Hapur News : गढ़मुक्तेश्वर में दीपों का सागर, गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब

Hapur News : गढ़मुक्तेश्वर में गंगा आरती व दीपदान से जगमगाए घाट, अपनों की याद में भावुक हुए श्रद्धालु, उमड़ा जनसैलाब

Avnish Pal
Published on: 5 Nov 2025 9:25 AM IST
Hapur News : गढ़मुक्तेश्वर में दीपों का सागर, गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब
X

 Hapur Gadmukteshwar Deepdaan  ( Image From Social Media )

Hapur News :-एक साल के इंतज़ार के बाद मंगलवार की शाम गढ़मुक्तेश्वर की तीर्थनगरी गंगा आरती और दीपदान के पवित्र स्वर से गूंज उठी। कार्तिक शुक्ल पक्ष की चतुर्दशी को जैसे ही सूर्य अस्त हुआ, गंगा किनारे दीपों की अनगिनत कतारें जगमगा उठीं। ब्रजघाट और खादर के गंगा घाटों पर श्रद्धालुओं का सैलाब उमड़ पड़ा हर किसी के हाथ में एक दीप, हर आंख में नमी और हर दिल में किसी अपनों की याद थी।गंगा की ठंडी लहरों पर तैरते हजारों दीपों ने ऐसा दृश्य रचा कि देखने वाले श्रद्धालु मंत्रमुग्ध रह गए। हर दीप किसी न किसी अधूरी कहानी का प्रतीक था। किसी के पिता की याद, किसी की मां की स्मृति, किसी के बेटे की आत्मा के लिए प्रार्थना। हवा में जलते घी के दीपों की सुगंध और “हर हर गंगे” के गगनभेदी जयघोष ने पूरे माहौल को भक्तिमय बना दिया।

महाभारत काल से चली आ रही है दीपदान की अनोखी परंपरा

दीपदान की परंपरा हजारों वर्षों पुरानी मानी जाती है। पुराणों के अनुसार, जब महाभारत के युद्ध में असंख्य योद्धा वीरगति को प्राप्त हुए, तब भगवान श्रीकृष्ण ने पांडवों के साथ गंगा तट पर दीपदान किया था ताकि उन योद्धाओं की आत्माओं को शांति और मोक्ष की प्राप्ति हो।तब से हर वर्ष कार्तिक मास की चतुर्दशी और पूर्णिमा पर यह परंपरा निभाई जाती है।गढ़मुक्तेश्वर की पवित्र नगरी में यह परंपरा आज भी पूरे हृदय से निभाई जाती है। श्रद्धालु अपने दिवंगत प्रियजनों की आत्मा की शांति के लिए दीप जलाते हैं और उन्हें गंगा की धारा में प्रवाहित करते हैं। ऐसा माना जाता है कि गंगा में बहाया गया दीप मोक्ष का मार्ग रोशन करता है और पितरों की आत्मा को स्वर्ग लोक तक पहुंचाता है।

गंगा घाटों पर श्रद्धा का समंदर,भावुक दृश्य से गमगीन हुआ माहौल

मंगलवार की शाम जैसे ही सूर्य ने गंगा के जल में डूबते हुए अपनी आखिरी सुनहरी किरणें बिखेरीं, हजारों श्रद्धालु गंगा तट की ओर दौड़ पड़े। श्रदालुओं नें पीत वस्त्र पहनकर थालियों में दीप, फूल, चावल और गंगाजल सजाया। बच्चों के हाथों में छोटी-छोटी दीये थामे गंगा के किनारे उनकी मासूम मुस्कानें भी श्रद्धा से भरी थीं।गंगा तट पर दीप प्रवाहित होते ही माहौल भावनात्मक हो गया। कई लोग अपनों की याद में फफक पड़े। किसी ने पिता की तस्वीर थामी, तो किसी ने अपनी मां के नाम से दीप जलाया। घाटों पर जलते दीपों की लहरें देखकर ऐसा लगा मानो आकाश के तारे गंगा की गोद में उतर आए हों।

सुरक्षा व्यवस्था पर हापुड़ प्रशासन की पैनी नजर

कार्तिक पूर्णिमा मेले में श्रद्धालुओं की बढ़ती भीड़ को देखते हुए प्रशासन ने सुरक्षा के पुख्ता इंतज़ाम किए हैं डीएम अभिषेक पांडे एसडीएम और एसपी कुंवर ज्ञानंजय सिंह के नेतृत्व में घाटों का निरीक्षण किया गया। ड्रोन कैमरों से निगरानी, जल पुलिस की तैनाती और सीसीटीवी मॉनिटरिंग रूम की व्यवस्था की गई है। डीएम

ने बताया “दीपदान और कार्तिक पूर्णिमा स्नान के दौरान आने वाले लाखों श्रद्धालुओं की सुविधा के लिए पूरे मेला क्षेत्र में ट्रैफिक को डायवर्ट किया गया है। घाटों के आस-पास हर वाहन की जांच हो रही है। किसी को भी नाव पर बिना लाइफ जैकेट के जाने की अनुमति नहीं है। पुलिस-प्रशासन पूरी तरह मुस्तैद है।”

दीपदान के बाद हुआ दान-पुण्य का अनुष्ठान

दीपदान के बाद श्रद्धालुओं ने पुरोहितों को वस्त्र, अन्न, तिल और दक्षिणा अर्पित की। कई जगहों पर भक्तों ने गरीबों को भोजन कराया। माना जाता है कि इस दिन किया गया दान सौ गुना पुण्य देता है।घाटों पर भक्ति संगीत और भजन मंडलियों ने भी वातावरण को भक्तिरस से सराबोर कर दिया। “गंगे तुम बहती हो क्यों…” जैसे गीतों के बीच दीपों की लौ लहरों के साथ झिलमिलाती रही और श्रद्धालु देर रात तक गंगा आरती में लीन रहे।

5 नवंबर को मुख्य स्नान, उमड़ेगी लाखों की भीड़

मंगलवार को दीपदान के बाद अब बुधवार, 5 नवंबर को कार्तिक पूर्णिमा का मुख्य स्नान पर्व मनाया जाएगा। जिला प्रशासन के अनुसार, इस वर्ष गढ़मुक्तेश्वर मेला क्षेत्र में करीब 30 से 32 लाख श्रद्धालुओं के पहुंचने की संभावना है।रेलवे, रोडवेज और प्रशासन ने विशेष व्यवस्थाएं की हैं। जगह-जगह चिकित्सा शिविर, लाउडस्पीकर से घोषणाएं और रेस्क्यू टीम भी सक्रिय हैं।

1 / 6
Your Score0/ 6
Shalini Rai

Shalini Rai

Mail ID - [email protected]

Next Story

AI Assistant

Online

👋 Welcome!

I'm your AI assistant. Feel free to ask me anything!