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Kaushambi News: जो मरी नहीं थी, उसकी मातम मनाया गया और जो सचमुच मरी थी, उसकी पहचान अब भी अधूरी है

Kaushambi News: कौशांबी में एक लाश ने रिश्तों, हकीकत और संवेदनाओं के ताने-बाने को उलझा दिया है। पुलिस अब भी उस असली मृतका की पहचान की गुत्थी सुलझाने में जुटी है।

Ansh Mishra
Published on: 1 July 2025 5:59 PM IST
Kaushambi News: जो मरी नहीं थी, उसकी मातम मनाया गया और जो सचमुच मरी थी, उसकी पहचान अब भी अधूरी है
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kaushambi news   (photo: social media )

Kaushambi News: रेलवे ट्रैक पर पड़ी एक क्षत-विक्षत लाश परिवार का दावा ये हमारी बेटी है। लोगों का गुस्सा न्याय चाहिए सोशल मीडिया का हंगामा सिस्टम नाकाम है । लेकिन फिर पुलिस ने जो सच्चाई सामने लाई, वो इस पूरे घटनाक्रम को एक दिल दहला देने वाली भूल बना गई।

पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने बताया 18 मार्च को भरवारी और बिंदपुर स्टेशन के बीच मिली महिला की लाश को एक परिवार ने अपनी बेटी का शव बताकर अंतिम संस्कार का दावा किया था। लेकिन गहन जांच, साइबर विश्लेषण और तकनीकी ट्रैकिंग से साबित हुआ और पुलिस एक निर्दोष व्यक्ति को हत्या जैसे गंभीर धाराओं में जेल जाने से भी बचाया गया।

जिसे मरी हुई समझा गया था, वह लड़की ज़िंदा मिली

29 जून को उसे मध्यप्रदेश के शहडोल जिले से सकुशल बरामद कर लिया गया। अब असली सवाल , तो फिर 18 मार्च को रेलवे ट्रैक पर जो शव मिला था, वो कौन थी? रेलवे ट्रैक में मिला लाश ने अपनी पहचान खो दी, आखिर इसके जिम्मेदार कौन? क्या किसी शव को बिना जॉच, साक्ष्य के अपना परिवार का बताना गलत नहीं है?

पुलिस अधीक्षक राजेश कुमार ने बताया कि उस शव का डीएनए सुरक्षित रखा गया है और अब भी उसकी असली पहचान की कोशिशें जारी हैं।

कहीं वो किसी और की गुमशुदा बेटी थी? कहीं वो किसी अपराध की अनकही कहानी तो नहीं? या फिर वो भी एक ऐसा चेहरा थी, जो समाज की अनदेखी में खो गया?

यह सिर्फ एक केस नहीं है ,यह हमारे समाज में जल्दबाज़ी से किए गए निष्कर्षों भावनात्मक ,निर्णयों और सोशल मीडिया ट्रायल की एक खतरनाक मिसाल है।जहां एक जिंदा लड़की को मृत मान लिया गया, और एक अज्ञात शव की सच्चाई को पीछे छोड़ दिया गया।

पुलिस की संवेदनशीलता और तकनीकी सक्रियता सराहनीय

साइबर सेल, सर्विलांस टीम और स्थानीय पुलिस की सजगता से सच्चाई सामने लाई गई। झूठे भ्रम के बीच एक बेटी ज़िंदा मिल गई ये बड़ी बात है। लेकिन अब अगली चुनौती है उस अनजान मृतका को पहचान देना और न्याय दिलाना। ये कहानी अधूरी है जब तक उस असली शव की पहचान न हो जाए, तब तक इंसाफ़ भी अधूरा है।

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Monika

Monika

Content Writer

पत्रकारिता के क्षेत्र में मुझे 4 सालों का अनुभव हैं. जिसमें मैंने मनोरंजन, लाइफस्टाइल से लेकर नेशनल और इंटरनेशनल ख़बरें लिखी. साथ ही साथ वायस ओवर का भी काम किया. मैंने बीए जर्नलिज्म के बाद MJMC किया है

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