभागाध्यक्षों पर गंभीर आरोप लगाए हैं। उनके अनुसार कॉलेज में ऐसे डॉक्टरों को वेतन दिया जा रहा है जो सप्ताह में केवल दो-तीन दिन ही आते हैं, जबकि नियमित रूप से ड्यूटी करने वाले डॉक्टरों का वेतन रोक दिया जाता है।उन्होंने आरोप लगाया कि कुछ विभागों में उपस्थिति रजिस्टर को जानबूझकर नियंत्रित किया जाता है, जिससे केवल "चयनित" डॉक्टरों के हस्ताक्षर दर्ज हो सकें और बाकी को प्रताड़ित किया जा सके।
महिला डॉक्टर की अनुपस्थिति का वीडियो किया सार्वजनिक
डॉ. शर्मा ने एक महिला चिकित्सक की अनुपस्थिति का वीडियो सार्वजनिक करते हुए कहा कि इस प्रकार की शिकायतों पर कोई सुनवाई नहीं होती। उल्टा, शिकायत करने वाले को ही प्रताड़ना झेलनी पड़ती है। उन्होंने ट्वीट के माध्यम से मुख्यमंत्री, उप मुख्यमंत्री और शासन से जांच और कठोर कार्रवाई की मांग की है।
प्राचार्य और CMS के बीच ‘मिलाजुला खेल’
कॉलेज के भीतर प्राचार्य और CMS एक-दूसरे पर जिम्मेदारी डालते हुए खुद को बचाते हैं। कई मामलों में दोनों की मिलीभगत से गड़बड़ियों को दबाया गया है, जैसे कि CBC मशीन की चोरी, जो रहस्यमय तरीके से कॉलेज में ही “बरामद” हो गई, लेकिन आज तक उसका कोई स्पष्ट विवरण नहीं दिया गया।
दंत विभाग में भी भ्रष्टाचार के आरोप
दंत विभाग के HOD डॉ. मोनू यादव पर आरोप है कि उन्होंने ऑफिस का सामान, जैसे कि पर्दे और एसी, अपने सरकारी आवास में ले जाकर उपयोग किया। शिकायत के बाद सामान तो वापस आ गया, लेकिन किसी भी स्तर पर उनके खिलाफ जवाबदेही तय नहीं की गई और न ही कोई जांच रिपोर्ट सामने आई।किसान यूनियन के धरने के बाद बनी एक कमेटी ने तीन कर्मचारियों की सेवा समाप्ति की संस्तुति दी थी, लेकिन वे अभी भी ड्यूटी पर बने हुए हैं। यह दिखाता है कि डॉ. रजनी पटेल फर्जी कार्यवाहियों और अनुचित बहाली में माहिर हैं।
रबर फिंगरप्रिंट से हो रही हाज़िरी
मेडिकल कॉलेज में ड्यूटी पर न आने वाले कर्मचारियों की उपस्थिति "रबर के फिंगरप्रिंट" के जरिए दर्ज कराने की गंभीर शिकायतें भी सामने आई हैं। यह मुद्दा पूर्व में पत्रकारों द्वारा धरने के दौरान भी उठाया गया था, लेकिन प्राचार्या डॉ. रजनी पटेल ने अब तक कोई स्पष्टीकरण नहीं दिया है।
पत्रकारों का प्रवेश वर्जित—मीडिया विरोधी रवैया
CMS डॉ. सुरेश चंद्र नहीं चाहते कि मीडिया कॉलेज में आए, जिससे उनके काले कारनामे और भ्रष्टाचार उजागर न हो सकें। प्राचार्य द्वारा कॉलेज परिसर की दीवार पर "पत्रकारों का प्रवेश और फोटो लेना वर्जित है" लिखा गया था, जिसे जिलाधिकारी प्रेम रंजन के हस्तक्षेप के बाद हटवाया गया। इसके बावजूद पत्रकारों के साथ दुर्व्यवहार की कई घटनाएं दर्ज हो चुकी हैं।
CMS की ड्यूटी से अनुपस्थिति और गुर्गों का राज
सूत्रों के अनुसार CMS डॉ. एस. चंद्रा नियमित रूप से कॉलेज में नहीं रुकते और केवल दोपहर में कुछ घंटों के लिए आते हैं। इसके बाद कॉलेज का कामकाज उनके "पालतू गुर्गों" द्वारा संभाला जाता है, जहां इलाज से लेकर ऑपरेशन तक में "सेटिंग" के नाम पर अवैध वसूली होती है।
डॉ. अंकिता शर्मा द्वारा किए गए ट्वीट और शिकायतों के संबंध में जब प्राचार्या डॉ. रजनी पटेल से फोन पर संपर्क करने की कोशिश की गई, तो उन्होंने कॉल रिसीव नहीं किया।तो सवाल यह उठता है, जब मेडिकल कॉलेज जैसे संस्थान में स्वास्थ्य सेवाओं की यह स्थिति है, तो आम जनता को बेहतर इलाज की उम्मीद कैसे दी जा सकती है?डॉ. अंकिता शर्मा द्वारा उठाई गई यह आवाज न केवल एक साहसिक पहल है, बल्कि शासन और प्रशासन को यह सोचने पर मजबूर करती है कि क्या सरकारी योजनाएं वास्तव में जमीन पर लागू हो रही हैं, या वे भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुकी हैं?
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