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Hapur News: हापुड़ में 40 सालों से लंबित ज़मीन विवाद, नयागांव-रामपुर के किसान बेहाल
Hapur News: हापुड़ में 40 साल से लंबित ज़मीन विवाद से किसान बेहद परेशान और नाराज़ हैं।
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Hapur News: हापुड़ जिले की तहसील में स्थित दो गांव नयागांव इनायतपुर और रामपुर न्यामतपुर 40 सालों से सर्वे सेटलमेंट विभाग की लंबित प्रक्रिया में फंसे हुए हैं। इन गांवों की कृषि भूमि का सिजरा अब तक तैयार नहीं हो पाया है, जिससे किसान अपनी जमीन को लेकर गहरी चिंता में हैं।सालों से सरकारी जमीन पर रसूखदार और भू-माफियाओं का कब्जा है। चाहे कितनी ही सरकारें सत्ता में आईं, लेकिन मुख्यमंत्री के “अतिक्रमण मुक्त करने” वाले वादे अब तक केवल कागजों में ही रह गए हैं।
राजस्व अभिलेखों में बड़े पैमाने पर छेड़छाड़ का मामला
नयागांव इनायतपुर में राजस्व अभिलेखों में छेड़छाड़ के आरोप में आठ राजस्व अधिकारियों और कर्मचारियों के खिलाफ मुकदमा दर्ज किया गया। नायब तहसीलदार समेत सभी आरोपी जेल भेजे गए, लेकिन इसके बावजूद जमीन अब तक कब्जा मुक्त नहीं हो पाई है।इस घटना ने स्थानीय किसानों में रोष और चिंता बढ़ा दी है। किसान आरोप लगा रहे हैं कि सरकारी प्रक्रिया में लंबित कार्रवाई और अधिकारियों की लापरवाही के चलते उनकी मेहनत की जमीन पर कब्जा होने से उन्हें नुकसान उठाना पड़ रहा है।
किसानों की चिंता और मुश्किलें
नयागांव इनायतपुर के ग्राम प्रधान सुशील कुमार राणा का कहना है कि गांव की हजारों बीघा जमीन पर अवैध कब्जा है। सर्वेक्षण का सिजरा 40 साल में भी पूरा नहीं हो पाया है।रामपुर न्यामतपुर के माजरा गांव, अब्दुल्लापुर के ग्राम प्रधान टीकम सिंह ने बताया कि गांव की जमीन पर रसूखदारों का कब्जा है और किसान अपनी जमीन का तबादला भी नहीं कर पा रहे हैं।किसानों का कहना है कि इस लंबित प्रक्रिया के चलते उनकी जमीन का कानूनी स्टेटस स्पष्ट नहीं है, जिससे न केवल खेती प्रभावित हो रही है बल्कि उन्हें अपने अधिकारों के लिए लगातार संघर्ष करना पड़ रहा है।
सरकार का रुख और कार्रवाई
एसडीएम गढ़मुक्तेश्वर श्रीराम यादव ने कहा कि नयागांव इनायतपुर और रामपुर न्यामतपुर सर्वे सेटलमेंट के अंतर्गत हैं। कर्मचारियों की कमी के कारण प्रक्रिया धीमी हो गई है। हालांकि, किसानों के काम को रोकने से बचाने के लिए कानूनगो और लेखपाल तहसील स्टाफ से तैनात किए गए हैं।लेकिन सवाल अब भी बरकरार है कि आखिर कब किसानों की जमीन पर कब्जा मुक्त माहौल आएगा और उनके कानूनी अधिकार सुनिश्चित होंगे।
स्थानीय लोगों की प्रतिक्रिया
गांव वासियों का कहना है कि पिछले 40 सालों में कई सरकारें आईं और गईं, लेकिन उनका कोई भी वादा पूरा नहीं हुआ। किसानों का मानना है कि अगर सरकार जल्द कार्रवाई नहीं करती है, तो यह मामला और गंभीर रूप ले सकता है।
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