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Lucknow News: लखनऊ विश्वविद्यालय: एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रवि कान्त चंदन पर होगी कार्रवाई, न्यायालय में मुकदमा चलाने की संस्तुति
Luckow News: विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का फेसबुक विवादित टिप्पणी का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। छात्र नेता कार्तिक पांडेय के विरोध से अब यह मामला न्यायालय तक पहुंच गया है।
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Lucknow News: लखनऊ विश्वविद्यालय के प्रोफेसर का फेसबुक विवादित टिप्पणी का मामला शांत होने का नाम नहीं ले रहा है। छात्र नेता कार्तिक पांडेय के विरोध से अब यह मामला न्यायालय तक पहुंच गया है। इस विवाद को सुलझने के लिए विश्वविद्यालय के कुलपति प्रो. आलोक कुमार राय ने हिन्दी विभाग के एसोसिएट प्रोफेसर डॉ. रवि कान्त चंदन के खिलाफ न्यायालय में मुकदमा चलाने की संस्तुति दी है। बताया जा रहा है कि यह निर्णय लगातार बढ़ते विवादों और छात्रों में असंतोष को देखते हुए लिया गया है। मामले में।जांच रिपोर्ट के बाद ही फैसला सुनाएगी।
कई बार विवादों में रहे डॉक्टर रविकांत
छात्रों से मिली जानकारी के अनुसार डॉ. रवि कान्त चंदन पहले भी कई बार अपने बयानों और गतिविधियों को लेकर चर्चा में रह चुके हैं। विश्वविद्यालय के कुछ छात्रों और अन्य संगठनों ने उन पर धार्मिक भावनाएं आहत करने और अनुशासनहीनता के आरोप लगाए हैं। इस वजह से कैंपस में कई बार तनाव का माहौल बना। कई छात्र संगठनों ने उनके खिलाफ प्रदर्शन भी किया और विश्वविद्यालय प्रशासन से कड़ी कार्रवाई की मांग की थी। इसी को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन ने यह निर्णय लिया है।
जांच शुरू की गई है
लखनऊ विश्वविद्यालय प्रशासन ने बनाई जांच टीम ने इस मामले को संज्ञान में लेते हुए जांच शुरू की थी। इसके बाद इसकी रिपोर्ट कुलपति को सौंपी गई थी। इसके कुलपति ने इस मामले को विश्वविद्यालय में सुलझाने को लेकर माना कर दिया और कहा ऐसे मामले में कोर्ट का सहारा लेना चाहिए। इसलिए उन्होंने यह संस्तुति दी है कि डॉ. रवि कान्त चंदन के खिलाफ न्यायालय में विधिक कार्रवाई शुरू की जाए।
इस निर्णय से विश्वविद्यालय में चर्चा का माहौल
कुलपति के लिए गए निर्णय के बाद से ही छात्रों में चर्चा का विषय बना हुआ है। परिसर का माहौल गर्म हो गया है। कुछ छात्रों ने इस फैसले का स्वागत किया है तो कुछ ने कहा कि अभियक्ति के स्वतंत्रता पर यह हमला है।
विश्वविद्यालय की गरिमा के खिलाफ कार्य बर्दाश्त नहीं
इसी मामले को लेकर विश्वविद्यालय प्रशासन स्पष्ट किया कि अनुशासन और छात्रों की सुरक्षा से कोई समझौता नहीं करेगा। विश्वविद्यालय का कहना है कि किसी भी शिक्षक या कर्मचारी की गतिविधियां यदि विश्वविद्यालय की गरिमा के खिलाफ जाती हैं, तो उस पर सख्त कार्रवाई की जाएगी। इस मामले अब न्यायालय अपना फैसला सुनाएगी।
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