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Kushinagar News: कुशीनगर के भुलई भाई को मरणोपरांत पद्मश्री, जनपद में खुशी की लहर
Kushinagar News: सादगी और समाजसेवा भुलाई भाई की पहचान थी। कंधे पर केसरिया गमछा और मन में सेवा का संकल्प।
राष्ट्रपति के हाथों पद्मश्री सम्मान ग्रहण करते भुलई भाई के पौत्र अनूप चौधरी (photo: social media )
Kushinagar News: जनपद के रामकोला क्षेत्र के पगार गांव के निवासी ईमानदारी और कर्तव्यनिष्ठा की प्रतीक और स्व अटल बिहारी वाजपेई के समकालीन श्रीनारायण उर्फ भुलई भाई को भारत सरकार ने मरणोपरांत देश के प्रतिष्ठित नागरिक सम्मान पद्मश्री से नवाजा है। यह सम्मान उनके पौत्र अनूप चौधरी ने राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू के हाथों मंगलवार को प्राप्त हुआ। जैसे ही यह खबर क्षेत्र में फैली, पूरे इलाके में हर्ष और गर्व की लहर दौड़ गई।
पगार गांव के पहले प्रधान से दो बार विधायक तक का सफर
पंचायती राज लागू होने के बाद पगार गांव के प्रधान बने भुलाई भाई छात्र जीवन से ही संघ से जुड़े रहे। 1974 में जनसंघ के टिकट पर नौरंगिया सुरक्षित सीट से पहली बार विधायक चुने गए और अपने कार्यों की बदौलत 1977 में दोबारा विधानसभा पहुंचे।
सादगी और सेवा थी पहचान
सादगी और समाजसेवा भुलाई भाई की पहचान थी। कंधे पर केसरिया गमछा और मन में सेवा का संकल्प। कोरोना काल में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने स्वयं पीएमओ से फोन कर उनका हालचाल जाना था और बाद में कुशीनगर एयरपोर्ट पर व्यक्तिगत रूप से मुलाकात भी की थी। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने भी कप्तानगंज की सभा में उन्हें मंच पर अपने बगल में बैठाकर विशेष सम्मान दिया था। 111 वर्ष की उम्र में 31 अक्टूबर 2024 को भुलाई भाई ने अंतिम सांस ली, लेकिन अपने सिद्धांतों से कभी समझौता नहीं किया। उनका जीवन आने वाली पीढ़ियों के लिए प्रेरणास्रोत बना रहेगा।
ईमानदारी का ऐतिहासिक किस्सा
उनकी ईमानदारी का एक किस्सा आज भी लोगों की जुबां पर है। बताया जाता है कि एक बार कांग्रेस की ओर से क्रॉसवोटिंग के लिए रुपये से भरी अटैची भेजी गई थी, जिसे भुलाई भाई संघ के वरिष्ठ नेताओं के पास ले गए। उनके कहने पर वह अटैची सदन में सभापति के सामने फेंक दी और बोले कांग्रेस ने मुझे खरीदने की कोशिश की है।
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