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UP में वायु-गुणवत्ता की निगरानी में नई पहल: IIT कानपुर और IBM की साझेदारी, AI-सेंसर तकनीक से होगा वायु प्रदूषण कंट्रोल
Air quality monitoring: इस सहमति पत्र के तहत आईबीएम और एरावत रिसर्च फाउंडेशन मिलकर डेटा-संचालित समाधानों के माध्यम से वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करेंगे।
IBM & IIT Kanpur Collaboration Program
Air quality monitoring: उत्तर प्रदेश में वायु गुणवत्ता की निगरानी को और प्रभावी बनाने के लिए भारतीय प्रौद्योगिकी संस्थान कानपुर के एरावत रिसर्च फाउंडेशन ने प्रमुख टेक कंपनी आईबीएम के साथ मिलकर एक महत्वपूर्ण पहल शुरू की है। इस एमओयू का उद्देश्य कृत्रिम बुद्धिमत्ता के माध्यम से वायु गुणवत्ता में सुधार और निगरानी प्रणालियों को उन्नत करना है। यह एमओयू लखनऊ में स्केलेबल एयर क्वालिटी टेक्नोलॉजी पर आधारित एक कार्यशाला में बुधवार को किया गया।
आधिकारिक समाधान और डेटा-संचालित पहल
इस सहमति पत्र के तहत आईबीएम और एरावत रिसर्च फाउंडेशन मिलकर डेटा-संचालित समाधानों के माध्यम से वायु प्रदूषण के स्रोतों की पहचान करेंगे और राष्ट्रीय दृष्टिकोण के अनुरूप एक सतत विकास मॉडल तैयार करेंगे। आईबीएम के साथ साझेदारी में वायु गुणवत्ता की रियल-टाइम निगरानी की जाएगी, जो भविष्य में नीति निर्धारण और कार्यान्वयन में मदद करेगी।
एआई के माध्यम से वायु गुणवत्ता का सुधार
इस परियोजना का नेतृत्व प्रोफेसर सच्चिदानंद त्रिपाठी कोटक स्कूल ऑफ सस्टेनेबिलिटी के डीन और एरावत रिसर्च फाउंडेशन के परियोजना निदेशक कर रहे हैं। उन्होंने बताया कि उत्तर प्रदेश में हर विकास खंड में प्रदूषण के स्रोतों का मानचित्रण किया जाएगा, जिसमें कम लागत वाले स्वदेशी सेंसरों का उपयोग किया जाएगा। इसके परिणामस्वरूप, एरावत ने उत्तर प्रदेश और बिहार के विभिन्न इलाकों में लगभग 1,365 सेंसर स्थापित किए हैं, जो वायु गुणवत्ता की निगरानी कर रहे हैं।
रियल-टाइम डेटा और एआई मॉडल का प्रभाव
प्रो. सच्चिदानंद त्रिपाठी ने कहा कि वायु गुणवत्ता की निगरानी के लिए विकसित किए गए मॉडल और सेंसर, एआई तकनीक का उपयोग करके पीएम 2.5, पीएम 10, तापमान और आर्द्रता के स्तर पर सटीक डेटा प्रदान करेंगे। इस डेटा का उपयोग करके वायु प्रदूषण की सटीक पहचान और नियंत्रण की योजना बनाई जा सकती है।
आईबीएम का सहयोग और टेक्नोलॉजी का महत्व
इस विशेष मौके पर आईबीएम इंडिया सॉफ्टवेयर लैब्स के उपाध्यक्ष विशाल चहल ने कहा कि हमारा लक्ष्य भारत के स्वच्छ वायु लक्ष्यों को गति देने में मदद करना है। इस पहल में आईआईटी कानपुर की विशेषज्ञता और हमारे उन्नत सॉफ़्टवेयर समाधान को मिलाकर, हम वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए एक सशक्त और प्रौद्योगिकी-संचालित दृष्टिकोण अपनाएंगे।
उत्तर प्रदेश में प्रदूषण की बढ़ती समस्या
उत्तर प्रदेश के पर्यावरण वन एवं जलवायु परिवर्तन विभाग के प्रमुख सचिव अनिल कुमार ने कार्यशाला को संबोधित करते हुए कहा कि ग्रामीण क्षेत्रों में प्रदूषण की स्थिति शहरों के बराबर हो सकती है। अब हमें छोटे ग्रिड सिस्टम की जरूरत है, ताकि हम प्रदूषण के स्रोत और तीव्रता को सटीक रूप से पहचान सकें और इसके आधार पर नीति बना सकें।
भविष्य की योजनाएं और सुधार
इस परियोजना के तहत राज्य में वायु गुणवत्ता निगरानी को लेकर कई महत्वाकांक्षी योजनाएं बनाई जा रही हैं। उत्तर प्रदेश सरकार ने वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए 10 साल की योजना बनाई है और इसके तहत पीएम 2.5 के स्तर को नियंत्रित करने का लक्ष्य रखा है। साथ ही विश्व बैंक द्वारा 5 हजार करोड़ रुपये की सहायता राशि दी जा रही है, जिससे भविष्य में वायु गुणवत्ता की स्थिति में सुधार संभव हो सकेगा।
नवाचारों के साथ पर्यावरणीय चुनौतियों का समाधान
कार्यशाला के दौरान प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के अध्यक्ष रवींद्र प्रताप सिंह और आईआईटी कानपुर के विशेषज्ञों ने वायु गुणवत्ता के सुधार के लिए किए जा रहे प्रयासों पर विचार साझा किए। यह सहयोग भारत में प्रदूषण की समस्या से निपटने के लिए एक महत्वपूर्ण कदम है, जो प्रौद्योगिकी और डेटा विश्लेषण का सही इस्तेमाल कर सकता है।
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