Hapur News: FSSAI के सख्त नियमों के खिलाफ हापुड़ व्यापारियों की बगावत, 17 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा

Hapur News: हापुड़ के व्यापारियों ने FSSAI के कठोर नियमों और प्रक्रियाओं के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए 17 सूत्रीय मांगों वाला ज्ञापन सौंपा।

Avnish Pal
Published on: 16 Sept 2025 5:09 PM IST
Hapur News: FSSAI के सख्त नियमों के खिलाफ हापुड़ व्यापारियों की बगावत, 17 सूत्रीय मांगपत्र सौंपा
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Hapur News: उत्तर प्रदेश के औद्योगिक और व्यापारिक हब हापुड़ में मंगलवार को एक ऐतिहासिक पहल देखने को मिली। यहां के उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल ने एकजुट होकर खाद्य सुरक्षा एवं मानक अधिनियम (FSSAI) के कठोर नियमों और जटिल प्रक्रियाओं पर खुलकर सवाल उठाए। मंडल ने CEO, FSSAI को संबोधित 17 सूत्री ज्ञापन स्थानीय खाद्य सुरक्षा एवं औषधि प्रशासन के अभिहित अधिकारी को सौंपा।व्यापारियों ने इस ज्ञापन के माध्यम से साफ कहा कि FSSAI के मौजूदा नियम छोटे और मध्यम स्तर के व्यापारियों के लिए बेहद जटिल हैं, जिनसे अनावश्यक उत्पीड़न, भ्रष्टाचार, और व्यापारिक कठिनाई बढ़ रही है। उन्होंने यह भी कहा कि जब महंगाई लगातार बढ़ रही है, ऑनलाइन व्यापार का दायरा तेजी से बढ़ रहा है और कृषि में मानक बदल रहे हैं, तब FSSAI को भी अपने नियमों में बदलाव करना चाहिए।

व्यापारियों का तर्क,छोटे कारोबारियों पर बोझ

ज्ञापन सौंपने के दौरान मंडल के पदाधिकारियों ने कहा कि लाइसेंसिंग, सैंपलिंग, जुर्माने, ऑनलाइन फूड बिजनेस, और प्रशासनिक प्रक्रियाओं में सुधार करना समय की मांग है।वे बोले, “आज के समय में बड़े मल्टीनेशनल ब्रांड्स के साथ छोटे दुकानदार, ठेले वाले और मध्यम व्यापारियों को भी वही नियम लागू किए जाते हैं, जिससे छोटे व्यापारियों पर अनुचित बोझ पड़ता है। परिणामस्वरूप वे भ्रष्टाचार के जाल में फंस जाते हैं या लाइसेंसिंग की जटिलता के कारण काम बंद करने को मजबूर हो जाते हैं।”

ज्ञापन में शामिल 17 प्रमुख मांगें

इस ज्ञापन में व्यापारियों ने 17 ठोस और व्यवहारिक सुझाव दिए हैं, जिनका सीधा संबंध छोटे और मध्यम व्यवसायियों के जीवन और व्यवसाय से है:

1. पूर्णकालिक न्याय निर्णायक अधिकारी:अभी ADM या अन्य प्रशासनिक अधिकारियों की व्यस्तता के कारण मामलों के निपटारे में लंबा समय लगता है। फुल-टाइम अधिकारी होने से समय पर और निष्पक्ष निर्णय संभव होंगे।

2. धारा-69 के तहत शमन शुल्क व्यवस्था:मामूली उल्लंघनों पर मुकदमा दर्ज करने की बजाय शमन शुल्क से निपटारा किया जाए। इससे अनावश्यक कोर्ट-कचहरी के चक्कर खत्म होंगे।

3. रजिस्ट्रेशन की टर्नओवर सीमा 12 लाख से बढ़ाकर 40 लाख:महंगाई और बाजार की जरूरत को देखते हुए मौजूदा सीमा अप्रासंगिक है, इसलिए इसे बढ़ाया जाए।

4. लाइसेंस न होने पर जेल सजा समाप्त, केवल जुर्माना जो लाइसेंस फीस के दोगुने तक सीमित हो।

5. पैकिंग में कमी पर रिटेलर को छूट, जिम्मेदारी सिर्फ निर्माता कंपनी की हो।

6. ऑनलाइन फूड बिजनेस और डिलीवरी कर्मियों के लिए FSSAI रजिस्ट्रेशन अनिवार्य।

7. मल्टीनेशनल कंपनियों और ऑनलाइन फूड चेन की नियमित सैंपलिंग सुनिश्चित हो।

8. हर जिले में एक ही रजिस्ट्रेशन अधिकारी, जिसे फील्ड वर्क से मुक्त रखा जाए ताकि प्रक्रिया तेज और पारदर्शी हो।

9. सैंपलिंग में पारदर्शिता:सैंपल लेते समय फॉर्म-5A व्यापारी को दिया जाए और सामान का भुगतान भी किया जाए।

10. व्यापार मंडल की मौजूदगी:सैंपलिंग के समय प्रतिनिधि मौजूद रहें, ताकि अवैध वसूली और उत्पीड़न रोका जा सके।

11. सैंपलिंग टारगेट खत्म:25 सैंपल का टारगेट हटाया जाए, केवल ठोस शिकायत पर ही कार्रवाई हो।

12. फर्जी शिकायतों पर रोक:शिकायतकर्ता की सत्यता जांचने के बाद ही कार्रवाई हो।

13. एक देश-एक कानून:केंद्र और राज्य सरकार की दोहरी जांच व्यवस्था खत्म हो।

14. कीटनाशक/रसायन मानक तय होने तक सैंपलिंग स्थगित की जाए।

15. छोटे निर्माताओं से सालाना/छमाही रिटर्न हटाना, 5 करोड़ तक टर्नओवर वालों को राहत।

16. पुराने जुर्माने माफ और NABL लैब की दोहरी जांच बंद की जाए।

17. धारा-70 के तहत विशेष अपील ट्रिब्यूनल बनाया जाए, ताकि व्यापारी अपील कर सकें।

“सुधार से व्यापार और उपभोक्ता दोनों को लाभ”

ज्ञापन सौंपने के बाद उद्योग व्यापार प्रतिनिधि मंडल के अध्यक्ष ने कहा कि हमारी ये मांगें सिर्फ व्यापारियों के लिए राहत का माध्यम नहीं हैं, बल्कि इससे उपभोक्ता सुरक्षा भी मजबूत होगी। प्रक्रियाएं सरल होने से भ्रष्टाचार पर अंकुश लगेगा, लाइसेंसिंग व सैंपलिंग पारदर्शी होगी और छोटे व्यापारियों को सम्मानपूर्वक काम करने का अवसर मिलेगा।उन्होंने कहा कि छोटे और मध्यम व्यापारी सुरक्षित और सहज महसूस करेंगे तो स्थानीय अर्थव्यवस्था मजबूत होगी और उपभोक्ताओं को भी गुणवत्तापूर्ण व सस्ते उत्पाद मिलेंगे।इस ज्ञापन को लेकर स्थानीय व्यापारी समुदाय में भी उत्साह देखा गया। दुकानदारों, थोक व्यापारियों और छोटे पैकिंग यूनिट्स के मालिकों ने इस पहल को “ऐतिहासिक” बताते हुए कहा कि अब समय आ गया है कि FSSAI अपने नियमों को जमीनी हकीकत के अनुसार बनाए।

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